जैव विविधता और पर्यावरण
CAMPA पर केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट
- 01 Aug 2025
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प्रिलिम्स के लिये:प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA), प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAF) अधिनियम, 2016, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक मेन्स के लिये:CAMPA पर CEC रिपोर्ट, CAMPA, इसके कार्यान्वयन से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने भारत के प्रतिपूरक वनीकरण प्रयासों का आकलन किया, जिसमें पाया गया कि लक्ष्य का 85% तो पूरा कर लिया गया है, लेकिन CAMPA निधियों का केवल 67.5% ही उपयोग किया गया है।
प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) क्या है?
- परिचय: CAMPA एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAF) अधिनियम, 2016 के तहत केंद्र एवं राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में की गई है।
- इसका उद्देश्य है कि जब वन भूमि को गैर-वन उपयोगों के लिये परिवर्तित किया जाए, तो उसके बदले में वनीकरण के लिये एकत्रित निधि का प्रभावी प्रबंधन और निगरानी की जा सके।
- पृष्ठभूमि: CAMPA की स्थापना सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2002 में टी.एन. गोदावर्मन बनाम भारत संघ (1995) मामले के तहत की थी, ताकि प्रतिपूरक वनीकरण (CA) की निगरानी और मार्गदर्शन किया जा सके।
- यह एक अस्थायी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के रूप में इसलिये गठित की गई थी क्योंकि राज्यों द्वारा वनीकरण के लिये प्राप्त निधि का उपयोग नहीं हो रहा था या प्रबंधन में असंगतियाँ पाई गई थीं।
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अनुसार, जब किसी वन भूमि को गैर-वन कार्यों के लिये परिवर्तित किया जाता है, तो उपयोगकर्त्ता एजेंसी को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होता है:
- वनीकरण के लिये वैकल्पिक गैर-वन भूमि उपलब्ध कराना।
- वनीकरण प्रक्रिया से संबंधित सभी व्यय को वहन करना।
- ऐसे मामलों में जहाँ वनीकरण के लिये उपयुक्त गैर-वन भूमि उपलब्ध नहीं हो, वहाँ उपयोगकर्त्ता एजेंसी को क्षरणग्रस्त वन भूमि के दोगुने क्षेत्रफल पर वनीकरण करना अनिवार्य होता है।
- CAF अधिनियम, 2016: CAF अधिनियम, 2016 वर्ष 2018 में लागू हुआ और CAF नियम, 2018 ने वनीकरण निधियों के प्रबंधन को संस्थागत रूप प्रदान किया।
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समर्पित निधियों की स्थापना: राष्ट्रीय CAF (NCAF) को भारत की सार्वजनिक लेखा निधि (Public Account of India) के तहत राष्ट्रीय CAMPA (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) द्वारा प्रबंधित किया जाता है
राज्य CAF (SCAF) को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सार्वजनिक लेखा निधियों (Public Accounts) के अंतर्गत राज्य CAMPA प्राधिकरणों द्वारा संचालित किया जाता है। दोनों निधियाँ ब्याज अर्जित करने वाली तथा अविलीन (Non-lapsable) होती हैं।
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निधि प्रबंधन: CAMPA निधियों का 90% भाग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वनीकरण हेतु दिया जाता है, जबकि 10% भाग केंद्र सरकार द्वारा निरीक्षण एवं क्षमता विकास के लिये रखा जाता है। इन निधियों पर प्रतिवर्ष केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार ब्याज मिलता है।
- CAG वित्तीय जवाबदेही के लिये राष्ट्रीय और राज्य दोनों CAMPA का वार्षिक लेखा-परीक्षण करता है।
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- CAMPA निधियों के अंतर्गत अनुमेय गतिविधियाँ: CAMPA निधियों का उपयोग वनीकरण (प्रतिपूरक, अतिरिक्त, दंडात्मक), जलग्रहण क्षेत्र उपचार तथा प्राकृतिक पुनरुत्पादन के लिये किया जाता है।
- इन निधियों से वन और वन्यजीव प्रबंधन, मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम, सुरक्षित क्षेत्रों से गाँवों के पुनर्वास तथा वन एवं वन्यजीव संरक्षण हेतु क्षमता निर्माण और आधारभूत संरचना विकास जैसी पहलों को भी सहायता प्रदान की जाती है।
CAF अधिनियम, 2016 के कार्यान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- भूमि उपलब्धता की चुनौतियाँ: CAF अधिनियम, 2016 के अनुसार, वनीकरण के लिये दी जाने वाली भूमि को परित्यक्त वन क्षेत्र के निकट और उससे सटी हुई होना चाहिये ताकि प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जा सके।
- हालाँकि, उपयुक्त गैर-वन भूमि प्राय: उपलब्ध नहीं होती, विशेषकर छोटे राज्यों और छत्तीसगढ़ जैसे सघन वन क्षेत्र वाले क्षेत्रों में। अनेक बार जो भूमि प्रदान की जाती है, वह रोपण के लिये उपयुक्त नहीं होती और न ही किसी अन्य उत्पादक कार्य के लिये उपयोगी होती है।
- निधियों का दुरुपयोग और अपर्याप्त उपयोग: विशेष रूप से वर्ष 2016 से पहले एकत्रित किये गए CAMPA निधि लंबे समय तक उपयोग में नहीं लाए गए और इनका प्रभावी कार्यान्वयन CAF अधिनियम के बाद ही शुरू हुआ।
- इसके अतिरिक्त, इन निधियों का उपयोग ग्रीन इंडिया मिशन जैसी अन्य योजनाओं में करने से प्रतिपूरक वनीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा कमज़ोर पड़ी है।
- पारिस्थितिक सीमाएँ और एकल फसल (Monoculture): CAMPA के अंतर्गत एकल प्रजाति वाले वृक्षारोपण (Monoculture Plantations) से जैव विविधता कम होती है, जैविक दबाव का सामना करना पड़ता है, पारिस्थितिक गलियारे बाधित होते हैं तथा सीमांत प्रभाव (आवास सीमाओं पर पारिस्थितिक व्यवधान) उत्पन्न होते हैं, जिससे समग्र पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता कमज़ोर होती है।
- ग्रीनवाशिंग और अधिकारों का उल्लंघन: विशेषज्ञों ने ग्रीनवॉशिंग को लेकर चेतावनी दी है, जहाँ प्रतिपूरक वनीकरण के तहत समृद्ध वनों को ऐसे व्यावसायिक वृक्षारोपण से प्रतिस्थापित किया जा रहा है, जो पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से वंचित होते हैं।
- वे यह भी इंगित करते हैं कि वन अधिकारियों द्वारा निधियों पर एकतरफा नियंत्रण जनजातियों और वनवासियों की भागीदारी को दरकिनार कर देता है, जिससे वन अधिकार अधिनियम, 2006 का उल्लंघन होता है।
- नीतिगत और संस्थागत कमियाँ: योजनाओं के प्रस्तुतिकरण में देरी, निधियों के निर्गमन में विलंब और समर्पित CAMPA कार्यालयों की कमी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करते हैं। संसदीय समिति ने CAF अधिनियम की नौकरशाही प्रवृत्ति और निर्धारित समय-सीमा की अनुपस्थिति को चिह्नित किया है।
- IPCC की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्राकृतिक वनों को कहीं और वनीकरण करके प्रतिस्थापित करना, कुल मिलाकर पारिस्थितिक हानि उत्पन्न करता है, जिससे जलवायु और जैव विविधता संबंधी लक्ष्यों की प्रभावशीलता कमज़ोर हो जाती है।
CAMPA को सशक्त बनाने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- पारिस्थितिक रूप से उपयुक्त भूमि बैंक: एक केंद्रीय भूमि बैंक की स्थापना की जाए, जिसमें मौजूदा वनों के निकट स्थित गैर-वन या क्षरणग्रस्त वन भूमि को शामिल किया जाए। इससे पारिस्थितिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा, सीमांत प्रभाव कम होंगे, वृक्षारोपण की सफलता दर में सुधार होगा और भूमि उपलब्धता से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा।
- निधि उपयोग और पारदर्शिता: निधियों का समय पर निर्गमन सुनिश्चित किया जाए, सुनिश्चित वार्षिक योजनाओं और स्पष्ट समय-सीमाओं का पालन हो, लेखा परीक्षण को सुदृढ़ किया जाए तथा तीसरे पक्ष द्वारा निगरानी एवं सार्वजनिक जानकारी का अनिवार्य प्रकटीकरण किया जाए।
- जैवविविधता-समृद्ध, समुदाय-आधारित दृष्टिकोण: एकल प्रजातियों की जगह स्थानीय व विविध प्रजातियों वाले वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए। वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुसार जनजातियों और वनवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, जिससे जैव विविधता बढ़े, ग्रीनवॉशिंग रोकी जाए तथा सामाजिक-पारिस्थितिक न्याय सुनिश्चित हो सके।
- विधिक और नीतिगत सुधार: CAF अधिनियम में संशोधन कर वनीकरण के लिये समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किये जाए, पारिस्थितिक समतुल्यता को अनिवार्य बनाया जाए और उल्लंघन की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- वन स्वीकृति को केवल भूमि क्षेत्र के आधार पर नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की पुनर्स्थापना से जोड़ा जाए। कुल पारिस्थितिक क्षति से बचने के लिये CAMPA को IPCC दिशानिर्देशों, भारत के NDCs और पेरिस समझौते के साथ संरेखित करना।
- वन स्वीकृति को केवल भूमि क्षेत्र के आधार पर नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की पुनर्स्थापना से जोड़ा जाए। कुल पारिस्थितिक क्षति से बचने के लिये CAMPA को IPCC दिशानिर्देशों, भारत के NDCs और पेरिस समझौते के साथ संरेखित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के वन प्रशासन में प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) की क्या भूमिका है? पर्यावरणीय एवं विकासात्मक संतुलन प्राप्त करने में इसकी प्रभावशीलता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर (a) |