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CPCRI ने नारियल और कोको की खेती के लिये पेश की नई किस्में

  • 22 Mar 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

सेंट्रल प्लांटेशन क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (CPCRI) ने हाल ही में भारत में नारियल और कोको की खेती में क्रांति लाने के उद्देश्य से कोको की दो नई किस्मों के साथ नारियल की एक नई किस्म विकसित की है।

  • कल्पा सुवर्णा, नारियल की किस्म बड़े आकार के फल, उच्च जल सामग्री और तेल सामग्री जैसी विशिष्ट विशेषताओं के साथ नारियल तथा खोपरा उत्पादन के लिये आदर्श है।
  • कोको की किस्मों VTL CH I और VTL CH II में वसा तथा पोषक तत्त्वों की मात्रा अधिक है, VTL CH II काली फली सड़न के प्रति सहनशील है।
    • काली फली सड़न एक कवक रोग है जो कोको के पेड़ों को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से फाइटोफ्थोरा वंश से संबंधित कवक प्रजातियों के कारण होता है।
  • VTL CH I कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में उगाने के लिये उपयुक्त है जबकि VTL CH II कर्नाटक, केरल, गुजरात तथा तमिलनाडु में उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों के लिये अनुशंसित है।
    • कोको की दोनों किस्मों से प्रति वर्ष प्रति पेड़ 1.5 किलोग्राम से 2.5 किलोग्राम सूखी फलियाँ प्राप्त होती हैं।
  • CPCRI की स्थापना वर्ष 1916 में मद्रास सरकार द्वारा की गई थी और बाद में इसे वर्ष 1947 में भारतीय केंद्रीय नारियल समिति में शामिल किया गया था।
    • वर्ष 1970 में, यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय कृषि प्रणाली (National Agricultural System - NRS) का हिस्सा बन गया।
    • यह नारियल, सुपारी, कोको, काजू और मसालों के लिये आनुवंशिक रूप से बेहतर रोपण सामग्री पर शोध और विकास पर केंद्रित है।
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