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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विश्व भर में आतंकी वित्तपोषण को नियंत्रित करने में अंतर्राष्ट्रीय संगठन एवं सांगठनिक सहयोग किस सीमा तक प्रभावी हैं? (150 शब्द)

    18 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ‘आतंकी वित्तपोषण’ पद की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
    • आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने की आवश्यकता को बताइये।
    • आतंकी वित्तपोषण को नियंत्रित करने में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा सांगठनिक सहयोग की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    आतंकी वित्तपोषण में व्यक्तिगत आतंकवादियों या नॉन-स्टेट एक्टर को वित्त या वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। धन के बिना आतंकवादी हथियार, उपकरण, सामग्री या सेवाओं का क्रय नहीं कर सकते हैं। आतंकी कोष का स्रोत विधिसंगत या विधि विरुद्ध हो सकता है तथा इसे आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जिसमें नशीली दवाओं या हथियारों की तस्करी, जबरन वसूली और फिरौती के लिये अपहरण भी शामिल हैं।

    आतंकी वित्तपोषण से न केवल आंतरिक सुरक्षा के लिये संकट है, बल्कि यह आर्थिक विकास व वित्तीय बाज़ार की स्थिरता को भी कमज़ोर कर सकता है। इस प्रकार निम्नलिखित कारणों से आतंकवादियों को प्राप्त हो रहे धन के प्रवाह को रोकना सबसे आवश्यक है:

    • आतंकवादी संगठनों के लिये धन के प्रवाह को रोकना और बाधित करना आतंकवाद से लड़ने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
    • धन के लेन-देन का आसानी से लेन-देन, निकासी के माध्यम से पता लगाया जा सकता है, जो न केवल भविष्य के आतंकी हमलों को रोक सकता है बल्कि आगे की जाँच के लिये अंतर्दृष्टि भी प्रदान कर सकता है।
    • आतंकवादी व आतंकवादी समूह विभिन्न साधनों के प्रयोग कर धन जुटाना जारी रखते हैं, देशों को आतंकी वित्तपोषण से घटित हो सकने वाले जोखिमों को समझने के लिये इसे प्राथमिकता देनी चाहिये और इसके सभी पहलुओं पर नीतिगत प्रतिक्रियाएँ भी विकसित करनी चाहिये।

    ऐसे कई निकाय तथा सहकार्य संगठन हैं, जो धनशोधन को रोकने के लिये आतंकी वित्तपोषण (एम.एल./टी.एफ.) का मुकाबला करने के लिये विशेषज्ञता और वित्तीय खुफिया जानकारी के सुरक्षित आदान-प्रदान के लिये एक मंच प्रदान करने के लिये काम कर रहे हैं। इसमें वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफ.ए.टी.एफ.), एग्मोंट ग्रुप की वित्तीय खुफिया इकाई, मनी लॉण्ड्रिंग पर एशिया-प्रशांत समूह (ए.पी.जी.), यू.एन.एस.सी. संकल्प 2462 आदि शामिल हैं।

    आतंकी वित्तपोषण से निपटने में इन निकायों एवं सांगठनिक सहयोग की भूमिका:

    • ये संगठन आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं तथा वैश्विक धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला (ए.एम.एल./सी.एफ.टी.) मानकों के अनुसार वित्तीय जानकारी साझा करने के लिये एक विश्वसनीय मंच के रूप में उभरे हैं।
    • ये धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिये अंतरराष्ट्रीय मानकों को संहिताबद्ध करने में सहायता प्रदान करते हैं।
    • ये एफ.ए.टी.एफ. मानकों के अनुपालन का आकलन एवं निगरानी करते हैं।
    • ये धनशोधन तथा आतंकी वित्तपोषण विधियों, प्रवृत्तियों एवं तकनीकों से संबंधित अध्ययन करने में सहायता प्रदान करते हैं और इस प्रकार नए व उभरते संकटों का जवाब देने में मदद करते हैं, जैसे- परमाणु, रासायनिक एवं जैविक हथियारों के प्रसार को बढ़ावा देने के लिये प्रयोग किया जाने वाला प्रसार वित्तपोषण।

    हालाँकि वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने में कई महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ निहित हैं तथा विभिन्न सुझाव/सिफारिशें वर्तमान में कागज़ तक सीमित हैं।

    इससे संबंधी चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं: 

    • पहला, आतंकवाद के उन्मूलन पर एक विश्वस्तरीय समझौते का अभाव, जो एक ठोस वैश्विक प्रतिक्रिया तैयार करने के प्रयासों को क्षीण करता है।
    • दूसरा, बहुपक्षीय कार्रवाई विद्यमान साधनों के अपर्याप्त अनुपालन तथा प्रवर्तन से ऋणात्मक रूप से प्रभावित है।
    • तीसरा, यद्यपि कट्टरता-रोधी और विचलन ने पिछले पाँच वर्षों में कुछ ध्यान आकर्षित किया है, विशेष रूप से सीमित संसाधनों और विशेषज्ञता वाले राज्यों के विकास में अवरोध व्याप्त है।
    • आतंकवाद-रोधी शासन में आतंकवाद प्रतिबंध और प्रतिक्रिया के लिये समर्पित एक केंद्रीय वैश्विक निकाय का अभाव है। आतंकवाद-रोधी गतिविधियों के लिये परिदृश्य में सुसंगतता का अभाव है।

    सभी राष्ट्रों को आतंकी वित्तपोषण के रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को प्रतिकूल बनाने का संकल्प करना चाहिये। संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये दृढ़ प्रयासों एवं व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिये। प्रत्येक हितधारकों को उनके क्षेत्रों से आतंकवादी नेटवर्क एवं कार्यों के वित्तपोषण को रोकने के लिये दायित्व सौंपा जाना चाहिये।

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