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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व उन समस्त चीज़ों के लिये पर्याप्त है जो कॉर्पोरेट नैतिकता के लिये आवश्यक है? समाचोलनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    09 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) की अवधारणा को बताइये।
    • सी.एस.आर. का अनुपालन कैसे कॉर्पोेरेट नैतिकता की गारंटी नहीं देता है को बताइये।
    • सी.एस.आर. की अवधारणा को गांधी जी के ट्रस्टीशिप तथा समाज एवं प्रकृति के प्रति कॉर्पोेरेट क्षेत्र की ज़िम्मेदारी के साथ जोड़कर बताइये।

    उत्तर: कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय किसी औद्योगिक इकाई का उसके सभी पक्षकारों, जैसे- संस्थापकों, निवेशकों, ऋणदाताओं, प्रबंधकों, कर्मचारियों, आपूर्त्तिकर्ताओं, ग्राहकों एवं स्थानीय जनता तथा पर्यावरण आदि के प्रति नैतिक दायित्व से है। भारत विश्व का पहला देश है जिसने सी.एस.आर. को कानूनी वैधता प्रदान की है। भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत औद्योगिक इकाइयों को अपने शुद्ध लाभ का 2% तक शिक्षा, स्वास्थ्य, भूख, गरीबी तथा लैंगिक समानता जैसे मदों में निवेश करने का सामाजिक दायित्व दिया है।

    वर्तमान में कई कंपनियों द्वारा सी.एस.आर. परियोजनाओं के माध्यम से समाज में अभूतपूर्व बदलाव लाए गए हैं, जैसे- महिंद्रा एवं महिंद्रा ग्रुप, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन तथा टाटा ग्रुप आदि औद्योगिक इकाइयों ने शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कार्य किये हैं। हालाँकि कंपनियों द्वारा सी.एस.आर. मानकों को पूरा करना ही कॉर्पोरेट नैतिकता का एकमात्र मानक नहीं हो सकता। इस बात की पर्याप्त संभावना है कि कंपनियों का सी.एस.आर. रिकॉर्ड शत प्रतिशत अच्छा हो और वे व्यवसाय की अनैतिक प्रथाओं, जैसे- चोरी, पेक विज्ञापन तथा पेक उत्पादों आदि में संलग्न हों।

    वस्तुत: सी.एस.आर. औद्योगिक समूहों के लिये मात्र एक कानूनी बाध्यता है, न कि नैतिक बाध्यता। ऐसे में आवश्यक है कि कंपनियाँ स्वयं आगे आकर व्यावसायिक नैतिकता का परिचय दें और समाज एवं पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करें जैसा कि टाटा समूह ने मुंबई ऑफिस के आस-पास के लावारिस कुत्तों के लिये एक आवास बनाकर किया।

    गौरतलब है कि भारत में सी.एस.आर. की अवधारणा गांधी जी के ट्रस्टीशिप के विचारों के अनुरूप प्रतीत होती है जिसमें उन्होंने कल्पना की थी कि औद्योगिक इकाइयों की सफलता के माध्यम से लोगों एवं समुदायों का कल्याण किया जा सकता है। वर्तमान में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या एवं पर्यावरणीय संकट के दौर में भारत को सी.एस.आर. जैसे मानकों की आवश्यकता है जिसके लिये औद्योगिक क्षेत्र को आगे आकर सिर्फ विधिक दायित्व को समझकर सामाजिक दायित्व के रूप में व्यावसायिक नैतिकता के मानकों को अपनाना चाहिये।

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