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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    औद्योगिक क्रांति के दौरान मज़दूरों की विकट कार्य स्थितियों ने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के संदर्भ में रोज़गार की भावना को नकार दिया। टिप्पणी। (150 शब्द)

    11 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • औद्योगिक क्रांति और उस समय काम करने की स्थिति के बारे में संक्षेप में बताएँ।
    • औद्योगिक क्रांति के दौरान काम करने की परिस्थितियों पर चर्चा कीजिये।
    • महिलाओं और बाल श्रमिकों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    1780 से 1850 के दशक के मध्य ब्रिटेन में उद्योग और अर्थव्यवस्था के परिवर्तन को पहली औद्योगिक क्रांति कहा जाता है। ब्रिटेन में इसके दूरगामी प्रभाव परिलक्षित हुए। बाद में, यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसी तरह के परिवर्तन हुए। इनमें से अधिकांश देशों में कुल मिलाकर श्रमिकों की स्थिति खराब थी। आज के विपरीत, औद्योगिक क्रांति के दौरान सभी श्रमिकों से घंटों काम कराया जाता था वरना उनकी नौकरी चली जाती थी।

    औद्योगिक क्रांति के कारण महिलाओं और बच्चों को निरंतर पूरे साल काम मिलने लगा, जबकि खेतों में अल्पकालिक रोज़गार ही हुआ करता था। उनकी आय से उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई। हालाँकि, कारखानों और मिलों में खराब स्थितियों में काम करने के कारण उनमें आत्मविकास की संभावनाएँ शून्य रह गई। कारखानों और मिलों में कार्य करने की स्थिति अमानवीय थी। जैसे-

    कार्य करने की नीरस और अमानवीय स्थिति: कारखानों में मज़दूरों के मस्तिष्क के विकास एवं अवकाश की कोई व्यवस्था नहीं थी। उनसे निरंतर एक ही तरह का कार्य करवाया जाता था। इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों के लिए कठोर अनुशासन और सज़ा के सख्त प्रावधान थे।

    सुरक्षा का अभाव: कपास की कताई जैसी मशीनों को बाल श्रमिकों द्वारा उपयोग किये जाने के हिसाब से बनाया जाता था, जिसमें वो अपनी छोटी उँगलियों से फुर्ती से कम कर सकते थे। बाल श्रमिकों को अधिकतर कपड़ा मिलों में नियोजित किया जाता था क्योंकि वे मशीनरी के बीच जाकर भी कार्य कर सकते थे। उस समय अस्थाई या स्थाई क्षति के मामलों में भी पर्याप्त क्षतिपूर्ति नहीं दिया जाता था।

    काम के अत्यधिक घंटे और क्रूरता: रविवार को मशीनों को साफ करने सहित काम के लंबे घंटों के पश्चात उन्हें थोड़ी ताजी हवा खाने या व्यायाम करने की अनुमति दी जाती थी। कार्य करते समय की बच्चों के बल और उँगलियाँ मशीनों में फँस जाती थी। साथ ही कई बार वो काम की थकान से मशीनों में गिर पड़ते थे।

    कमज़ोरों का शोषण: पुरुषों को कम मज़दूरी मिलने के कारण महिलाओं और बच्चों का कार्य करना भी आवश्यक था। जैसे-जैसे मशीनरी का उपयोग बढ़ता गया, श्रमिकों की जरूरत कम पड़ने लगी। उद्योगपति कार्य के लिए महिलाओं और बच्चों को अधिक वरीयता देते थे क्योंकि वो काम की खराब परिस्थितियों के बारे में कम जागरूक थे साथ ही, उन्हें पुरुषों की तुलना में वेतन भी कम देना पड़ता था।

    खतरनाक खानों में कार्य: कोयले की खदानें कार्य करने के लिए खतरनाक स्थान थे। खदानों में विस्फोट हो सकते थे, और इसलिए मज़दूरों का चोटिल और ज़ख्मी होना आम था। कोयला खदानों के मालिकों ने कोयले के खदानों की गहराई तक पहुँचने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया। छोटे बच्चों कोयले के वैगन के रूप में दरवाजे खोलने या बंद करने का भी काम किया। इसके अलावा उन्होंने कोयला ढोने का भी काम किया।

    कार्य करने के लिए न्यूनतम आयु पर कोई मानक नहीं: कारखाने के प्रबंधकों ने बाल श्रमिकों को भविष्य में कारखानों में काम के लिए महत्त्वपूर्ण माना क्योंकि उन्हें बचपन से कार्य करना सिखाया गया था। ब्रिटिश कारखाने के रिकॉर्ड से प्राप्त सबूतों से पता चलता है कि कारखाने के लगभग आधे श्रमिकों ने तब काम शुरू किया था जब वे दस साल से कम उम्र के थे और लगभग एक-चौथाई श्रमिकों ने तब कार्य करना शुरू किया जब वे 14 साल के थे।

    कल्याणकारी उपायों का अभाव: सामाजिक सुरक्षा, बीमा, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियाँ और क्रेच जैसी सुविधाओं के अभाव से बच्चों और विशेष तौर पर महिला श्रमिकों अधिक परेशानी होती थी।

    निष्कर्ष

    इस प्रकार महिलाओं और बच्चों ने औद्योगिक क्रांति के दौरान कार्य करने से वित्तीय स्वतंत्रता और आर्थिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि तो हुई किंतु जिन शर्तों पर यह मिला वो बेहद अमानवीय और अपमानजनक थीं।

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