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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय कृषि समस्याओं पर संक्षेप में चर्चा कीजिये।

    07 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    प्रश्न-विच्छेद

    • भारतीय कृषि समस्याओं की संक्षेप में चर्चा करनी है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रभावी भूमिका लिखते हुए भारतीय कृषि के बारे में बताएँ।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में कृषिगत समस्याओं पर चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ के दो-तिहाई लोगों का भरण-पोषण कृषि पर निर्भर होने के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र की प्रगति और उपलब्धि भी काफी कुछ कृषि से प्राप्त कच्चे माल की आपूर्ति पर निर्भर करती है। कृषि श्रमिकों के रूप में लोगों को बड़ी मात्रा में रोज़गार और कृषि उत्पादों के निर्यात से बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। इतना होने के बावजूद भारतीय कृषि में आज भी कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही है।

    यद्यपि भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान है, परंतु पश्चिम के विकसित देशों की तुलना में यह पिछड़ी हुई और पारंपरिक है जो इसकी समस्या का मूल कारण है। भारतीय कृषि की अन्य मुख्य समस्याओं को हम निम्न बिंदुओं में देख सकते हैं—

    i. भू-जोतों का छोटा आकार एवं उनका विखंडनः भारत में भू-जोतों का आकार छोटा और आर्थिक दृष्टि से विकासक्षम नहीं है। इससे इतनी आय प्राप्त नहीं हो पाती कि किसान कृषि में भावी निवेश कर सके। जोतों का छोटा आकार एवं विखंडित स्वरुप होने के कारण इनमें आधुनिक कृषि मशीनों का इस्तेमाल कठिन हो जाता है। एक अन्य कारण यह है कि देश में बड़ी संख्या में भूमिहीन कृषि श्रमिक हैं जो उस खेत के मालिक नहीं हैं, जिस पर वे कृषि करते हैं, दूसरे भू-स्वामी पट्टे या बटाई पर उनसे खेती कराते हैं और कृषि सुधार में बहुत कम रुचि लेते हैं।

    ii. कृषकों की गरीबी एवं कर्ज़दारीः यद्यपि कर्ज़दारी निर्वाह कृषि की सर्वव्यापी विशेषता है परंतु भारत में इसका प्रभाव अपेक्षाकृत अधिक दुखदायी है। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय किसान की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय औसतन लगभग 2000 रुपए है और देश के लगभग 70 प्रतिशत किसान कर्ज़ में डूबे हैं। हालाँकि सरकारी-सहकारी समितियों से किसानों को कम ब्याज पर ऋण की सुविधा दी जा रही है परंतु इसका प्रभाव मँझले और बड़े किसानों तक ही सीमित है। बड़ी संख्या में छोटे किसान अभी भी व्यावसायिक ऋणदाताओं से भारी ब्याज दर पर कर्ज लेते हैं।

    iii. कृषि आदानों की कमीः एक तरफ जहाँ किसान कृषि नवाचारों को अपनाने में कम रुचि दिखाते हैं, वहीं दूसरी तरफ रासायनिक उर्वरक, उन्नत बीज, कीटनाशी, कृषि मशीनें इत्यादि या तो समुचित मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं अथवा उनकी कीमतें किसानों की सामर्थ्य से बाहर हैं। गुणवत्ता नियंत्रण के अभाव में इनमें ठगी की संभावना भी बनी रहती है। कीटनाशकों के सीमित तथा अनुचित उपयोग से प्रतिवर्ष कृषि उत्पादन का 10 प्रतिशत भाग नष्ट हो जाता है।

    बुनियादी सुविधाओं का अभाव, निम्न उत्पादकता, सिंचाई के लिये वर्षा जल पर निर्भरता, कृषि शोध, शिक्षा एवं प्रशिक्षण सुविधाओं का अभाव, मृदा अपरदन एवं मृदा अवक्रमण भारतीय कृषि की अन्य समस्याएँ हैं।

    यदि उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर देखा जाए तो भारतीय कृषि की समस्याएँ व्यापक स्तर पर इसकी उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। परंतु सरकार द्वारा इस क्षेत्र में कई सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा भविष्य में और भी सुधार किये जाने के प्रयास जारी हैं।

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