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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका का स्पेस कमांड

  • 02 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही मे अमेरिकी राष्ट्रपति ने अंतरिक्ष युद्ध के लिये समर्पित एक स्पेस कमांड (Space Command) स्पेसकॉम (SpaceCom) की स्थापना की है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि अमेरिका ने इस स्पेस कमांड की स्थापना अंतरिक्ष में चीन और रूस से होने वाले खतरों से बचाव हेतु की है।
  • यह स्पेस कमांड पेंटागन का 11वाँ पूर्ण कमांड और बीते दो वर्षों में स्थापित होने वाला दूसरा कमांड है।
    • इससे पूर्व वर्ष 2018 में साइबर युद्ध के खतरों को देखते हुए एक कमांड की स्थापना की गई थी।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना की छठी शाखा के रूप में संयुक्त राज्य अंतरिक्ष बल (United States Space Force) की स्थापना की भी घोषणा की।
    • गौरतलब है कि वर्तमान में अमेरिकी सेना की पाँच शाखाएँ हैं: आर्मी (Army), वायु सेना (Air Force), नौसेना (Navy) , मरीन (Marines) और तटरक्षक बल (Coast Guard)।
    • संयुक्त राज्य अंतरिक्ष बल स्पेसकॉम के लिये सैनिकों को प्रशिक्षित करने और उन्हें आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
  • अमेरिकी वायु सेना के पास पहले से ही एक समर्पित अंतरिक्ष युद्ध ऑपरेशन (Space Warfare Operation) है।
    • हालाँकि नवगठित स्पेस कमांड आधुनिक समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अंतरिक्ष युद्ध हेतु नई सुविधाएँ प्रदान करेगा।

गौरतलब है कि अमेरिकी अंतरिक्ष कमांड का गठन पहले भी किया गया था और वह वर्ष 1985 से 2002 के बीच कार्यान्वित था।

अंतरिक्ष की दौड़ में भारत भी है शामिल:

  • उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष की दौड़ में भारत भी दुनिया के अन्य देशों से पीछे नहीं है। हाल ही में भारत ने मिशन शक्ति के तहत स्वदेशी एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) से एक लाइव भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था।
  • अंतरिक्ष में 300 किमी. दूर पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में घूम रहा यह लाइव सैटेलाइट एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था। इस मिशन के बाद भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया था जिनके पास अंतरिक्ष में किसी लाइव सैटेलाइट पर हमला करने की क्षमता है, ज्ञातव्य है कि अब तक रूस, अमेरिका और चीन के पास ही इस प्रकार की क्षमता थी।
  • साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नए-युग की चुनौतियों का सामना करने के लिये भारत सरकार ने 2018 के अंत में तीन नई एजेंसियों - डिफेंस साइबर एजेंसी (Defence Cyber Agency), डिफेंस स्पेस एजेंसी (Defence Space Agency) और स्पेशल ऑपरेशंस डिविज़न (Special Operations Division) की स्थापना का निर्णय लिया था।

स्रोत: द हिंदू

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