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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    डेटा के स्थानीयकरण से आप क्या समझते हैं। डेटा स्थानीयकरण से संबंधित चुनौतियों की चर्चा करें।

    30 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिभाषा

    • संबंधित चुनौतियां

    • समाधान युक्त निष्कर्ष

    वर्ष 2018 में बी.एन.श्री कृष्ण समिति द्वारा डेटा सुरक्षा कानून संबंधी प्रस्ताव में यह अनुशंसा की गई कि भारतीय के सभी व्यक्तिगत डेटा की कम-से-कम एक प्रति भारत में संग्रहित की जानी चाहिये। साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, सर्च इंजन आदि सहित विभिन्न स्रोतों से भारत में उपयोगकर्त्ताओं द्वारा उत्पादित ‘सामुदायिक डेटा’ के स्थानीयकरण की अनुशंसा की गई। ड्राफ्ट स्वास्थ्य देखभाल में डिजिटल सूचना सुरक्षा अधिनियम, डेटा को स्थानीयकृत करने के लिये स्वास्थ्य विनियामक को सशक्त करने का प्रयास करता है।

    डेटा स्थानीयकरण से संबंधित चुनौतियाँ

    आर्थिक लागत: वर्ष 2014 में सीमा पार डेटा प्रवाह ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2.8 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दिया है, जो वर्ष 2025 तक बढ़कर 11 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। कठोर स्थानीयकरण मानदंड, भारत में नवाचार और भारत में व्यापार करने में सुगमता को प्रभावित कर सकते हैं।

    • भारत की सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएँ तथा बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्स़िग उद्योग सीमा पार डेटा प्रवाह पर निर्भर है तथा डेटा स्थानीयकरण को कठोरतापूर्वक लागू किया जाता है तो उसे उल्लेखनीय रूप से अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ेगी।
    • सुरक्षा चिंताएँ
      • वैश्विक डेटा नेटवर्क से भुगतान प्रणाली को पृथक करने से परिचालन क्षमता में कमी आएगी तथा लेनदेन के संबंध में धोखाधड़ी, प्रणालीगत जोखिम जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाएगी।
      • अपर्याप्त साइबर सुरक्षा अवसंरचना के कारण भारत साइबर खतरों (जैसे- मैलवेयर, स्पैम और रेनसम वेयर आदि) के जोखिम के मामले तीसरा सबसे सुभेद्य देश है।
    • वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद पर बल
      • यह वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा इंटनेट बाज़ार में अवरोध उत्पन्न करता है,जहाँ सूचना के प्रवाह का निर्धारण राष्ट्रीय सीमाओं के स्थान पर लागत और गति द्वारा किया जाता है।
      • यह अन्य देशों द्वारा डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं के दुष्चक्र को बढ़ा सकता है।
    • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि डेटा स्थानीयकरण से बेहतर गोपनीयता या सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
      • राज्य द्वारा निगरानी का खतरा और सरकार द्वारा व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग किये जाने की संभावना बनी रहेगी।
      • इसे एक संरक्षणवादी नीति के रूप में मुकदमें दायर करने जो अन्य देशों द्वारा डेटा साझाकरण पर मुकदमें दायर करने और बढ़ते विवादों का कारण बन सकता है।

    उपरोक्त से स्पष्ट है कि भारत को नागरिकों के निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकार को साइबर सुरक्षा कानून करनी चाहिये।

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