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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 मई, 2023

  • 26 May 2023
  • 8 min read

ईरान ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया

ईरान ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल खोर्रमशहर के नए नवीनतम संस्करण का प्रदर्शन किया। इस खोर्रमशहर-4 (Khorramshahr-4) मिसाइल में 2,000 किलोमीटर (1,240 मील) और 1,500 किलोग्राम (3,300 पाउंड) वारहेड की क्षमता है। खोर्रामशहर-4 का नाम ईरान-इराक युद्ध के दौरान युद्ध से जुड़े एक ईरानी शहर से लिया गया है। 7वीं शताब्दी में मुसलमानों द्वारा एक यहूदी किले पर विजय प्राप्त करने के कारण मिसाइल को खैबर भी कहा जाता है। जैसा कि ईरान में यूरेनियम संवर्द्धन का कार्य जारी है तथा हथियार-ग्रेड स्तरों के करीब है, यह मिसाइल इसकी सीमा को देखते हुए इज़रायल के लिये संभावित खतरे के बारे में चिंता उत्पन्न करती है। बैलिस्टिक मिसाइल रॉकेट-चालित रणनीतिक हथियार हैं जो निश्चित लक्ष्यों पर पेलोड पहुँचाने के लिये एक परवलयिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती हैं। भारत ने वर्ष 1999 में एक बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) प्रणाली विकसित की थी जो मुख्य रूप से पाकिस्तान से संभावित परमाणु हमलों के विरुद्ध रक्षा बढ़ाने के लिये थी। BMD प्रणाली का उद्देश्य कम ऊँचाई और उच्च ऊँचाई वाली इंटरसेप्टर मिसाइलों को शामिल करना है तथा इसमें सार्वजनिक एवं निजी फर्मों के साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का सहयोग शामिल है। भारत के शस्त्रागार में उल्लेखनीय बैलिस्टिक मिसाइलों में अग्नि, K-4 (SLBM), पृथ्वी तथा त्रिशूल शामिल हैं।

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भारतीय संरक्षित क्षेत्रों में बढ़ती वनाग्नि की घटनाएँ

हालिया विश्लेषण दर्शाते हैं कि पिछले दो माह में हुए अत्यधिक वर्षण के बावजूद भारत में 50% से अधिक वनाग्नि की घटनाएँ नौ राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों में दर्ज की गई हैं। 17 मई से 23 मई, 2023 तक कुल 516 वनाग्नि की घटनाएँ सूचित की गईं, जिसमें वनाग्नि की सर्वाधिक घटनाएँ (129) गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में दर्ज की गईं। वनाग्नि की घटनाएँ मुख्यतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में सर्वाधिक देखने को मिली हैं। हालाँकि वनाग्नि की इन घटनाओं का कारण अज्ञात है फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि अत्यधिक वर्षण के बावजूद इन क्षेत्रों में वनाग्नि की घटनाएँ हुई हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण इंगित करता है कि देश में लगभग 4% वन क्षेत्र वनाग्नि के प्रति अत्यधिक प्रवण है, जबकि अन्य 6% अत्यंत संवेदनशील है। 

वनाग्नि को झाड़ी या वनस्पति की आग या जंगल की आग भी कहा जाता है, इसे जंगल, चरागाह, ब्रशलैंड या टुंड्रा जैसे प्राकृतिक स्थल में किसी भी अनियंत्रित और गैर-निर्धारित दहन या पौधों को जलाने के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो प्राकृतिक ईंधन का उपयोग करती है एवं पर्यावरणीय कारकों (जैसे- हवा, स्थलाकृति) के आधार पर फैलती है। वनाग्नि की घटना प्राकृतिक कारणों से हो सकती है जैसे कि विद्युत या मानवजनित कारण यथा- भूमि की सफाई, कृषि गतिविधियाँ एवं औद्योगिक विकास। जलवायु परिवर्तन तथा खराब भूमि प्रबंधन के कारण गर्म व शुष्क मौसम व्यापक और उच्च तीव्रता वाली वनाग्नि हेतु अनुकूल स्थिति उत्पन्न करता है। पर्यावरण एवं वन्य जीवन पर वनाग्नि के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वनाग्नि अक्सर घातक होती है, हालाँकि यह प्राकृतिक घटना है जो मृत कार्बनिक पदार्थों को साफ करके पारिस्थितिक तंत्र हेतु फायदेमंद हो सकती है।

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नीरज चोपड़ा: 90 मीटर के निशान तक भाला फेंकने का लक्ष्य 

नीरज चोपड़ा को भाला फेंक में भारत का गोल्डन बॉय कहा जाता है, जिन्होंने वर्ष 2020 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था और वर्ष 2023 में विश्व में प्रथम नंबर पर रहने वाले खिलाड़ी बन गए। वह पुरुषों के भाला फेंक में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एशियाई हैं। हालाँकि 90 मीटर के निशान को कठिन लक्ष्य माना गया है। इसे खेल में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है, क्योंकि वर्ष 1986 के बाद से केवल 23 पुरुषों ने इस निशान को पार किया है। इनमें जेन ज़ेलेज़नी और योहानेस वेटर शामिल हैं, जिन्होंने इस लक्ष्य को कई बार हासिल किया है। आठ बार यह उपलब्धि हासिल करने वाले जर्मनी के योहानेस वेटर सबसे अलग हैं। जेन ज़ेलेज़नी का 98.48 मीटर का आश्चर्यजनक विश्व रिकॉर्ड, जिसे उन्होंने 27 वर्ष पूर्व हासिल कर लिया था, अभी तक तोड़ा नहीं गया है। नीरज 89.94 मीटर के साथ इस निशान के करीब आ गए हैं। वह 3 जून, 2023 को नीदरलैंड में फैनी ब्लैंकर्स-कोएन गेम्स में वेटर एवं दो अन्य खिलाड़ियों के साथ 90 मीटर भाला फेंक का सामना करेंगे।

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जर्मन अर्थव्यवस्था का मंदी में प्रवेश 

नए जारी आँकड़ों के मुताबिक, जर्मन अर्थव्यवस्था को एक अप्रत्याशित झटका लगा है क्योंकि देश में औपचारिक मंदी की स्थिति देखी जा रही है। संघीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट में 2023 की पहली तिमाही के दौरान जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) में 0.3% की गिरावट का खुलासा किया गया है। यह स्थिति वर्ष 2022 की पिछली तिमाही में 0.5% संकुचन के बाद है जो लगातार दो तिमाहियों में गिरावट और मंदी को प्रदर्शित करता है। मंदी को एक ऐसे समय के रूप में परिभाषित किया जाता है जब आर्थिक गतिविधि में मंदी का अनुभव होता है। यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि अल्प गिरावट को मंदी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है। इसके बजाय किसी देश की वास्तविक (मुद्रास्फीति-समायोजित) GDP में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट से मंदी की पहचान की जाती है, जिसमें मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाता है।

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