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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग की अवस्थिति हेतु उत्तरदायी कारकों का विश्लेषण कीजिये। इस उद्योग ने भारत की आर्थिक संवृद्धि और विकास में किस प्रकार योगदान दिया है? (250 शब्द)

    27 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग की अवस्थिति के लिये उत्तरदायी कारकों की चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • भारत की आर्थिक संवृद्धि और विकास में इसके योगदान की चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • सॉफ्टवेयर उद्योग का भारत की आर्थिक संवृद्धि और विकास में प्रमुख योगदान रहा है। भारत सॉफ्टवेयर विकास और आउटसोर्सिंग के लिये विश्व के अग्रणी देशों में से एक के रूप में उभरा है। भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग की देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्त्वपूर्ण भागीदारी है।
      • NASSCOM (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के वित्त वर्ष 2021-22 में 12-14% की दर से बढ़ने की उम्मीद है और वर्ष 2025 तक इसके 194 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। इस वर्ष भी भारत का सॉफ्टवेयर निर्यात (156 बिलियन अमेरिकी डॉलर) सऊदी अरब द्वारा निर्यात किये जाने वाले तेल के मूल्य (135 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है।

    मुख्य भाग:

    • भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग की अवस्थिति हेतु उत्तरदायी कारक:
      • मानव पूंजी: भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग की अवस्थिति हेतु उत्तरदायी प्राथमिक कारकों में से एक इसकी कुशल और योग्य मानव पूंजी है।
        • भारत में कई तकनीकी विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं जिनसे बड़ी संख्या में कुशल इंजीनियर, कंप्यूटर विज्ञान स्नातक और अन्य आईटी पेशेवर निकलते हैं।
          • भारत में शिक्षा की गुणवत्ता और कुशल मानव संसाधनों की उपलब्धता ने इसे सॉफ्टवेयर विकास और आउटसोर्सिंग के लिये एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है।
      • लागत प्रभावी होना: भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग की अवस्थिति हेतु उत्तरदायी एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक इसका लागत प्रभावी होना है।
        • भारत में श्रम और बुनियादी ढाँचा विकसित देशों की तुलना में सस्ता है, जिससे यह सॉफ्टवेयर विकास और आउटसोर्सिंग के लिये लागत प्रभावी स्थान बन गया है।
          • इसके कारण कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने सॉफ्टवेयर विकास केंद्र स्थापित करने के लिये आकर्षित हुई हैं।
      • सरकारी सहायता: भारत सरकार देश में सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है।
        • सरकार ने भारत में सॉफ्टवेयर कंपनियों को आकर्षित करने के लिये कर लाभ, सब्सिडी और बुनियादी ढाँचा समर्थन जैसे विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान किये हैं।
          • इससे भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने में मदद मिली है।
      • अंग्रेजी भाषा: भारत में अंग्रेजी भाषा जानने वाले लोगों की उपलब्धता से सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास में योगदान मिला है।
        • भारत एक ऐसा देश है जहाँ अंग्रेजी भाषा व्यापक रूप से बोली और पढ़ाई जाती है।
          • इसने भारतीय आईटी पेशेवरों के लिये अंग्रेजी बोलने वाले देशों के ग्राहकों के साथ संवाद करना और कार्य करना आसान बना दिया है, जिससे भारत सॉफ्टवेयर विकास और आउटसोर्सिंग के लिये एक आकर्षक स्थान बन गया है।
    • भारत की आर्थिक संवृद्धि और विकास में सॉफ्टवेयर उद्योग का योगदान:
      • रोज़गार सृजन: भारत में रोज़गार सृजन में सॉफ्टवेयर उद्योग का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
        • इस उद्योग ने भारत में कुशल पेशेवरों के लिये रोज़गार के कई अवसर सृजित किये हैं जिससे देश भर में लाखों लोगों को रोज़गार मिला है।
      • विदेशी मुद्रा का आगमन: भारत में विदेशी मुद्रा के आगमन में सॉफ्टवेयर उद्योग का प्रमुख योगदान रहा है।
        • भारत का सॉफ्टवेयर निर्यात तीव्र गति से बढ़ रहा है, जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
      • आर्थिक विकास: सॉफ्टवेयर उद्योग ने भारत के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
        • इस उद्योग ने देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है जिसका भारत के समग्र आर्थिक विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
      • तकनीकी प्रगति: सॉफ्टवेयर उद्योग भारत में तकनीकी प्रगति लाने में सहायक रहा है।
        • इस उद्योग ने स्वदेशी तकनीक को विकसित करने और बढ़ावा देने में मदद की है, जिससे देश के प्रौद्योगिकी क्षेत्र का विकास हुआ है।

    निष्कर्ष:

    • सॉफ्टवेयर उद्योग का भारत की आर्थिक संवृद्धि और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके अलावा इस उद्योग को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिये नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान देना जरूरी है। ग्राहकों की बदलती मांगों को पूरा करने एवं अत्याधुनिक तकनीकों और समाधानों को विकसित करने हेतु कंपनियों को विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिये।
    • अंततः इस उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने, विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने और समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योगदान देकर स्थिरता और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर बल देना चाहिये।

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