रैपिड फायर
जेनोसाइड कन्वेंशन, 1948
- 13 Dec 2025
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जेनोसाइड के अपराध की रोकथाम और सज़ा पर कन्वेंशन (जेनोसाइड कन्वेंशन), जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 9 दिसंबर, 1948 को अपनाया गया था, अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक आधारस्तंभ बना हुआ है। इसने पहली बार वैश्विक स्तर पर जेनोसाइड को दंडनीय अपराध घोषित किया।
- यह कन्वेंशन 12 जनवरी, 1951 को प्रभावी हुआ, जिससे यह इसे अनुमोदित करने वाले राज्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी बन गया।
- जेनोसाइड की परिभाषा (अनुच्छेद II): जेनोसाइड/जनसंहार ऐसे कृत्यों को कहा जाता है जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किये जाएँ। यह शांति या युद्ध, दोनों परिस्थितियों में हो सकता है।
- सदस्यता: इसे 153 राज्यों ने अनुमोदित किया है। भारत ने वर्ष 1949 में हस्ताक्षर किये और वर्ष 1959 में अनुमोदन किया, लेकिन अब तक इस विषय पर कोई घरेलू कानून लागू नहीं किया है।
- कन्वेंशन के तहत राज्यों के दायित्व: राज्यों को जेनोसाइड की रोकथाम और दंड सुनिश्चित करना होता है, जिसमें आवश्यक कानून बनाना तथा अपराधियों पर मुकदमा चलाना शामिल है।
- अधिकार–क्षेत्र: कन्वेंशन की व्याख्या या उसके अनुप्रयोग से संबंधित विवाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा सुने जाते हैं।
- वैश्विक प्रभाव: कन्वेंशन की परिभाषा ने विभिन्न राष्ट्रीय कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय संधियों को प्रभावित किया है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के रोम संविधि (Rome Statute) का अनुच्छेद 6 भी शामिल है।
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