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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 मई, 2019

  • 04 May 2019
  • 4 min read

डेनिसोवन

हाल ही में वैज्ञानिकों ने रहस्यमय प्राचीन-होमिनिन समूह के अब तक के सबसे बड़े जीवाश्म (जबड़े की हड्डी) का पता लगाया है। गौरतलब है कि इस प्राचीन-होमिनिन समूह को डेनिसोवन के रूप में जाना जाता है।

  • तिब्बती पठार पर खोजा गया डेनिसोवन समूह का यह जीवाश्म 160,000 वर्ष से भी अधिक पुराना है और साइबेरियन गुफा के बाहर पाया जाने वाला पहला जीवाश्म भी है। एक दशक पहले साइबेरियन गुफा में ही इस होमिनिन समूह का पता चला था।
  • साइबेरियन गुफा के बाहर इस जीवाश्म का पाया जाना इस बात की पुष्टि करता है कि यह प्राचीन-होमिनिन समूह अनुमान से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर कई क्षेत्रों में फैले हुए थे।

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  • होमिनिन मनुष्य सदृश्य जीवों के बड़े समूह या परिवार का हिस्सा होते हैं, जिन्हें होमिनिड्स कहा जाता है। होमिनिड्स में ओरांगुटान, गोरिल्ला, चिंपांजी और इंसान शामिल हैं।

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वेस्ट टू वेल्थ के लिये ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’

आईआईटी दिल्ली और केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने नई दिल्ली में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना करने के लिये हाल ही में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। गौरतलब है कि इसका उद्देश्य देश में कूड़े के प्रबंधन में विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोगों को क्रियान्वित करना है।

  • आईआईटी, दिल्ली कूड़ा प्रबंधन के क्षेत्र में दिल्ली में पहले से ही कार्यरत है और कूड़ा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर दिल्ली प्रशासन के साथ काम कर रहा है।
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों, उद्योगों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं तथा अन्य एजेंसियों के पास उपलब्ध तकनीक का प्रयोग करते हुए पायलट परियोजनाओं की स्थापना कर भारतीय परिस्थितियों के अनुसार प्रौद्योगिकी का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग करना है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य कूड़े से विभिन्न तरह की ऊर्जा उत्पन्न कर भारत को कूड़ा मुक्त राष्ट्र बनाना है ताकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को शून्य किया जा सके और स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों से बचा जा सके।
  • इस कार्यक्रम के तहत आईआईटी दिल्ली में वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) कार्यक्रम प्रबंधन केंद्र की स्थापना की जाएगी।
  • ‘वेस्ट टू वेल्थ मिशन’ को हाल ही में गठित प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (Prime Minister’s Science, Technology & Innovation Advisory Council- PM-STIAC) द्वारा अनुमति प्रदान की गई है।

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