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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    निजी और सार्वजनिक संबंधों की विशेषताएँ अलग-अलग हैं, लेकिन सार्वजनिक संबंधों में नैतिक होने के लिये लोक सेवकों का व्यक्तिगत जीवन में नैतिक होना आवश्यक है। क्या आप सहमत हैं? औचित्य के साथ व्याख्या कीजिये।

    22 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    माँ और बच्चे के बीच संबंध की प्रकृति और विशेषताएँ, कार्यालय में बॉस और अधीनस्थ के बीच संबंध से अलग है। निजी और सार्वजनिक संबंधों की विशेषताएँ अलग-अलग होने के बावजूद, सार्वजनिक और निजी संबंधों में नैतिकता के बीच का भेद अस्पष्ट है और दोनों में भिन्नता लाना मुश्किल है।

    निष्ठा, ईमानदारी, नैतिकता जैसे मूल्य सिविल सेवक के लिये आवश्यक तत्त्व हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये मूल्य किसी के निजी जीवन में भी आवश्यक हैं? कई लोगों का मानना है कि व्यक्ति के निजी जीवन से सार्वजनिक जीवन का कोई संबंध नहीं है। गांधीजी के अनुसार, हम एक पहलू में सही और दूसरे में गलत कृत्य नहीं कर सकते। जीवन अखंड है और सार्वजनिक तथा निजी आचरण के बीच का अंतर कृत्रिम माना जाता है।

    सार्वजनिक और निजी संबंधों में नैतिक आचरण लगातार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। एक व्यक्ति के निजी जीवन में जो हो रहा है उससे उसके पेशेवर जीवन पर प्रभाव ज़रूर पड़ता है। निजी संबंधों में नैतिक आचारण सार्वजनिक संबंधों में मानवीयता बनाये रखने में मदद करता है और यह व्यक्ति की नैतिक व्यवस्था बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    सार्वजनिक क्षेत्र में लोगों की सेवा करना होता है, यह केवल नैतिक व्यक्ति ही कर सकता है। इसलिये लोक सेवक को अपने निजी जीवन में भी नैतिक बनना आवश्यक है।

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