इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के भूवैज्ञानिक और पुरापाषाणकालीन साक्ष्यों की व्याख्या कीजिये।

    09 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    दृष्टिकोण

    • महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत पर संक्षेप में चर्चा करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के विभिन्न प्रमाणों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर द्वारा दिया गया था। इसके अनुसार पूर्व में सभी महाद्वीप एक बड़े भूखंड से जुड़े हुए थे। यह भूखंड एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था। इस बड़े महाद्वीप को पैंजिया और बड़े महासागर को पैंथालसा नाम दिया गया।

    20 करोड़ वर्षों पहले पैंजिया विभाजित होकर लारेशिया और गोंडवाना लैंड नामक दो बड़े भूखंडों में विभक्त हुआ, और बाद में ये खंड विभक्त होकर आज के महाद्वीपों के रूप में परिवर्तित हो गए।

    महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के साक्ष्य:

    तटरेखाओं के आकार में समानताएँ: वेगनर के अनुसार अंध महासागर के दोनों तटों पर भौगोलिक एकरूपता पाई जाती है। वेगनर ने इसे ‘साम्य की स्थापना’ (zigsaw-Fit) का नाम दिया। भूगर्भिक प्रमाणों के आधार पर अंध महासागर के दोनों तटों के कैलिडोनियन तथा हर्सीनियन पर्वत क्रमों में समानता पाई जाती है। महासागर के दोनों तटों पर चट्टानों में पाए जाने वाले जीवावशेषों तथा वनस्पतियों के अवशेषों में भी पर्याप्त समानता पाई जाती है।

    समान ऑरोजेनिक बेल्ट: यदि दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तट और अफ्रीका के पश्चिमी तट को एक साथ फिट किया जाता है तो यहाँ दो महाद्वीपों के एक से ऑरोजेनिक बेल्ट मिलते हैं जिनकी आयु समान और संरचनात्मक प्रवृत्ति भी समान होती है।

    उदाहरण के लिये घाना में अकरा (पश्चिम अफ्रीका) के पास 2000 मिलियन वर्ष पुरानी चट्टानों और आज की नवीन (लगभग 400 मिलियन वर्ष पुरानी) चट्टानों के बीच एक स्पष्ट सीमा है।

    परमो-कार्बोनिफेरस हिमनद: यदि आज उपस्थित भूखंड हमेशा से ही उष्णकटिबंधीय अक्षांश में होते तो इसका मतलब यह होता कि हिमनद ध्रुवीय क्षेत्रों से भूमध्य रेखा तक फैले हुए हैं।

    यह विचार स्पष्ट रूप से गलत है। इस पहेली की एकमात्र व्याख्या यह है कि इन सभी महाद्वीपों को एक साथ मिलाकर एक ही भूभाग बनाया गया था।

    महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता- 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की एक पट्टी ब्राज़ील तट और पश्चिमी अफ्रीका के तट पर मिलती है, जो आपस में मेल खाती है।

    भारत में पाए जाने वाले गोंडवाना श्रेणी के तलछटों के प्रतिरूप दक्षिणी गोलार्द्ध के छः विभिन्न स्थलखण्डों में मिलते हैं। इसी क्रम के प्रतिरूप अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मैडागास्कर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया में मिलते हैं।

    घाना तट पर सोने के बड़े निक्षेप तथा ब्राज़ील में भी सोनायुक्त शिराओं का पाया जाना आश्चर्यजनक तथ्य है।

    जीवाश्मों का वितरण- मेसोसारस नामक छोटे रेंगने वाले जीव केवल उथले खारे पानी में रह सकते थे। इनकी अस्थियाँ केवल दक्षिण अफ्रीका के दक्षिणी केप प्रांत और ब्राज़ील में इरावर शैल समूह में ही मिलती हैं। ये दोनों स्थान आज एक दूसरे से 4800 किमी दूर हैं।

    निष्कर्ष

    यदि समुद्र तल के प्रसार के प्रमाण और प्लेट विवर्तनिकी के प्रमाणों को तर्क में जोड़ दिया जाए तो महाद्वीपीय विस्थापन को एक स्थापित यथार्थ माना जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow