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मथुरा-वृंदावन कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य 2041

  • 08 Nov 2022
  • 6 min read

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2041 तक मथुरा-वृंदावन को "शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन" पर्यटन स्थल बनाया जाएगा।

  • यह भारत में किसी पर्यटन स्थल के लिये निर्धारित इस तरह का पहला कार्बन न्यूट्रल मास्टर प्लान होगा।

इस लक्ष्य से संबंधित प्रमुख घोषणाएँ:

  • वृंदावन और कृष्ण जन्मभूमि जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के साथ पूरे ब्रज क्षेत्र में पर्यटक वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा।
  • इन क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन के रूप में उपयोग किये जाने वाले केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को जाने की अनुमति होगी।
  • इस क्षेत्र के कुल 252 जलाशयों और 24 वनों को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
  • इस योजना के तहत पूरे क्षेत्र को चार समूहों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक के तहत आठ प्रमुख शहरों में से दो को शामिल किया गया है ।
    • इसमें 'परिक्रमा पथ' नामक छोटे सर्किट बनाना भी प्रस्तावित है जहाँ तीर्थयात्री पैदल या इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर जा सकते हैं।
    • यदि तीर्थयात्री एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करना चाहते हैं तो इसके लिये इलेक्ट्रिक मिनी बसों का भी प्रावधान किया गया है।
  • मथुरा-वृंदावन का सांस्कृतिक महत्त्व:
    • यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा, भगवान कृष्ण का निवास स्थान है। साथ ही हिंदुओं के लिये इसका काफी धार्मिक महत्त्व है।
    • यह सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है।
    • इसका उल्लेख महाकाव्य रामायण में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि मथुरा कुषाण राजा कनिष्क (130AD) की राजधानियों में से एक थी।
    • यहाँ पर बाँके बिहारी मंदिर, गोविंद देव मंदिर, रंगजी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर और इस्कॉन (ISKCON) जैसे कुछ प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।

शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन:

  • इसे कार्बन तटस्थता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा।
  • बल्कि, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है।
    • इसके अलावा वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
      • जबकि वातावरण से गैसों को हटाने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज़ जैसी तकनीकों की आवश्यकता होती है।
  • 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य तक यानी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य बनने का दावा किया है।
  • भारत ने COP-26 शिखर सम्मेलन के सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य करने का वादा किया है।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. 'इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व से शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा की गई प्रतिज्ञा
(b) जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये विश्व के देशों द्वारा उल्लिखित कार्य योजना
(c) एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की स्थापना में सदस्य देशों द्वारा योगदान की गई पूंजी
(d) सतत् विकास लक्ष्यों के संबंध में दुनिया के देशों द्वारा उल्लिखित कार्य योजना

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’, UNFCCC के तहत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये व्यक्त की गई प्रतिबद्धता को बताता है।
  • CoP 21 में दुनिया भर के देशों ने सार्वजनिक रूप से उन कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें वे अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत क्रियान्वयित करना चाहते थे। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है जो "वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को बढ़ावा देता है और इस शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।"

अतः विकल्प (b) सही है।


मेन्स

प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत ने क्या प्रतिबद्धताएँ की हैं? (2021)

स्रोत: द हिंदू

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