इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    साइबर अपराध के विभिन्न प्रकारों और इस खतरे से लड़ने के लिये आवश्यक उपायों की विवेचना कीजिये। (150 शब्द) (UPSC GS-3 Mains 2020)

    16 Feb, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • साइबर अपराध का अर्थ संक्षिप्त में बताते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों और उनसे निपटने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा करें।
    • उचित निष्कर्ष दें।

    साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है, जहाँ कंप्यूटर या इंटरनेट को अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है। वर्तमान में अधिकतर व्यक्ति, व्यवसाय और देश साइबर अपराध से उच्च स्तर पर प्रभावित हैं।

    साइबर अपराध के प्रकार

    वितरित डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) अटैक: इसका उपयोग ऑनलाइन सेवा को बाधित करने के लिये किया जाता है और एस प्रकार विभिन्न साधनों के ज़रिये नेटवर्क साइट पर बाधा उत्पन्न की जाती है।

    बोटनेट: बोटनेट कंप्यूटर से जुड़े हुए नेटवर्क होते हैं जिन्हें रिमोट हैकर्स द्वारा बाह्य रूप से नियंत्रित किया जाता है। हैकर्स इन बोटनेट्स के ज़रिये स्पैम भेजते हैं या दूसरे कंप्यूटरों पर हमला करते हैं।

    पहचान की चोरी: यह साइबर अपराध तब किया जाता है जब एक अपराधी उपयोगकर्त्ता की व्यक्तिगत जानकारी या गोपनीयता तक पहुँच प्राप्त करता है और फिर उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने या फिरौती मांगने की कोशिश करता है।

    साइबरस्टॉकिंग: इस तरह के साइबर अपराध में ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल होता है। आमतौर पर साइबर स्टॉकर एक उपयोगकर्त्ता को डराने के लिये सोशल मीडिया, वेबसाइटों और सर्च इंजन का उपयोग करते हैं।

    फिशिंग: यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग हमला है जिसका उपयोग अक्सर उपयोगकर्त्ता का डेटा चोरी करने के लिये किया जाता है, जिसमें लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल होते हैं। यह हमला तब होता है जब हमलावर एक विश्वसनीय इकाई के रूप में उपयोगकर्त्ता के ईमेल व अन्य संदेशों तक पहुँच प्राप्त करता है।

    साइबर क्राइम से निपटने के उपाय

    व्यापक साइबर जागरूकता अभियान की आवश्यकता: साइबर क्राइम से निपटने के लिये सरकारों को बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है। नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी के बारे में जानकारी रखनी चाहिये एवं सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय सावधान रहने के साथ ही अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करना चाहिये।

    डेटा सुरक्षा कानून की आवश्यकता: 21वीं सदी में डेटा को नई मुद्रा के रूप में संदर्भित किया जाता है। अत: एक कड़े डेटा संरक्षण कानून की आवश्यकता है।

    इस संदर्भ में यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन और भारत का व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 सही दिशा में उठाया गया कदम है।

    सहयोगात्मक ट्रिगर तंत्र की आवश्यकता: भारत जैसे विकासशील देशों के लिये जहाँ नागरिक साइबर अपराध के प्रति अधिक संवेदनशील है, एक सहयोगी ट्रिगर तंत्र की तत्काल आवश्यकता है।

    यह तंत्र सभी पक्षों एक-दूसरे से जोड़ेगा और कानून प्रवर्तकों को तेज़ी से कार्य करने में सक्षम बनाएगा तथा बढ़ते खतरे से नागरिकों एवं व्यवसायों की सुरक्षा करेगा।

    इस संदर्भ में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र केंद्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा जाँच में मदद करेगा एवं इसके लिये निजी कंपनियों को साथ लाएगा।

    निष्कर्ष

    वर्तमान युग में सूचना प्रौद्योगिकी की निर्भरता को देखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा के लिये कड़े साइबर सुरक्षा मानकों की स्थापना करते हुए सरकारों को साइबर सुरक्षा, डेटा अखंडता और डेटा सुरक्षा क्षेत्रों में कौशल विकसित करना है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2