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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    फ्राँसीसी क्रांति के उद्देश्य और उपलब्धि में कोई सामंजस्य नहीं था। स्पष्ट करें।

    31 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में फ्राँस में क्रांति की चर्चा करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में क्रांति के उद्देश्यों और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए इनके मध्य सामंजस्य को स्पष्ट करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    फ्राँस की क्रांति कोई पूर्व-नियोजित क्रांति नहीं थी बल्कि यह एक स्वतः स्फूर्त क्रांति थी क्योंकि 1789 ई. में न तो फ्राँस के लोग क्रांति चाहते थे और न ही क्रांति की कोई तैयारी थी। तथापि क्रांति हुई लेकिन परिस्थिति-विशेष और नेतृत्व-विशेष में क्रांति का उद्देश्य, उसका स्वरूप और उसकी उपलब्धियाँ बदलती गईं।

    राष्ट्रीय सभा में सदस्यों द्वारा लाए गए ‘मांग-पत्रों’ के आधार पर क्रांति के प्रारंभिक चरण के उद्देश्यों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। उस समय फ्राँस के बहुसंख्यक लोग सामाजिक समानता, अवसर की समानता और कानून की समानता चाहते थे। वे प्रतिभा एवं योग्यता को पद या प्रतिष्ठा का आधार बनाना चाहते थे। जहाँ मध्यम-वर्ग सारे आर्थिक प्रतिबंधों, विशेषकर सामंती बंधनों को तोड़ डालना चाहता था, वहीं किसान सामंती करों, दायित्वों और अन्य बोझों से मुक्ति पाना चाहता था। संविधान सभा ने लगभग इन सभी उद्देश्यों को पूरा किया। क्रांति उपरांत सामंतवाद खत्म हुआ और किसानों को सामंती शोषण से मुक्ति भी मिली।

    लेकिन किसानों को ठोस आर्थिक लाभ/आर्थिक समानता से वंचित रखा गया तथा राजनीतिक अधिकारों से तो वे लगभग बाहर ही रहे क्योंकि संविधान के अनुसार, करदाता ही मताधिकार का प्रयोग कर सकता था। इस बिंदु पर क्रांति के उद्देश्य और उपलब्धि में सामंजस्य दिखाई नहीं देता।

    फिर, राजा की निरंकुशता और उसके शासन के तौर-तरीकों के प्रति जन-असंतोष के बावजूद राजतंत्र को समाप्त करना आरंभ से ही क्रांति का उद्देश्य नहीं था लेकिन कालांतर में राजतंत्र खत्म हो गया तथा गणतंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ। चर्च की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण भी क्रांति का घोषित उद्देश्य नहीं था। लेकिन कर्ज़ की अदायगी के लिये चर्च की संपत्ति ज़ब्त की गई और चर्च पर सरकारी नियंत्रण स्थापित किया गया। इसी प्रकार, प्रारंभ में प्रतिक्रियावादी यूरोपीय देशों के विरुद्ध आक्रामक रवैया अपनाने का फ्राँसीसी क्रांतिकारियों का उद्देश्य नहीं था लेकिन यूरोपीय देशों द्वारा क्रांति की आलोचना और धमकियों तथा जिरोंदिस्त नेताओं की अंतर्राष्ट्रीय क्रांति की विचारधारा ने फ्राँस और प्रतिक्रियावादी यूरोप के मध्य अप्रैल, 1792 में युद्ध शुरू करवा ही दिया। पुनः आतंकवादी सरकार की स्थापना करना भी क्रांतिकारियों का उद्देश्य नहीं था। किंतु देश की सुरक्षा, गृह युद्ध समाप्त कर कानून व व्यवस्था की स्थापना तथा वित्तीय संकट से देश को उबारने के तीन प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जैकोबिन नेताओं को आतंक के राज्य की स्थापना करनी पड़ी।

    परंतु, जैसे ही समसामयिक समस्याओं का अंत हुआ, वैसे ही प्रगतिशील और आपातकालीन उपाय वापिस ले लिये गए। यहाँ कुछ समस्या शुरू हुई। मध्यवर्ग फिर हावी हुआ और फ्राँस में नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया। इन परिस्थितियों में एक सैनिक नेता ने सत्ता हथिया कर फ्राँस में तानाशाही शुरू कर दी।

    निष्कर्षतः रूस की क्रांति (1917) के विपरीत फ्राँसीसी क्रांति में उद्देश्य, नेतृत्व और पूर्व योजना के अभाव में क्रांति के स्वरूप और उद्देश्यों में बदलाव आता रहा। इसीलिये फ्राँसीसी क्रांति के उद्देश्य और उपलब्धि के बीच सीधा अंतर्संबंध ढूंढना उचित नहीं होगा।

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