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गार्सिनिया कुसुमाए

  • 04 Jul 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

शोधकर्त्ताओं ने असम में वृक्ष की एक नई प्रजाति गार्सिनिया कुसुमाए (Garcinia kusumae) की खोज की है, जिससे इस क्षेत्र की वानस्पतिक जैवविविधता और समृद्ध हुई है।

  • गार्सिनिया कुसुमाए, गार्सिनिया वंश (genus Garcinia) की एक नवीन पहचान की गई प्रजाति है, जिसे असमिया भाषा में स्थानीय रूप से 'थोइकोरा' (Thoikora) के नाम से जाना जाता है।
    • गार्सिनिया वंश (क्लूसिएसी – Clusiaceae) में विश्व भर में 414 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 33 प्रजातियाँ और 7 उपप्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं। केवल असम में ही 12 प्रजातियाँ और 3 उपप्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • गार्सिनिया कुसुमाए एक द्विलिंगी (dioecious) सदाबहार वृक्ष है, जिसकी ऊँचाई लगभग 18 मीटर तक होती है। यह फरवरी से अप्रैल के बीच पुष्पित होता है और मई से जून के बीच फल देता है। यह अपने निकटवर्ती संबंधी प्रजातियों जैसे कि गार्सिनिया असमिका (G. assamica), गार्सिनिया कोवा (G. cowa) और गार्सिनिया सक्सीफोलिया (G. succifolia) से पुष्प संरचना तथा फल राल (resin) की विशेषताओं में उल्लेखनीय रूप से भिन्न है।
  • एथ्नोबोटैनिकल महत्व (जनजातीय वनस्पति विज्ञान संबंधी महत्त्व): इस वृक्ष के फल का गूदा सांस्कृतिक और औषधीय दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसका उपयोग लू से बचाव के लिये शरबत बनाने में किया जाता है, इसे सब्ज़ियों/करी में मिलाया जाता है, मसालों के साथ कच्चा खाया जाता है तथा यह मधुमेह (डायबिटीज़) और पेचिश (डिसेंट्री) जैसी बीमारियों के पारंपरिक उपचार के रूप में भी प्रयुक्त होता है।

Garcinia_Kusumae

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