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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिज़र्व

  • 08 Oct 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ (एनटीसीए) ने छत्तीसगढ़ सरकार के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व घोषित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित यह नया टाइगर रिज़र्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती टाइगर रिज़र्व के बाद छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिज़र्व होगा।
  • इस प्रस्ताव पर एनटीसीए की 11वीं तकनीकी समिति ने 1 सितंबर को विचार किया और एक महीने बाद वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38ट(1) के तहत मंज़ूरी दी गई।
  • तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य की पहचान 2011 में सरगुजा जशपुर हाथी रिज़र्व के हिस्से के रूप में की गई थी। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान अविभाजित मध्य प्रदेश में संजय राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था। दोनों 2011 से टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित होने के लिये कतार में थे।
  • नए टाइगर रिज़र्व की घटक इकाइयाँ गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य क्रमश: 1,44,000 हेक्टेयर (1,440 वर्ग किमी.) और 60,850 हेक्टेयर (608.5 वर्ग किमी.) में फैली हुई हैं।
  • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया ज़िले में है, जबकि तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी कोने में सूरजपुर ज़िले में है।
  • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान देश में एशियाई चीतों का अंतिम ज्ञात निवास स्थान था। मूल रूप से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान 2001 में राज्य के गठन के बाद छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में एक अलग इकाई के रूप में बनाया गया था।
  • राज्य में वन्यजीव विशेषज्ञों और कार्यकर्त्ताओं का मानना है कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिज़र्व में बदलना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह झारखंड और मध्य प्रदेश को जोड़ता है और बांधवगढ़ और पलामू टाइगर रिज़र्व के बीच बाघों के आने-जाने के लिये एक गलियारा प्रदान करता है।
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