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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    देश में ‘समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति’ के अभाव में आंतरिक सुरक्षा के प्रति नियोजित नीति अपनाने में अवरोध उत्पन्न होते हैं। भारत में इसकी आवश्यकता के संदर्भ में कथन का परीक्षण कीजिये।

    08 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोणः

    • भारत में विद्यमान आंतरिक सुरक्षा की अवस्थिति ।

    • हालिया संदर्भों के माध्यम से ठोस कार्रवाई की आवश्यकता के बारे में बताइये।

    • एक समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता क्यों है?

    • अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों पर नीतिगत व्यवस्था के साथ-साथ इस विषय पर भी समरूप व्यवस्था के महत्त्व एवं प्रभाव पर प्रकाश डालिये।

    भारत में आंतरिक सुरक्षा की विद्यमान अवस्थिति बहुत संवेदनशील है। देश के भौगोलिक विस्तार के कारण यह संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी प्रवृत्तियाँ, पूर्वाेत्तर में विभिन्न नृजातीय समुदायों की अपनी-अपनी मांगें, रेड कॉरिडोर (नक्सल प्रभावित क्षेत्र), साइबर नेटवर्क द्वारा अव्यवस्था फैलाने की कोशिशें, सीमा पार घुसपैठ आदि के कारण आंतरिक सुरक्षा का विषय अक्सर चर्चा में रहता है।

    ऐसे में भारत सरकार को एक ऐसी ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है जो उपरोक्त सभी पहलुओं के आलोक में समग्र प्रयास करे। इसी परिप्रेक्ष्य में विभिन्न पक्षों ‘समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति’ अपनाने का सुझाव ने दिया है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने भी ऐसी नीति बनाने की जरूरत बताई है। उनका मंतव्य है कि इस नीति के माध्यम से एक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों का मंत्रालय’ गठित किया जाए जो कि इस विषय का मुख्य प्राधिकारी बने। यहाँ तक कि उन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा प्रशासनिक सेवा’ नाम से एक अलग केंद्रीय सेवा निर्मित करने का भी सुझाव दिया है। एक संवेदनशील राज्य के राज्यपाल द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयास प्रयास तर्कसंगत लगतें है।

    समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति निर्मित करने के संदर्भ में निम्नलिखित तर्क महत्त्वपूर्ण हैंः

    • ऐसे कई राज्य हैं जो प्रभावी इंटेलीजेन्स एजेंसी निर्मित करने में सक्षम नहीं हैं।
    • इसके अतिरिक्त, कुछ राज्य पर्याप्त और प्रशिक्षित पुलिस बल की व्यवस्था भी नहीं कर सके हैं ताकि आंतरिक सुरक्षा पर खतरे जैसी आपद स्थिति में वे स्वयं इससे निपट सकें। इसके लिये उन्हें केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • इस दिशा में सहकारी संघवादी विशेषता को प्राथमिकता मिल सकती है।

    हालाँकि सरकार ने इस दिशा में आंशिक प्रयास ज़रूर किये हैं, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना, रक्षा नियोजन समिति की स्थापना आदि। लेकिन ये सभी निकाय अपने-अपने स्तरों पर कार्यरत हैं। आवश्यकता है ऐसी नीति और ऐसी संरचना की जो इन सभी को एक साथ लेकर चले।

    जब खाद्य सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, अवसंरचनागत विकास आदि के लिये नीतिगत व्यवस्थाएँ की गई हों तो आंतरिक सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय के लिये भी ‘समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति’ की ओर कदम बढ़ाना एक सार्थक कदम होगा।

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