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ग्रिड-इंडिया को मिनीरत्न कंपनी का दर्जा

  • 22 Mar 2024
  • 6 min read

स्रोत: पी.आई.बी. 

ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया) ने भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय से मिनीरत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (Central Public Sector Enterprise- CPSE) का दर्जा प्राप्त करके एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है जो विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

  • वर्ष 2009 में स्थापित, GRID-INDIA भारतीय विद्युत प्रणाली के निर्बाध संचालन की देखरेख करता है, जिससे क्षेत्रों के भीतर और पार कुशल विद्युत हस्तांतरण सुनिश्चित होता है।
    • यह 5 रिज़नल लोड डिस्पैच सेंटर (RLDC) और नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) के माध्यम से अखिल भारतीय सिंक्रोनस ग्रिड का प्रबंधन करता है, जो विद्युत परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • GRID-INDIA एकीकृत विद्युत प्रणाली संचालन के लिये विश्वसनीयता, स्थिरता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्राथमिकता देते हुए प्रतिस्पर्द्धी विद्युत बाज़ारों का प्रबंधन करता है।

CPSE का वर्गीकरण

श्रेणी 

शुरुआत 

मानदंड

उदाहरण

महारत्न

मेगा CPSE को अपने परिचालन का विस्तार करने और वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरने की दिशा में सशक्त बनाने के लिये मई, 2010 में CPSE हेतु महारत्न योजना शुरू की गई थी।

  • नवरत्न का दर्जा प्राप्त हो।
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध।
  • विगत 3 वर्षों के दौरान औसतन 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार।
  • विगत 3 वर्षों के दौरान औसत वार्षिक निवल संपत्ति 15,000 करोड़ रुपए से अधिक हो।
  • विगत 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर उपरांत औसत वार्षिक शुद्ध लाभ होना चाहिये।
  • महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय संचालन होना चाहिये।

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, GAIL (इंडिया) लिमिटेड आदि।

नवरत्न

नवरत्न योजना वर्ष 1997 में उन CPSE की पहचान करने के लिये शुरू की गई थी जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ उठाते हैं और वैश्विक अग्रणी बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।

  • मिनीरत्न श्रेणी- I और अनुसूची 'A' CPSE, जिन्होंने पिछले 5 वर्षों में से 3 में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छी' रेटिंग प्राप्त की है तथा जिनका छह चयनित प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर है, अर्थात्–
    • निवल लाभ से निवल मूल्य।
    • उत्पादन/सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत।
    • नियोजित पूंजी पर मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पूर्व लाभ।
    • टर्नओवर के लिये ब्याज और करों से पूर्व लाभ।
    • प्रति शेयर आय।
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड आदि।

मिनीरत्न

सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्द्धी बनाने तथा लाभ अर्जित करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बढ़ी हुई स्वायत्तता एवं शक्तियों का प्रतिनिधिमंडल प्रदान करने के नीतिगत उद्देश्य से वर्ष 1997 में मिनीरत्न योजना शुरू की गई थी।

  • मिनीरत्न श्रेणी- I: जिन CPSE ने पिछले 3 वर्षों में लगातार लाभ अर्जित किया है, उनका कर-पूर्व लाभ तीन वर्षों में से कम-से-कम एक वर्ष में 30 करोड़ रुपए या उससे अधिक है और जिनकी निवल संपत्ति धनात्मक है, वे मिनीरत्न-I का दर्जा देने के लिये विचार किये जाने के पात्र हैं।
  • मिनीरत्न श्रेणी- II: जिन CPSE ने पिछले 3 वर्षों से लगातार लाभ अर्जित किया है और उनकी निवल संपत्ति धनात्मक है, वे मिनीरत्न- II का दर्जा देने के लिये विचार करने के पात्र हैं।
  • मिनीरत्न  CPSEs को सरकार के किसी भी ऋण पर ऋण/ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये।
  • मिनीरत्न CPSEs बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होनी चाहिये।
  • उदाहरण (श्रेणी- I): भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि।
  • उदाहरण (श्रेणी- II): भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO ), भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (BPCL), आदि।

और पढ़ें: REC को महारत्न का दर्जा

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