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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सात महाद्वीपों के निर्माण और विकास हेतु उत्तरदायी प्रमुख विवर्तनिकी और जलवायु कारकों पर चर्चा कीजिये। भू-वैज्ञानिक इतिहास और प्लेट विवर्तनिकी से इनकी भौतिक और पर्यावरणीय विशेषताओं को किस प्रकार आकार मिला है? (250 शब्द)

    08 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सात महाद्वीपों के विकास के लिये उत्तरदायी प्रमुख विवर्तनिकी और जलवायविक कारकों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भू-वैज्ञानिक इतिहास और प्लेट विवर्तनिकी संचलन पर भौतिक और पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव पर प्रकाश डालिये।
    • एक समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    पृथ्वी पर सात महाद्वीपों का एक जटिल भू-वैज्ञानिक इतिहास रहा है जिसने इनकी भौतिक और पर्यावरणीय विशेषताओं को आकार दिया है। महाद्वीपों का निर्माण और विकास विवर्तनिकी और जलवायु कारकों के संयोजन का परिणाम है।

    मुख्य भाग:

    • विवर्तनिकी कारक:
      • प्लेट विवर्तनिकी: पृथ्वी की परत कई प्लेटों में विभाजित है जो निरंतर गति की अवस्था में रहती हैं। यह गति पर्वत श्रृंखलाओं,घाटियों और महासागरीय घाटियों के निर्माण के लिये उत्तरदायी है, जिससे महाद्वीपों को आकार मिलता है। उदाहरण के लिये, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की टक्कर से हिमालय का निर्माण हुआ है जबकि दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी प्लेटों के अलग होने से अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ है।
      • महाद्वीपीय विस्थापन: महाद्वीप स्थिर नहीं हैं बल्कि यह समय के साथ संचलित होते रहते हैं। महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत से पता चलता है कि महाद्वीप कभी एक ही भू-भाग का हिस्सा थे, जो लाखों वर्षों में अलग हो गए। महाद्वीपीय विस्थापन की इस प्रक्रिया ने महाद्वीपों के निर्माण और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
      • ज्वालामुखी: महाद्वीपों के निर्माण में ज्वालामुखी गतिविधि एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है। ज्वालामुखीय विस्फोट से नई भू-आकृतियों जैसे द्वीपों और पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण होने के साथ नई चट्टानों और खनिजों के निर्माण में भी योगदान मिलता है।
    • जलवायु कारक:
      • जलवायु परिवर्तन: पृथ्वी की जलवायु समय के साथ बदलती रहती है, जिसका महाद्वीपों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उदाहरण के लिये अंतिम हिमयुग के दौरान, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बड़े हिस्से बर्फ की चादरों से ढक जाने के कारण भू-परिदृश्य में काफी परिवर्तन हुआ था।
      • महासागरीय धाराएँ: महासागरीय धाराएँ पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिसका महाद्वीपों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। गल्फ स्ट्रीम जैसी गर्म महासागरीय धाराएँ महाद्वीपों के तटों पर गर्म जल और वायु ला सकती हैं, जबकि ठंडी समुद्री धाराएँ शुष्क स्थिति पैदा कर सकती हैं।
      • अपक्षय और अपरदन: अपक्षय और अपरदन ऐसी प्रक्रियाएँ हैं जो समय के साथ पृथ्वी की सतह को आकार देने के साथ चट्टानों को तोड़ने एवं नई भू-आकृतियों का निर्माण करने हेतु उत्तरदायी होती हैं। ये प्रक्रियाएँ जलवायु से प्रभावित होती हैं तथा यह महाद्वीपों पर घाटियों तथा अन्य आकृतियों के निर्माण में योगदान दे सकती हैं।

    भू-वैज्ञानिक इतिहास और प्लेट विवर्तनिकी संचलन ने सात महाद्वीपों की भौतिक और पर्यावरणीय विशेषताओं को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई है। जैसे:

    • पर्वत निर्माण: प्लेट विवर्तनिकी संचलन से महाद्वीपों पर पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ है। ये पर्वत वर्षा, तापमान और वनस्पति जैसे कारकों को प्रभावित करते हुए आसपास के क्षेत्रों की जलवायु और पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। ये खनिजों और अन्य संसाधनों के महत्त्वपूर्ण स्रोत भी होते हैं।
    • महासागरीय बेसिन निर्माण: प्लेट विवर्तनिकी से महासागरीय बेसिनों का भी निर्माण होता है। जिसका महासागरों की सीमा वाले महाद्वीपों की जलवायु और पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिये, अटलांटिक महासागर का यूरोप और अफ्रीका की जलवायु पर काफी प्रभाव पड़ा है, जबकि प्रशांत महासागर ने एशिया और अमेरिका की जलवायु को प्रभावित किया है।
    • समुद्र के जल स्तर में परिवर्तन: पृथ्वी के पूरे कालक्रम में प्लेट विवर्तनिकी संचलन और जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न कारकों से समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और गिरावट देखी गई है। इन परिवर्तनों का महाद्वीपों को आकार देने के साथ इनकी विशेषताओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है जिससे नई तटरेखाएँ बन सकती हैं और अपक्षय और अपरदन जैसे कारक भी प्रभावित हो सकते हैं।

    निष्कर्ष:

    सात महाद्वीपों के निर्माण और विकास में प्लेट विवर्तनिकी, जलवायु परिवर्तन, ज्वालामुखी, समुद्री धाराओं और अपक्षय तथा अपरदन सहित विभिन्न कारकों का प्रभाव रहा है। इन प्रक्रियाओं ने लाखों वर्षों में महाद्वीपों को प्रभावित किया है जिससे पर्वत निर्माण, महासागर बेसिन निर्माण, समुद्र स्तर में परिवर्तन और अन्य भौतिक तथा पर्यावरणीय विशेषताओं पर प्रभाव पड़ा है। इन प्रक्रियाओं को समझकर हम महाद्वीपों के इतिहास और भविष्य के संदर्भ में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के साथ इस ग्रह की गतिशील और निरंतर बदलती प्रकृति की बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।

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