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भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 2025

  • 08 Oct 2025
  • 53 min read

स्रोत: द हिंदू

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस को उनके विद्युत परिपथों में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन की खोज के लिये प्रदान किया है

  • उनके अनुसंधान ने सुपरकंडक्टिंग सर्किटों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है, जो भविष्य में व्यावहारिक क्वांटम कंप्यूटरों और सेंसरों की नींव बन सकते हैं तथा क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध हो सकते हैं।

वर्ष 2025 के भौतिकी में नोबेल पुरस्कार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग: पुरस्कार विजेताओं ने क्वांटम टनलिंग की अवधारणा को सूक्ष्म (Microscopic) स्तर से आगे बढ़ाते हुए इसे बड़े पैमाने (Macroscopic Systems) पर लागू किया। उनके कार्य से यह सिद्ध हुआ कि बड़े और दृश्यमान तंत्र, जैसे सुपरकंडक्टिंग सर्किट, भी टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण जैसे विशिष्ट क्वांटम गुण प्रदर्शित कर सकते हैं।
    • इन्होंने अतिचालक (Superconducting) पदार्थों का उपयोग करके जोसेफसन जंक्शन नामक एक अतिचालक प्रणाली का निर्माण किया, जिसमें अरबों कूपर युग्म (Cooper pairs) एक एकल सामूहिक क्वांटम इकाई के रूप में कार्य करते थे।
      • जब इस प्रणाली को लगभग परम शून्य तापमान तक ठंडा किया गया, तो यह देखा गया कि इसकी विद्युत अवस्था ऊर्जा अवरोधों के माध्यम से “टनल” बना सकती है तथा अचानक परिवर्तन प्रदर्शित करती है — जो क्लासिकल प्रकृति के विपरीत स्पष्ट रूप से क्वांटम प्रकृति की पुष्टि करता है।
  • महत्त्व:
    • क्वांटम कंप्यूटिंग: इसने सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स के विकास को संभव बनाया तथा क्वांटम सेंसिंग एवं सिमुलेशन में प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया।
    • क्रिप्टोग्राफी पर प्रभाव: क्वांटम कंप्यूटर पारंपरिक गणनात्मक सीमाओं पर आधारित एन्क्रिप्शन प्रणालियों को भेदने की क्षमता रखते हैं।
    • वैश्विक प्रासंगिकता: भारत सहित कई देश क्वांटम प्रौद्योगिकी में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं, भारत का राष्ट्रीय क्वांटम कंप्यूटिंग मिशन वर्ष 2031 तक कार्यात्मक क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का लक्ष्य रखता है।

क्वांटम टनलिंग क्या है?

  • परिचय: क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunnelling), क्वांटम यांत्रिकी की एक घटना है जिसमें एक कण (जैसे इलेक्ट्रॉन) एक ऊर्जा अवरोध (Energy Barrier) को पार कर सकता है, भले ही क्लासिकल फिज़िक्स के अनुसार उसके पास उसे पार करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा न हो।
    • यह घटना तरंग-कण द्वैतता के कारण होती है जिसमे कणों को केवल कणों के रूप में नहीं, बल्कि तरंगों (Waves) के रूप में भी माना जाता है। जब एक कण ऊर्जा अवरोध से टकराता है, तो उसकी तरंग फलन (Wave Function) अवरोध के अंदर तुरंत शून्य नहीं होती है, बल्कि अवरोध के पार भी थोड़ी दूर तक फैलती है। इस फैलाव के कारण, अवरोध के दूसरी ओर कण के पाए जाने की एक छोटी सी संभावना होती है, भले ही उसके पास उसे पार करने की पर्याप्त ऊर्जा न हो।
  • क्वांटम टनलिंग के अनुप्रयोग:
    • स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप (STM): यह उपकरण क्वांटम टनलिंग सिद्धांत का उपयोग करके परमाणुओं का मानचित्र तैयार करता है।
    • फ्लैश मेमोरी: यह USB ड्राइव और SSD जैसे उपकरणों में पाई जाती है। इसमें डेटा फ्लोटिंग-गेट ट्रांजिस्टरों में संग्रहीत होता है, जहाँ इलेक्ट्रॉन टनलिंग प्रक्रिया के माध्यम से गेट पर प्रवेश करते या उससे बाहर निकलते हैं।
    • जोसेफसन जंक्शन: एक बहुत पतला विद्युतरोधी (Insulator) अवरोध है जो दो पृथक अतिचालकों से बना होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन कूपर पेयर्स (Cooper Pairs) में चलते हैं (इलेक्ट्रॉनों के जोड़े)। ये जोड़े बिना किसी प्रतिरोध के प्रवाहित होते हैं।
      • जोसेफसन जंक्शनों का उपयोग अति-संवेदनशील मापन के लिये सुपरकंडक्टिंग क्वांटम कंप्यूटरों और सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइसेस (SQUID) में किया जाता है।
    • क्वांटम कंप्यूटिंग: क्वांटम टनलिंग क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) को एक साथ कई अवस्थाओं में बने रहने और उनके बीच सहजता से संक्रमण करने की क्षमता प्रदान करती है। यही गुण क्वांटम एल्गोरिदम को जटिल गणनाओं को अत्यधिक गति और दक्षता के साथ हल करने में सक्षम बनाता है, जिससे वे कई मामलों में पारंपरिक कंप्यूटरों से कहीं अधिक शक्तिशाली साबित होते हैं।
    • नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion): तारों और प्रायोगिक रिएक्टरों में क्वांटम टनलिंग की प्रक्रिया परमाणु नाभिकों को उनके बीच मौजूद तीव्र विद्युत प्रतिकर्षी बलों को पार करने में सक्षम बनाती है। इस प्रक्रिया में हल्के नाभिक आपस में मिलकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं और अत्यधिक ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं।

क्वांटम टनलिंग को समझना

कल्पना करें कि आप एक गेंद को पहाड़ी पर ऊपर की ओर लुढ़का रहे हैं:
क्लासिकल फिजिक्स (Classical Physics) के अनुसार, यदि गेंद के पास पर्याप्त ऊर्जा नहीं है, तो वह ऊपर तक नहीं पहुँच पाएगी और वापस नीचे लुढ़क जाएगी।
लेकिन क्वांटम भौतिकी (Quantum Physics) में, कणों के तरंग-जैसे व्यवहार (wave-like behavior) के कारण यह संभव है कि गेंद के पास पर्याप्त ऊर्जा न होते हुए भी, वह अचानक पहाड़ी के दूसरी ओर दिखाई दे — जैसे उसने उस बाधा (barrier) के आर-पार “टनल” बना ली हो।
इसी घटना को क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunneling) कहा जाता है।

असल में होता क्या है?

क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) में, इलेक्ट्रॉन जैसे कण एक साथ कण (particle) और तरंग (wave) — दोनों की तरह व्यवहार करते हैं।
जब कोई तरंग किसी अवरोध से टकराती है, तो यदि वह अवरोध पर्याप्त रूप से पतला या कम ऊर्जा वाला हो, तो तरंग का एक सूक्ष्म हिस्सा उस अवरोध को पार करते हुए “रिस” (leak) सकता है।
इस तरह, यह संभावना बनती है कि कण को बाधा के दूसरी ओर पाया जा सकता है, भले ही उसने कभी वास्तव में उस बाधा को “पार” नहीं किया हो।

और पढ़ें:  फिजियोलॉजी या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 2025

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग क्या है?
यह क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunnelling) का बड़े प्रणालियों तक विस्तार है, जहाँ अतिचालक परिपथों (Superconducting circuits) में सामूहिक कण ऊर्जा अवरोधों के पार टनलिंग जैसी क्वांटम प्रवृत्ति प्रदर्शित करते हैं।

2. वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार किसने और किस खोज के लिये जीता?
जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस (अमेरिका) ने विद्युत परिपथों में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की खोज के लिये जीता।

3. जोसेफसन जंक्शन क्या है?
यह दो अतिचालकों से बना एक उपकरण है, जो एक पतले इंसुलेटर द्वारा पृथक् किये जाते हैं, जहाँ इलेक्ट्रॉन सुरंग बनाकर अतिचालक क्यूबिट और क्वांटम सेंसर का आधार बनाते हैं।

4. क्वांटम टनलिंग क्वांटम कंप्यूटिंग को कैसे सक्षम बनाती है?
टनलिंग, क्वाबिट्स को सुपरपोज़िशन में रहने और क्वांटम अवस्थाओं के बीच संक्रमण करने की अनुमति देती है, जिससे क्लासिकल सीमाओं से परे शक्तिशाली गणना संभव होती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा वह संदर्भ हैं, जिसमें "क्यूबिट" शब्द का उल्लेख किया गया है? (2022)

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम कंप्यूटिंग
(c) दृश्यमान प्रकाश संचार प्रौद्योगिकी
(d) वायरलेस संचार प्रौद्योगिकी 

 उत्तर: (b)  

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