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करियाचल्ली द्वीप

  • 04 Jul 2025
  • 4 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

तमिलनाडु सरकार ‘TNSHORE (तमिलनाडु सतत् समुद्री संसाधन दोहन)’ परियोजना के तहत मन्नार की खाड़ी में स्थित पारिस्थितिक रूप से अत्यंत महत्त्वपूर्ण करियाचल्ली द्वीप के संरक्षण हेतु कार्य कर रही है, जो वर्ष 1969 से अब तक क्षेत्र की दृष्टि से 70% से अधिक कम हो चुका है और वर्ष 2036 तक इसके पूरी तरह जलमग्न हो जाने की आशंका है।

करियाचल्ली द्वीप

  • परिचय: करियाचल्ली द्वीप मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है और यह भारत के चार प्रमुख प्रवाल भित्ति (कोरल रीफ) क्षेत्रों में से एक का हिस्सा है (अन्य तीन: कच्छ की खाड़ी, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह)।
    • यह द्वीप संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे डुगोंग (समुद्री गाय, IUCN: संकटग्रस्त) के लिये एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है, जो समुद्री घास पारिस्थितिक तंत्र पर निर्भर करते हैं।
  • खतरे: इस द्वीप ने वर्ष 1969 से अब तक अपने भूमि क्षेत्र का 70% भूभाग खो दिया है और जलवायु परिवर्तन के कारण इसके 30% प्रवाल पहले ही विरंजन हो चुके हैं।
  • संरक्षण: TNSHORE परियोजना के अंतर्गत 8,500 कृत्रिम प्रवाल भित्ति (Artificial reef) मॉड्यूल स्थापित करने की योजना है। ये ट्रेपेज़ॉइडल (समलंबाकार) आकार की संरचनाएँ फेरोसीमेंट और स्टील से बनी होंगी, जिनमें पोषक तत्त्वों के प्रवाह के लिये छिद्र होंगे। साथ ही समुद्री घास की रोपाई और प्रवाल आवास पुनर्स्थापन का भी कार्य किया जाएगा, जिससे लहरों की ऊर्जा को कम कर तटरेखा को स्थिर किया जा सके।

मन्नार की खाड़ी

  • परिचय: मन्नार की खाड़ी , लक्षद्वीप सागर का एक विस्तारित भाग है , जिसमें 21 द्वीप हैं और यह रामेश्वरम  मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप सागर का एक विस्तारित हिस्सा है, जिसमें 21 द्वीप शामिल हैं। यह क्षेत्र रामेश्वरम्, रामसेतु पुल और मन्नार द्वीप से घिरा हुआ है।

Gulf_of_Mannar

  • जैव विविधता: मन्नार की खाड़ी में स्थित समुद्री राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है, जो कोरल, मछलियों और डुगोंग, व्हेल शार्क तथा समुद्री कछुओं जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान है।
    • यह खाड़ी अपने मोती उत्पादन क्षेत्रों (Pearl banks) और पवित्र शंख (गैस्ट्रोपॉड मोलस्क) के लिये भी प्रसिद्ध है।
  • मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान: इसकी स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी। यह उद्यान प्रवाल भित्तियों, मैन्ग्रोव वनों, कीचड़युक्त तटों (Mudflats), नालों (Creeks), समुद्री घास के मैदानों, समुद्री शैवाल (Seaweeds), मुहानों (Estuaries), रेतिले तटों, लवणीय घास के मैदानों (Saline grasslands), दलदलों और पथरीले समुद्र तटों जैसे विविध पारिस्थितिक तंत्रों से समृद्ध है।  

और पढ़ें: मन्नार की खाड़ी में कोरल ब्रीच

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