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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत की लंबी तटरेखीय संसाधन क्षमताओं पर टिप्पणी कीजिये और इन क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी की स्थिति पर प्रकाश डालिये। ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)

    18 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत की लंबी तटरेखा के महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • भारत के समुद्र तट की संसाधन संभावनाओं के साथ प्राकृतिक खतरे की तैयारी की स्थिति पर चर्चा कीजिये।
    • सतत् तटीय विकास हेतु आपदा प्रबंधन एवं बुनियादी ढाँचे के विकास में चल रहे प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के साथ भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा प्रचुर संसाधन क्षमताओं जैसे लाभों के साथ-साथ प्राकृतिक खतरे के प्रति तैयारियों के संबंध में प्रमुख चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।

    मुख्य भाग:

    भारत की तटरेखा से संबंधित संसाधन क्षमताएँ:

    • मत्स्य पालन: भारत की तटरेखा मत्स्य पालन के लिये प्रमुख लाभ प्रदान करती है। एक संपन्न मत्स्यन उद्योग की सुविधा प्रदान करने के साथ देश की खाद्य सुरक्षा में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है।
    • बंदरगाह और नौवहन: समुद्र तट पर मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता में कई प्रमुख बंदरगाह हैं, जो व्यापार एवं वाणिज्य की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • पर्यटन: गोवा, केरल तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित तटीय क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं सांस्कृतिक आकर्षण के कारण लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
    • खनिज संसाधन: तटीय क्षेत्र प्राय: खनिज संसाधनों से समृद्ध होते हैं, जिनमें रेत, इल्मेनाइट, गार्नेट और मोनाज़ाइट जैसे खनिज शामिल हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत की तटरेखा में विशेष रूप से अपतटीय पवन और ज्वारीय ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की अपार क्षमता है।

    प्राकृतिक खतरे से निपटने की तैयारी की स्थिति:

    • भारत की तटरेखा महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है लेकिन यह चक्रवात, सुनामी तथा समुद्र के जल स्तर में वृद्धि सहित प्राकृतिक खतरों के प्रति भी अत्यधिक संवेदनशील है जैसे:
      • भारत सक्रिय रूप से समुद्र के जल स्तर में होने वाले परिवर्तन की निगरानी, मैंग्रोव का संरक्षण करने एवं तटीय अवसंरचना में अनुकूलता को बढ़ाने के साथ नगरीय नियोजन में संलग्न है।
      • इसमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर आपदा प्रतिक्रिया और तैयारियों के समन्वय के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) तथा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (State Disaster Management Authorities- SDMA) की स्थापना करना शामिल है।
      • भारत में चक्रवातों से संबंधित प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में सुधार किया गया है, जिससे जन-धन की सुरक्षा की जा सकती है।
      • भारत ने एक इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर (ITEWC) की स्थापना की है, जो भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre for Ocean Information Services- INCOIS) द्वारा संचालित है।
      • INCOIS और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology- NIOT) समुद्र के जल स्तर में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी हेतु प्रमुख एजेंसियाँ हैं।

    निष्कर्ष:

    भारत के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों के सतत् विकास के लिये आपदा तैयारी, अवसंरचना विकास तथा जलवायु अनुकूलन में निरंतर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

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