इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल के दिनों में भारतीय राजनीति में विधायी प्रक्रिया की उपेक्षा करने के क्रम में अध्यादेशों के उपयोग की प्रवृत्ति में वृद्धि देखी गई है। देश के शासन पर इस प्रवृत्ति के प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    28 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अध्यादेश का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • अध्यादेशों की बढ़ती संख्या के कारणों और शासन पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • भारत का संविधान कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियों को निर्धारित करता है। इसमें विधायिका को कानून बनाने और कार्यपालिका को उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।
      • हालाँकि हाल के दिनों में भारतीय राजनीति में विधायी प्रक्रिया की उपेक्षा करने के क्रम में अध्यादेशों के उपयोग की प्रवृत्ति में वृद्धि देखी गई है।
      • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
        • अध्यादेश एक ऐसा कानून है जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर तब प्रख्यापित किया जाता है, जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है।
        • अध्यादेशों का बढ़ता उपयोग कानून निर्माण में विधायिका की भूमिका को कमजोर बनाता है, लोकतांत्रिक सिद्धांतों को धूमिल करता है और लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

    मुख्य भाग:

    • अध्यादेशों के बढ़ते उपयोग के कारण:
      • भारत सरकार कई कारणों से विधायी प्रक्रिया की उपेक्षा करते हुए अध्यादेशों का उपयोग कर रही है।
        • अध्यादेशों का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं या सुरक्षा खतरों जैसी आपात स्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिये किया जा सकता है।
        • विपक्षी दलों की असहमति या रुकावट के कारण विधायी प्रक्रिया में देरी से बचने के लिये अध्यादेशों का उपयोग किया जा सकता है।
        • इसके साथ ही अध्यादेशों का उपयोग ऐसे नीतिगत निर्णयों को लागू करने के लिये किया जा सकता है जो विवादास्पद हैं और विधायिका में पारित नहीं हो सकते हैं।
        • अध्यादेशों का उपयोग संसद के ऊपरी सदन (राज्यसभा) की कार्रवाई से बचने के लिये किया जा सकता है जिसमें अधिकांशतः सत्तासीन सरकार के पास बहुमत नहीं होता है।
    • लोकतंत्र और शासन पर इसका प्रभाव:
      • अध्यादेशों के बढ़ते उपयोग से भारत में लोकतंत्र और शासन पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
        • सबसे पहले इससे विधि निर्माण में विधायिका की भूमिका कमजोर होती है। अध्यादेश अस्थायी उपाय के रूप में होते हैं और संसद के पुन: समवेत होने के छह सप्ताह के भीतर संसद द्वारा इसकी पुष्टि करने की आवश्यकता होती है।
          • हालाँकि सरकार द्वारा विधायिका की पूरी तरह से उपेक्षा करते हुए कानून बनाने की एक नियमित विधि के रूप में अध्यादेशों का उपयोग करने से शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत कमजोर होता है और लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही में कमी आती है।
        • इसके साथ ही अध्यादेशों के बढ़ते प्रयोग से लोकतांत्रिक सिद्धांत नष्ट होते हैं।
          • भारत के संविधान में जाँच और संतुलन की एक ऐसी प्रणाली की परिकल्पना की गई है जिसमें कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को पृथक शक्तियाँ प्राप्त हैं तथा कोई भी इकाई दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
            • अध्यादेशों के बढ़ते उपयोग से यह सिद्धांत कमजोर होता है और इससे कार्यपालिका के हाथों में अधिक शक्ति केंद्रित होती है।
          • अध्यादेशों के बढ़ते प्रयोग से लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही में कमी आती है।
            • अध्यादेशों को विधायिका की बहस के बिना प्रख्यापित किया जाता है, जो कि ऐसा मंच है जहाँ लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि सवाल कर सकते हैं और सरकार को जवाबदेह ठहरा सकते हैं।
            • अध्यादेशों के माध्यम से विधायिका की उपेक्षा करने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के विश्वास में कमी आती है और सरकार लोगों के प्रति कम जवाबदेह बनती है।

    निष्कर्ष:

    • विधायी प्रक्रिया की उपेक्षा करने के क्रम में अध्यादेशों का बढ़ता उपयोग भारतीय राजनीति में एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। अध्यादेशों का आशय आपात स्थितियों से निपटने के लिये अस्थायी उपाय से है लेकिन सरकार इन्हें कानून निर्माण की एक नियमित विधि के रूप में उपयोग करती रही है।
      • इससे कानून निर्माण में विधायिका की भूमिका कमजोर होती है, लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर प्रश्नचिन्ह लगता है तथा लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही में कमी आती है। सरकार को केवल आपात स्थितियों में ही अध्यादेशों का उपयोग करना चाहिये और लोगों की आकांक्षा को दर्शाने वाले कानूनों को लागू करने के लिये विधायी प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिये।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2