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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelliegence-AI) में अपार वैज्ञानिक क्षमता होने के बावजूद, इसके उदय से विभिन्न चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    14 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपने उत्तर की शुरूआत कीजिये।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • इसकी चुनौतियों के समाधान के लिये कुछ उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उन कार्यों को पूरा करने वाली मशीनों की क्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिनके लिये ऐतिहासिक रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
    • इसमें मशीन लर्निंग, पैटर्न रिकग्निशन, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क, सेल्फ-एल्गोरिदम आदि जैसी तकनीकें शामिल हैं।
    • उदाहरण: एलोन मस्क द्वारा सह-स्थापित एक नवोदित स्टार्ट-अप कंपनी न्यूरालिंक जो मानव शरीर के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एकीकरण पर काम कर रही है। उन्होंने एक चिप विकसित की है जो 96 छोटे, बहुलक धागे की एक सरणी है, प्रत्येक में 32 इलेक्ट्रोड होते हैं और इसे मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जहाँ एक व्यक्ति मस्तिष्क की गतिविधि को रिकॉर्ड कर सकता है और संभावित रूप से इसे उत्तेजित कर सकता है।
    • इसके अलावा, मानव जीवन और अर्थव्यवस्था पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव आश्चर्यजनक रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्ष 2030 तक विश्व अर्थव्यवस्था में लगभग 15.7 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दे सकता है।

    मुख्य भाग

    • पुलिसिंग में: भारत में अभी भी एक पारंपरिक पुलिसिंग है। एआई आधारित उत्पाद भारत में पूर्वानुमानित पुलिसिंग करने के एक नए अवसर प्रदान करते हैं। एआई की मदद से कोई भी अपराध के पैटर्न का अनुमान लगा सकता है, बहुत सारे सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण कर सकता है जो संदिग्धों की पहचान करने के लिये देश भर में उपलब्ध हैं।
      • सरकार सभी रिकॉर्ड (विशेष रूप से अपराध रिकॉर्ड) का डिजिटलीकरण कर रही है; वह इसे CCTNS नामक एक ही स्थान पर एकत्र कर रही है जहाँ किसी अपराधी या संदिग्ध की तस्वीरों, बायोमीट्रिक्स या आपराधिक इतिहास सहित सभी डेटा उपलब्ध हैं।
    • कृषि में: इसके कई उपयोग हैं, उदाहरण के लिये यह समझने में मदद कर सकता है कि फसल को कितने पानी की ज़रूरत है।
      • उपलब्ध संसाधनों के कुशल उपयोग जैसे जटिल मुद्दों को हल करने के लिये इसका उपयोग किया जा सकता है।
    • डेटा का विश्लेषण: एआई तकनीक डेटा का विश्लेषण करने में मदद करती है और इस प्रकार कारों, मोबाइल उपकरणों, मौसम की भविष्यवाणी, वीडियो और प्रतिरूप विश्लेषण में बिजली प्रबंधन जैसी प्रणालियों की दक्षता में सुधार कर सकती है।
    • चुनौतियाँ:
      • पूर्वाग्रह की समस्या: एआई सिस्टम की अच्छी या बुरी प्रकृति वास्तव में उस डेटा की मात्रा पर निर्भर करती है जिस पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। अतः अच्छा डेटा हासिल करने की क्षमता ही भविष्य में अच्छे एआई सिस्टम का समाधान है। लेकिन, वास्तव में संगठन रोज़मर्रा का जो डेटा एकत्र करते हैं, वह बहुत कम होता है और इसका अपना कोई महत्त्व नहीं होता है।
      • डेटा, ज्ञान, प्रौद्योगिकी तक पहुँच: आज के आपस में जुड़े विश्व में कंपनियों का एक बेहद छोटा समूह बड़ी मात्रा में डेटा इकट्ठा कर रहा है। इस समेकित डेटा तक पहुँच से न केवल किसी व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों, अंतःक्रियाओं आदि के विषय में जानकारी मिल सकती है, बल्कि स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त या अस्पष्ट रूप से चिह्नित रुचियों के संदर्भ में भी सेंध लगाई जा सकती है। इस डेटा के माध्यम से कोई भी हमारी गतिविधियों, अतीत और पैटर्न अथवा किसी के सामान्य जीवन के प्रतिरूप के विषय में किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर सकता है।
      • गोपनीयता: किसी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों के डेटा तक अवैध पहुँच की संभावना के मद्देनज़र देखें तो यह निजता के अधिकार के लिये जोखिम की स्थिति तैयार करती है। इससे न केवल ऑनलाइन, बल्कि किसी ऑफलाइन उपयोगकर्त्ता का (जिसने सोच-समझ कर ‘डिसकनेक्टेड’ रहने का निर्णय लिया हो) निजता का अधिकार भी खतरे में पड़ सकता है। उदाहरण के लिये, यदि कोई ‘डिसकनेक्टेड यूज़र’ नवविकसित स्मार्ट सिटी में किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि कर रहा हो तो उसका इस दायरे से बच पाना कठिन है।
      • तकनीकी बेरोज़गारी: यह वह बेरोज़गारी है जो नई प्रौद्योगिकियों के आने से उत्पन्न हो सकती है, अर्थात् AI युक्त मशीनों या प्रणालियों के आने से होने वाला रोज़गार प्रतिस्थापन।
        • इससे कार्यबल और बाज़ारों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आएंगे; कुछ तरह की कार्य-भूमिकाएँ और रोज़गार चलन से बाहर हो जाएंगे, कुछ उद्योगों का मौलिक स्वरूप बदल जाएगा तथा रोज़गार प्रारूप और संबंध पुनर्परिभाषित हो सकते हैं।
      • सुरक्षा: सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण पहलू है,  अगर कोई ‘स्मार्ट’ तकनीकी से समझौता करता है, उदाहरण के लिये एक स्वायत्त कार, तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं, विशेष रूप से बढ़ते साइबर सुरक्षा खतरे को देखते हुए।
        • घातक स्वचालित हथियार तक पहुँच:
          • सैन्य संदर्भों में निर्णय लेने की यह स्वायत्तता बेहद घातक सिद्ध हो सकती है। भविष्य के उन्नत रोबोट प्रणालियों से संचालित होने वाले घातक स्वचालित हथियार जब मानव हस्तक्षेप या स्वीकृति के बिना ही लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम होंगे, तो स्थिति की भयावहता की सहज ही कल्पना की जा सकती है।

    निष्कर्ष

    • AI प्रौद्योगिकीय क्रांति समृद्धि और विकास के तो बेहतर अवसर प्रस्तुत करती है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रौद्योगिकी का सही दिशा में अनुप्रयोग और उपयोग किया जाएगा।
      • इस संबंध में विश्व के विभिन्न हिस्सों में पहले से ही कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे Explainable AI (XAI) का प्रयोग और व्याख्या का अधिकार (Right to Explanation), जो AI के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले मॉडलों को समझने (और यह समझने कि वे कोई विशेष निर्णय कैसे लेते हैं, जिसे यूरोपीय संघ के ‘GDPR—General Data Protection Regulation’ द्वारा आवश्यक बनाया गया है) का अवसर देता है।
      • यह भी कहा जा सकता है कि AI पर AI Effect अथवा Odd Paradox का प्रभाव हो सकता है, अर्थात् AI एक नई प्रौद्योगिकी को जनसामान्य तक पहुँचाता है और लोग इस प्रौद्योगिकी के अभ्यस्त हो जाते हैं। इसके बाद इसे AI की तरह नहीं देखा जाता और फिर एक अगली नई प्रौद्योगिकी का चक्र शुरू हो जाता है।

    यह कहा जा सकता है कि AI और AI-आधारित अनुप्रयोगों के विकास पर अंकुश नहीं लगाया जाना चाहिये, लेकिन इसके विकास और उपयोग के विभिन्न स्तरों की निगरानी और विनियमन की व्यवस्था बनी रहनी चाहिये।

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