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केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC)

  • 28 Nov 2025
  • 19 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) को भंग करने से जुड़े किसी भी कदम पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस समिति को केवल उसकी अनुमति से ही समाप्त किया जा सकता है। यह निर्णय तब आया जब इसकी भूमिकाएँ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के साथ ओवरलैप होने को लेकर चिंताएँ व्यक्त की गईं।

  • कैबिनेट सचिवालय ने कहा कि अब जबकि NGT मज़बूत और पूर्ण रूप से कार्यशील है, इसलिये CEC की आवश्यकता की समीक्षा की जानी चाहिये। उसने पर्यावरण मंत्रालय से इस मुद्दे को विधि आयोग के पास भेजने को भी कहा।

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC)

  • परिचय: इसे वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर टी.एन. गोदावर्मन केस (1995) के तहत बनाया गया था। वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की अधिसूचना के माध्यम से इसे वैधानिक दर्जा दिया गया।
  • अधिदेश: CEC पर्यावरण, वन और वन्यजीव मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन की निगरानी करती है, क्षेत्रीय निरीक्षण करती है तथा स्वतंत्र तथ्य-जाँच रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत करती है।
    • यह गैर-अनुपालन वाले मामलों की समीक्षा करती है, अतिक्रमण हटाने और प्रतिपूरक वनीकरण जैसे मुद्दों की निगरानी करती है तथा प्रभावित व्यक्तियों की याचिकाओं पर विचार करके न्यायालय के पर्यावरणीय पर्यवेक्षण को सक्षम बनाती है।
  • गठन: CEC (केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति) में एक अध्यक्ष, तीन विशेषज्ञ सदस्य (प्रत्येक पर्यावरण, वन, वन्यजीव से एक-एक) और एक सदस्य सचिव शामिल होते हैं, जो MoEFCC (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) द्वारा नियुक्त सिविल सेवक होते हैं।
  • प्रभाव: CEC की रिपोर्टों ने गोवा के पहले टाइगर रिज़र्व (महादेई वन्यजीव अभयारण्य), सरिस्का टाइगर रिज़र्व में पर्यटन विनियमन, हैदराबाद के काँचा गचिबोवली में वृक्षों की कटाई और अरावली में खनन जैसे मुद्दों में सर्वोच्च न्यायालय की सहायता की है।

CEC बनाम NGT की भूमिका

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT): NGT अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित NGT एक अर्ध-न्यायिक अधिकरण (quasi-judicial tribunal) है जो जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 जैसे कानूनों के तहत मूल आवेदनों की सुनवाई करता है।
  • जबकि NGT विवादों का न्यायनिर्णयन करता है, वहीं CEC (केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति) सीधे सर्वोच्च न्यायालय को तकनीकी, तथ्यात्मक और अनुपालन-केंद्रित सहायता प्रदान करती है।

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