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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सामाजिक-आर्थिक कारकों एवं नीतिगत हस्तक्षेपों को ध्यान में रखते हुए, भारत में शहरी गरीबी को दूर करने से संबंधित चुनौतियों और संभावित समाधानों पर चर्चा कीजिये।(150 शब्द)

    03 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: शहरी गरीबी को संक्षेप में बताइये।
    • निकाय: शहरी गरीबी के कारण लोगों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करते हुए इस मुद्दे के समाधान हेतु कुछ नीतिगत उपाय बताइये।
    • निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत में शहरी गरीबी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। तीव्र शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के कारण हाशिये पर रहने वाले लोगों की समस्याएँ और भी जटिल हो रही हैं। यह एक जटिल और बहुआयामी घटना है जिससे भारत में लाखों लोग प्रभावित हैं। भारत में शहरी गरीबी 25% से अधिक है और शहरी क्षेत्रों में लगभग 81 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं।

    मुख्य भाग:

    शहरी गरीबों के समक्ष आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियाँ:

    • बुनियादी सेवाओं तक पहुँच का अभाव: तीव्र शहरीकरण से मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच प्रभावित होती है।
    • अनौपचारिक रोज़गार: शहरी गरीब अक्सर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करते हैं जिससे यह कम वेतन एवं नौकरी की असुरक्षा के साथ शोषण के प्रति संवेदनशील होते हैं। इससे गरीबी को और भी बढ़ावा मिलता है तथा लोगों के अवसर सीमित हो जाते हैं।
    • लैंगिक असमानता: शहरी गरीबी से महिलाएँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। यह भेदभाव, नौकरी के सीमित विकल्पों के साथ संसाधनों एवं सेवाओं की असमान पहुँच के प्रति संवेदनशील होती हैं। शहरों में महिलाओं को लिंग आधारित हिंसा एवं उत्पीड़न और सामाजिक पूर्वाग्रहों का अधिक जोखिम होता है, जिससे उनकी गरीबी और असमानता को बढ़ावा मिलता है।
    • हाशिये पर जाने के प्रति संवेदनशीलता: शहरी गरीबों को पर्यावरणीय जोखिम, सामाजिक बहिष्कार एवं हिंसा का सामना करना पड़ता है। यह भीड़-भाड़ वाली वस्तियों में रहते हैं, जिससे यह असमानता के साथ हाशिये वाले समूहों में शामिल होने के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

    भारत में शहरी गरीबी को दूर करने के कुछ संभावित समाधान:

    • एकीकृत शहरी नियोजन: एकीकृत शहरी नियोजन रणनीतियों को लागू करना चाहिये जो समावेशी विकास, बुनियादी सेवाओं के प्रावधान तथा शहरी गरीबों के लिये किफायती आवास को प्राथमिकता देने पर आधारित हों।
    • आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना: अनौपचारिक क्षेत्र में शहरी गरीबों के लिये स्थायी आजीविका के विकल्प उपलब्ध कराने हेतु कौशल विकास कार्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं उद्यमिता पहलों को बढ़ावा देना चाहिये।
      • महात्मा गांधी राष्ट्रीय शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): रोज़गार के अवसर सृजित करने और शहरी बुनियादी ढाँचे में सुधार हेतु शहरी स्तर पर मनरेगा को लागू करना चाहिये।
        • राजस्थान में शहरों के गरीब और जरूरतमंद परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों के ऑन-डिमांड कार्य के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु शहरी रोज़गार गारंटी योजना शुरू की गई है।
    • सामाजिक सुरक्षा और कल्याण उपाय: शहरी गरीबों को पेंशन एवं स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल करने के साथ आवश्यक सेवाओं और वित्तीय सहायता तक उनकी पहुँच को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • किफायती आवास: स्लम उन्नयन परियोजनाओं में निवेश करने एवं किफायती आवास योजनाओं को बढ़ावा देने के साथ रहने की स्थिति में सुधार करने तथा मलिन बस्तियों के प्रसार को रोकने हेतु पुनर्वास योजनाओं को लागू करना आवश्यक है।
      • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): शहरी गरीबों के लिये किफायती आवास सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री आवास योजना का विस्तार करना चाहिये।
    • लैंगिक रूप से संवेदनशील नीतियों को विकसित करना: ऐसी नीतियों को लागू करना चाहिये जो महिलाओं को सशक्त बनाने एवं संसाधनों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के साथ निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देती हों।

    निष्कर्ष:

    भारत में शहरी गरीबी को दूर करने के लिये एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें शहरी नियोजन, सामाजिक सुरक्षा उपाय, मलिन बस्तियों का उन्नयन, स्वास्थ्य देखभाल एवं शिक्षा सुधार तथा लैंगिक रूप से संवेदनशील नीतियों को विकसित करना शामिल है। इन रणनीतियों और नीतिगत हस्तक्षेपों को लागू करके भारत शहरी गरीबी को कम करने और समावेशी तथा सतत् शहरी विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।

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