इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में जल और ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में बाँधों की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण करते हुए जलवायु परिवर्तन के आलोक में बाँधों के सतत् विकास से संबंधित चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    14 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: भारत की जल और ऊर्जा सुरक्षा में बाँधों के महत्त्व का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • निकाय: बाँधों के सतत विकास से संबंधित विभिन्न चुनौतियों को बताते हुए इन चुनौतियों के समाधान हेतु उपाय बताइये।
    • निष्कर्ष: प्रमुख बिंदुओं को सारांशित करने के साथ आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    बाँध, भारत की जल और ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं क्योंकि इनसे सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन और मनोरंजक गतिविधियों जैसे कई लाभ प्राप्त होते हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार भारत में 5000 से भी अधिक बड़े बाँध हैं जिनकी कुल मिलाकर देश की कुल जल भंडारण क्षमता में लगभग 18% और कुल बिजली उत्पादन में लगभग 13% की भागीदारी है।

    मुख्य भाग:

    हालाँकि बाँधों के सतत् विकास के संदर्भ में कई चुनौतियाँ हैं जैसे:

    • बाँध की विफलता: पुराने बुनियादी ढाँचे, खराब रखरखाव, निर्माण की खामियों, प्राकृतिक खतरों या तोड़फोड़ के कारण बाँध टूटने से विनाशकारी बाढ़ आ सकती है जिससे निम्न स्थल क्षेत्रों को नुकसान पहुँच सकता है।
    • प्राकृतिक जल चक्र पर प्रभाव: प्राकृतिक जल चक्र प्रणाली, जैव विविधता, तलछट परिवहन, जल गुणवत्ता और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर बाँधों के प्रभाव से नदी संसाधनों पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
    • जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: वर्षा के पैटर्न में बदलाव, ग्लेशियर पिघलना, सूखा, बाढ़ और चरम घटनाओं के रूप में बाँधों की भेद्यता से इनकी विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
    • जल को लेकर संघर्ष: विभिन्न जल उपयोगकर्ताओं और हितधारकों के बीच जल उपयोग को लेकर संघर्ष (विशेष रूप से सीमा पारीय नदियों) से राजनीतिक और सामाजिक तनाव पैदा होने के साथ सहयोग और समन्वय बाधित हो सकता है।

    इन चुनौतियों पर काबू पाने तथा बाँधों के सतत् विकास से संबंधित अवसरों का दोहन करने के कुछ संभावित उपाय:

    • बाँध सुरक्षा प्रबंधन के लिये जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाना: जिसमें नियमित बाँध विश्लेषण, परिणाम आकलन, जोखिम मूल्यांकन और मौजूदा तथा नए बाँधों के लिये आपातकालीन कार्य योजना बनाना शामिल है।
    • बाँध परियोजनाओं के लिये पर्यावरण तथा सामाजिक सुरक्षा उपायों को लागू करना: जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, पर्यावरण प्रबंधन योजना, सार्वजनिक परामर्श, पुनर्वास योजना, लाभ-साझाकरण तंत्र एवं शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं।
    • जलवायु परिवर्तन के लिये बाँधों की अनुकूलन क्षमता को बढ़ाना: जिसमें बाँध योजना, डिज़ाइन, संचालन, जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों और अनुमानों जैसे पहलुओं को अपनाना शामिल है इसके साथ ही यह लचीली एवं अनुकूली रणनीतियों को अपनाने एवं जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों तथा प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित हो।
    • बाँधों के लिये एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना: जिसमें विभिन्न क्षेत्रों और उद्देश्यों के बीच समन्वय पर विचार करना, विविध हितधारकों और समुदायों के साथ जुड़ना, संस्थागत क्षमताओं और समन्वय को मजबूत करना तथा क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है।

    निष्कर्ष:

    बाँध, भारत की जल और ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि बाँधों के सतत् विकास के क्रम में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान देना चाहिये। जलवायु अनुकूल उपायों को एकीकृत करके एवं विभिन्न हितधारकों को शामिल करने से भारत में बाँध परियोजनाओं की स्थिरता को बढ़ाया जा सकता है एवं जलवायु परिवर्तन की स्थिति में जल और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2