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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विमानन क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार विकास देखा है, हालांकि इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

    12 Jan, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हाल के वर्षों में विमानन क्षेत्र में हो रही प्रगति के संदर्भ में भूमिका लिखिये।
    • विमानन क्षेत्र को प्रभावित करने वाली विभिन्न चुनौतियों को बताइये।
    • विमानन क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    वर्तमान समय में भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग तीव्रता से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा घरेलू उड्डयन बाज़ार बनकर उभरा है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यात्री यातायात वर्ष 2001 में 14 मिलियन से बढ़कर 2017 में 140 मिलियन हो गया, जिसके वर्ष 2040 तक 1.1 बिलियन तक होने की संभावना है। भारतीय नागर विमानन उद्योग अपने विस्तार के अभूतपूर्व दौर से गुज़र रहा है, जहाँ एक तरफ तो इस क्षेत्र में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय एयरलाइंस विभिन्न संरचनात्मक चुनौतियों से गुज़र रही है, जिसके कारण इसका संचालन सुचारु रखना मुश्किल हो रहा है।

    भारत में विमानन क्षेत्र को प्रभावित करने वाली समस्याएँ

    • नीतिगत विफलता: सरकारें एयरलाइन उद्योग हेतु एक सफल दीर्घकालिक नीति के निर्माण में असफल रही हैं।
    • कर की उच्च दरें: टर्बाइन ईंधन, विमानों का रखरखाव, मरम्मत तथा ओवरहाल सेवाओं पर भारत में कर की दरें अत्यधिक उच्च हैं।
    • रपए के मूल्य में कमी: एयरलाइंस जब से सेवा प्रदायिता हेतु डॉलर में भुगतान कर रही है तब से रपए का मूल्य ह्रास तथा रपए की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव का इस उद्योग की लाभ प्रदायिता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • मूल्य संवेदनशील बाज़ार: भारत एक मूल्य संवेदनशील बाज़ार है, जहाँ प्रतिस्पर्द्धी एयरलाइंस को टिकट मूल्य में वृद्धि करने में मुश्किल होती है।
    • विमानन कंपनियों में कुप्रबंधन: कुछ विमानन कंपनियाँ अक्षम प्रबंधन की भेंट चढ़ रही हैं। ये कंपनियाँ गैर-आर्थिक कीमतों पर अधिक क्षमताओं का सृजन कर लेती हैं, जैसे- वे आवश्यकता से अधिक विमान खरीद लेती हैं और इसके लिये बैंकों से अधिक ब्याज दरों पर ऋण लेती हैं, जिससे ये ऋण के दुश्चव्र में पँस जाती हैं।
    • कंपनियों के हर स्तर पर प्रभावी संवाद की कमी: दूरदर्शिता का अभाव, कमज़ोर प्रबंधन, अपर्याप्त जोखिम प्रबंधन, पूंजी की कमी, लचर वित्तीय प्रबंधन, कर्मचारियों की उपेक्षा आदि अन्य कारण हैं।
      • विमानन क्षेत्र एक पूंजी सघन क्षेत्र है, किंतु भारत में इस क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के लिये मात्र 49% निवेश की अनुमति है, जो कि इस क्षेत्र के विकास को बाधित करती है।

    वर्तमान समय में भारत वैश्विक स्तर पर लगभग सभी क्षेत्रों में तीव्रता से उभर रहा है। ऐसे में विमानन क्षेत्र की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देने के साथ-साथ प्रमुख रोज़गार प्रदाता भी है। इसलिये इस क्षेत्र के सतत् विकास के लिये राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 एक सराहनीय कदम है। इस क्षेत्र में अन्य संरचनात्मक सुधार भी किये जाने की आवश्यकता है, जो कि इस क्षेत्र की प्रगति सुनिश्चित करेंगे।

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