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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कट्टरवाद और हिंसक उग्रवादी गतिविधियों का मुकाबला करने में नागरिक समाज तथा स्थानीय समुदायों की क्या भूमिका होती है? आंतरिक सुरक्षा पहलुओं में इन्हें शामिल करने से संबंधित चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    14 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: कट्टरवाद और हिंसक उग्रवाद को परिभाषित करने के साथ आंतरिक सुरक्षा पर इनके प्रभावों को बताते हुए इनका समाधान करने में नागरिक समाज संगठनों (CSOs) की भूमिका को संक्षेप में बताइये।
    • मुख्य भाग: चर्चा कीजिये कि CSOs किस प्रकार से इस तरह के खतरों का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं इसके साथ ही CSOs को आंतरिक सुरक्षा पहलुओं में शामिल करने से संबंधित चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    कट्टरवाद का आशय अतिवादी विचारों को अपनाने के साथ राज्य या समाज के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयों में शामिल होने की प्रक्रिया है। हिंसक उग्रवादी गतिविधियों के तहत राजनीतिक, वैचारिक, या धार्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये हिंसा या धमकी का उपयोग करना शामिल है। कट्टरवाद और हिंसक उग्रवाद दोनों ही आंतरिक सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा पैदा करते हैं क्योंकि ये देश के लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय अखंडता को कमजोर करते हैं।

    आंतरिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये कट्टरपंथ एवं हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में नागरिक समाज और स्थानीय समुदायों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। CSOs को आंतरिक सुरक्षा पहलुओं में शामिल करने से कट्टरता के मूल कारणों को दूर करने, अनुकूल ढाँचा बनाने और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने के क्रम में अद्वितीय अवसर प्राप्त होते हैं।

    मुख्य भाग:

    नागरिक समाज और स्थानीय समुदाय कट्टरवाद का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

    • समाज के विभिन्न समूहों और क्षेत्रों के बीच शांति, सहिष्णुता और विविधता को बढ़ावा देने के लिये मीडिया, शिक्षा, कला, खेल आदि जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करके अतिवादी विचारों के प्रसार को रोका जा सकता है।
      • यह सहानुभूति और जागरूकता पैदा करने के साथ हिंसक उग्रवाद से पीड़ितों की सहायता कर सकते हैं।
    • कट्टरवाद के मूल कारणों को हल करने में सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और सुशासन पर बल देना शामिल है। CSOs द्वारा कमज़ोर समूहों को बुनियादी सेवाएँ, आजीविका के अवसर प्रदान करने के साथ इनका सशक्तिकरण किया जा सकता है।
    • CSOs विभिन्न समुदायों के बीच अंतर-विश्वास, अंतर-सांस्कृतिक और अंतर-पीढ़ीगत संवादों को सुगम बनाकर सामाजिक सामंजस्य, सहिष्णुता एवं संवाद को बढ़ावा दे सकते हैं। यह शांति निर्माण एवं संघर्ष समाधान तंत्र के लिये जमीनी स्तर पर समर्थन भी जुटा सकते हैं।
    • CSOs अपनी क्षमताओं और नेतृत्व कौशल को बढ़ाकर कमज़ोर समूहों को निर्णय लेने और शांति निर्माण में भाग लेने के लिये सशक्त बना सकते हैं।
    • यह चरमपंथियों और उनके परिवारों को सामाजिक सहायता एवं पुनर्वास सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।
    • CSOs व्यक्तियों को हिंसा त्यागने तथा समाज में उन्हें पुन: एकीकृत करने के क्रम में परामर्श, सलाह, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि प्रदान कर सकते हैं। यह मानवाधिकारों की रक्षा के लिये सरकार और अन्य हितधारकों के साथ भी सहयोग कर सकते हैं।

    हालाँकि आंतरिक सुरक्षा के लिये नागरिक समाज एवं स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय में कुछ चुनौतियाँ और अवसर जुड़े हुए हैं जैसे:

    • चुनौतियाँ:
      • सरकार और नागरिक समाज के बीच विश्वास, समन्वय और संचार की कमी
      • नागरिक समाज संगठनों के लिये अपर्याप्त धन और सुरक्षा
      • कानूनी और राजनीतिक बाधाएँ
      • चरमपंथी समूहों या समुदायों की प्रतिक्रिया का जोखिम
    • अवसर:
      • हिंसक उग्रवाद की रोकथाम और मुकाबला करने के प्रयासों की वैधता, प्रभावशीलता और स्थिरता को बढ़ाना
      • नागरिक समाज के स्थानीय ज्ञान, नेटवर्क और प्रभाव का लाभ उठाना
      • विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद, सहयोग और समन्वय के लिये मंच तैयार करना।

    निष्कर्ष:

    नागरिक समाज और स्थानीय समुदाय कट्टरवाद और हिंसक उग्रवादी गतिविधियों का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हें सरकार और अन्य हितधारकों से समर्थन और मान्यता की आवश्यकता है। इनके समन्वय को मज़बूत करने के लिये नियमित परामर्श, पर्याप्त धन, क्षमता निर्माण, संरक्षण, सक्षम कानूनी और राजनीतिक वातावरण, बहु-हितधारक भागीदारी और योगदान को पहचानने की आवश्यकता होती है।

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