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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 अप्रैल, 2023

  • 19 Apr 2023
  • 9 min read

टी मॉस्किटो बग

टी मॉस्किटो बग (TMB) के संक्रमण के कारण भारत में चाय का उत्पादन खतरे में है। टी मॉस्किटो बग (Helopeltis Theivora) एक आम कीट है जो चाय के पौधों के कोमल भागों से रस चूसता है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है। यह पौधों के ऊतकों में अंडे डालकर उन्हें नुकसान भी पहुँचाता है। TMB ने निम्न और उच्च उँचाई वाले दोनों प्रकार के चाय बागानों को प्रभावित किया है। यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया (UPASI) ने कीट के तेज़ी से फैलने के कारण दक्षिण भारत के सभी चाय की खेती वाले ज़िलों में फसल के भारी नुकसान पर चिंता जताई है। भारतीय चाय बोर्ड ने भारतीय चाय को हानिकारक कीटनाशकों से मुक्त करने के लिये पौध संरक्षण कोड (PPC) की अपनी अनुमोदित सूची से कई कीटनाशकों को हटा दिया है। वर्तमान में PPC के तहत दक्षिण भारत में उपयोग के लिये केवल सात कीटनाशक स्वीकृत हैं और चाय उत्पादक इस कीट के प्रभावी नियंत्रण में असमर्थ हैं। UPASI ने भारत में अन्य फसलों के लिये केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIBRC) द्वारा मूल्यांकन एवं अनुमोदित प्रभावी अणुओं का उपयोग करने के लिये सरकार की मंज़ूरी मांगी है ताकि चाय उत्पादन पर पड़ने वाला प्रभाव न्यूनतम हो। CIBRC की स्थापना कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 1970 में कीटनाशी अधिनियम, 1968 और कीटनाशक नियम, 1971 के तहत कीटनाशकों को विनियमित करने के लिये की गई थी। CIB तकनीकी मामलों पर सरकार को सलाह देता है तथा उसे अन्य कार्य भी सौंपे गए हैं। कीटनाशक आयातकों और निर्माताओं को पंजीकरण समिति में पंजीकरण कराना होता है।

और पढ़े… भारत का चाय उद्योग

G20 स्वास्थ्य कार्य समूह: डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार का लाभ उठाना 

भारत की अध्यक्षता में G20 की दूसरी स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक में डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार का लाभ उठाने, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिये नागरिक केंद्रित स्वास्थ्य वितरण पारिस्थितिकी तंत्र पर एक महत्त्वपूर्ण चर्चा हुई। भारत में आयुष मंत्रालय ने कुशल, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मॉडल स्थापित करने के लिये पारंपरिक चिकित्सा को प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु उन्होंने "आयुष ग्रिड" नामक एक व्यापक आईटी आधार पेश किया है, जो आयुष क्षेत्र में बदलाव लाने के लिये एक सुरक्षित और इंटरऑपरेबल डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा। आयुष ग्रिड चार स्तरों पर संचालित होता है, जो सभी हितधारकों के बीच सहज डिजिटल जुड़ाव सुनिश्चित करता है और मेडिकल रिकॉर्ड बनाए रखने, सूचना का आदान-प्रदान तथा स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न तौर-तरीकों की प्रभावशीलता के मूल्यांकन में डिजिटल उपकरणों के उपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डालता है। आयुष मंत्रालय ने कहा कि भारत में WHO के पारंपरिक चिकित्सा के लिये वैश्विक केंद्र का कार्य आगामी पारंपरिक चिकित्सा में डेटा विश्लेषण और प्रौद्योगिकी पर काम करना है।

और पढ़ें… आयुष ग्रिड और नमस्ते पोर्टल, राष्ट्रीय आयुष मिशन

रिपोर्ट किये गए अमेरिकी तेल एवं गैस क्षेत्रों से 70% अधिक मीथेन का उत्सर्जन 

द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, अमेरिकी तेल और गैस क्षेत्रों में मीथेन उत्सर्जन वर्ष 2010-2019 से अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (Environmental Protection Agency- EPA) द्वारा रिपोर्ट किये गए आधिकारिक आँकड़ों की तुलना में 70% अधिक था। अध्ययन का अनुमान है कि इस अवधि के दौरान वार्षिक 14.8 टेरा-ग्राम मीथेन उत्सर्जित की गई है। शोधकर्त्ताओं ने पाया कि EPA, ‘सुपर-एमिटर’ जैसे उपकरण जो खराब परिचालन प्रथाओं या खराबी के कारण बड़ी मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन करते है, हेतु ज़िम्मेदार नहीं है। मीथेन प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक है और जीवाश्म ईंधन अन्वेषण का उपोत्पाद है। कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 20 वर्ष की अवधि में ऊष्मा को रोकने में यह 86 गुना अधिक कुशल है। यह आर्द्रभूमि, कृषि (पशुधन, चावल), अपशिष्ट (लैंडफिल, अपशिष्ट जल) एवं जीवाश्म ईंधन खनन (कोयला, तेल, गैस) सहित कई स्रोतों से उत्सर्जित होता है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि तेल तथा गैस के संचालन से 70% से अधिक उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि वर्ष 2017-2019 तक तेल तथा गैस के उत्पादन में वृद्धि के बावजूद मीथेन की तीव्रता में कमी आई है। हालाँकि इस गिरावट को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि तेल एवं गैस क्षेत्र परिपक्व और तेल कुएँ कम उत्पादक हो जाते हैं। 

और पढ़ें…मीथेन उत्सर्जन

इंडिया स्टील 2023 

केंद्रीय इस्पात मंत्रालय द्वारा वाणिज्य विभाग, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के सहयोग से इस्पात उद्योग पर एक सम्मेलन तथा प्रदर्शनी इंडिया स्टील 2023 का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान लॉजिस्टिक्स अवसंरचना, मांग गतिशीलता, हरित इस्पात उत्पादन तथा उत्पादकता एवं दक्षता बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी समाधानों जैसे विषयों को कवर किया जाएगा। इंडिया स्टील 2023 आकर्षक सत्रों की एक वर्गीकृत शृंखला प्रस्तुत करेगा जिसमें ‘‘सक्षम लॉजिस्टिक्स अवसंरचना का संवर्द्धन”, ‘‘भारतीय इस्पात उद्योग के लिये मांग गतिशीलता”, ‘‘हरित इस्पात के माध्यम से स्थिरता लक्ष्य: चुनौतियाँ और भावी परिदृश्य”, ‘‘अनुकूल नीति संरचना तथा भारतीय इस्पात के प्रमुख समर्थक” और “उत्पादकता एवं दक्षता बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी समाधानों” जैसे विषयों को कवर किया जाएगा। कच्चे इस्पात का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत वैश्विक इस्पात उद्योग में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता है। वित्त वर्ष 2021-2022 में देश ने 120 मिलियन टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया। ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में भारत के इस्पात भंडार का 80% से अधिक हिस्सा है। देश के कुछ महत्त्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर, जमशेदपुर, राउरकेला और बोकारो हैं। भारत वर्ष 2021 में 106.23 मिलियन टन की खपत के साथ इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। चीन विश्व स्तर पर सबसे बड़ा इस्पात उपभोक्ता है, जिसके बाद भारत का स्थान आता है

और पढ़ें…हरित इस्पात

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