शासन व्यवस्था
NEP 2020 के 5 वर्ष
- 02 Aug 2025
- 52 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम (ABSS) 2025 का उद्घाटन किया।
NEP 2020 की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- मातृभाषा-आधारित शिक्षा एवं पाठ्यक्रम सुधार: 5+3+3+4 संरचना और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-SE) अनुभवजन्य, दक्षता-आधारित शिक्षण को बढ़ावा देती है, जिसमें प्रारम्भिक वर्षों में मातृभाषा को माध्यम बनाया गया है।
- समावेशिता: सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों (SEDG) के 1.15 लाख से अधिक विद्यार्थी एवं 7.58 लाख बालिकाएँ आवासीय विद्यालयों में नामांकित हुई हैं। प्रशस्त ऐप विकलांगता की जाँच में सहायक है।
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN): निपुण भारत और विद्या प्रवेश के माध्यम से 8.9 लाख विद्यालयों में 4.2 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों तक पहुँच सुनिश्चित हुई है।
- शिक्षक प्रशिक्षण: दीक्षा और पीएम ई-विद्या जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से निष्ठा के अंतर्गत 4 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
- बहु-विषयी एवं समग्र उच्च शिक्षा: नई शिक्षा नीति-2020 (NEP 2020) बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU) को प्रोत्साहित करती है, जो विश्व-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने हेतु लक्षित हैं।
- एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (Academic Bank of Credits - ABC) की शुरुआत से लचीली शिक्षा और क्रेडिट ट्रांसफर संभव हुआ है, साथ ही मल्टीपल एंट्री तथा एग्जिट सिस्टम पर ज़ोर दिया गया है।
- देश के 72% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है। विद्यांजलि, दीक्षा, पीएम ई-विद्या, ई-जादुई पिटारा (AI-आधारित खेल आधारित शिक्षण) और AI बॉट्स (जैसे कथा सखी, टीचर तारा) जैसी पहलों से शिक्षा प्रणाली को सशक्त किया जा रहा है।
- कॉमन टेस्टिंग: वर्ष 2022 में शुरू हुआ CUET अब स्नातक प्रवेश के लिये एक प्रमुख माध्यम बन गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 क्या है?
- परिचय: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य शिक्षा के सभी स्तरों पर गुणवत्ता, समानता, पहुँच और वहनीयता से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना है। यह 34 वर्षों पुरानी वर्ष 1986 की शिक्षा नीति का स्थान लेती है।
- यह नीति डॉ. के. कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
NEP 2020 के लक्ष्य
लक्ष्य क्षेत्र |
लक्ष्य |
प्रारंभिक बाल्यावस्था से माध्यमिक शिक्षा तक |
वर्ष 2030 तक सार्वभौमिककरण (Universalization) |
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान |
वर्ष 2025 तक बुनियादी पढ़ने और गणना करने के कौशल प्राप्त करना (निपुण भारत के माध्यम से) |
सकल नामांकन अनुपात (GER) |
वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% और वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में 50% नामांकन |
विद्यालय से बाहर के बच्चे |
ओपन स्कूलिंग के माध्यम से 2 करोड़ बच्चों का पुनः एकीकरण |
शिक्षक प्रशिक्षण |
वर्ष 2023 तक मूल्यांकन सुधारों के लिये सभी शिक्षकों को तैयार करना |
समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा |
वर्ष 2030 तक पूर्ण कार्यान्वयन |
- प्रमुख पहलें:
NEP 2020 से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- सर्वसम्मति का अभाव: नई शिक्षा नीति (NEP) का क्रियान्वयन राज्यों में भिन्न-भिन्न रूप में हो रहा है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने तीन-भाषा सूत्र, मातृभाषा शिक्षण तथा समान प्रवेश परीक्षा जैसी प्रावधानों का विरोध किया है।
- अवसंरचनात्मक एवं वित्तीय सीमाएँ: योग्य शिक्षकों की कमी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कमज़ोर डिजिटल अवसंरचना, तथा गुणवत्तापूर्ण बालवाटिका (पूर्व-प्रारंभिक) शिक्षा के लिये आँगनवाड़ी केंद्रों की अपर्याप्त तैयारी जैसी चुनौतियाँ सामने हैं।
- शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय अभी भी NEP के GDP के 6% लक्ष्य से कम बना हुआ है, और बजटीय आवंटन इस नीति के महत्वाकांक्षी सुधारों का पर्याप्त समर्थन नहीं कर पा रहा है।
- नियामकीय एवं भाषाई बाधाएँ: भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तावित किया गया है, तथा राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा पाठ्यचर्या रूपरेखा का क्रियान्वयन दोनों में देरी हुई है।
- इसके अतिरिक्त, शैक्षिक सामग्री का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना तथा क्षेत्रीय भाषाओं में पारंगत शिक्षकों की कमी नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
- प्रतिरोध एवं कमज़ोर निगरानी: शैक्षणिक पद्धतियों में सुधारों को लेकर संस्थागत प्रतिरोध तथा अत्यधिक केंद्रीकरण (जैसे, CUET) को लेकर आशंकाएँ, नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न करती हैं।
- साथ ही, मज़बूत डेटा प्रणाली की कमी और असमान क्रियान्वयन नई शिक्षा नीति 2020 के परिणामों की प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन में बाधा उत्पन्न करते हैं।
नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को सुदृढ़ करने के लिये क्या कदम उठाने की आवश्यकता है?
- अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा: प्रौद्योगिकी और शिक्षण पद्धति के समन्वय क्षेत्र में अनुसंधान में निवेश करना चाहिये, ताकि साक्ष्य-आधारित और संदर्भ-विशिष्ट नवाचारों को बढ़ावा दिया जा सके।
- डिजिटल अवसंरचना अंतराल: विद्यालय स्तर पर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) अवसंरचना को उन्नत करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि केवल 57.2% विद्यालयों में ही कार्यशील कंप्यूटर हैं और मात्र 53.9% विद्यालयों के पास इंटरनेट की सुविधा है (UDISE+ 2023–24)।
- शिक्षक प्रशिक्षण: तकनीकी एकीकरण के लिये क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करना, ताकि रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन और नैतिक तर्कशीलता को बढ़ावा मिले।
- अंतरविषयी सहयोग: शिक्षकों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, सामाजिक वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना ताकि भविष्य के लिये तैयार शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 21वीं सदी की शिक्षा प्रणाली के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इसमें उल्लेखनीय प्रगति बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN), डिजिटल पहुँच और उच्च शिक्षा में सुधारों के रूप में देखी गई है। हालाँकि, संघीय मतभेद, बुनियादी ढाँचे की कमियाँ और नियामकीय देरी प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं। रणनीतिक निवेश, सरकारों के बीच समन्वय तथा नवाचार के माध्यम से, NEP के अनुकूल, समावेशी और भविष्य-उन्मुख शिक्षा प्रणाली के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? संघवाद पर NEP 2020 के प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनःसंरचना और पुनःस्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये) |