इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मित्रा क्रेटर

  • 03 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर (Chandrayaan-2’s Orbiter) या मदर स्पेसक्राफ्ट (Mother Spacecraft) ने चंद्रमा पर उपस्थित एक गड्ढे ‘मित्रा क्रेटर’ (Mitra Crater) को लक्षित किया जिसका 20वीं शताब्दी में नामकरण किया गया था।

मित्रा क्रेटर (Mitra Crater) क्या है?

  • मित्रा चंद्रमा पर उपस्थित एक गड्ढा है जिसका नामकरण वर्ष 1970 के दशक में प्रसिद्ध भारतीय भौतिकशास्त्री और रेडियो विज्ञानी प्रोफेसर शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर मित्रा क्रेटर के रूप में किया गया था।
  • ‘मित्रा क्रेटर’ को यह नाम प्रोफेसर मित्रा की मृत्यु के सात साल बाद वर्ष 1970 में ग्रहों की प्रणाली का नामकरण करने वाले इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (International Astronomical Union- IAU) के प्लैनेटरी सिस्टम नामकरण के कार्य समूह (Working Group for Planetary System Nomenclature- WGPSN) द्वारा दिया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि चंद्रमा पर भारतीय वैज्ञानिकों के नाम पर और भी क्रेटर हैं जो निम्नलिखित हैं:
    • भाभा क्रेटर
    • साराभाई क्रेटर
    • सी.वी. रमन क्रेटर
    • जे.सी. बोस क्रेटर
    • आर्यभट्ट क्रेटर
  • मित्रा क्रेटर’ का व्यास लगभग 92 किलोमीटर है लेकिन इसकी गहराई का पता अभी तक नहीं लगाया जा सका है।

क्रेटर (Crater)

  • खगोलीय पिंडों की सतह पर अंतरिक्ष से किसी उल्कापिंड के गिरने, ज्वालामुखी फटने, भूगर्भ में विस्फोट या फिर अन्य किसी विस्फोटक ढंग से बनने वाले लगभग गोल आकार के विशाल गड्ढे को क्रेटर कहते हैं।
  • क्रेटर कई प्रकार के होते हैं उदाहरण के लिये प्रहार क्रेटर, ज्वालामुखीय क्रेटर, धँसाव क्रेटर, विस्फोट क्रेटर, बिल क्रेटर और मार क्रेटर आदि।

Terrain maping camera

  • चंद्रमा के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-2 के टरेन मैपिंग कैमरे में कैद किया गया ‘मित्रा’ एक प्रहार या इम्पैक्ट क्रेटर है।
  • 25 केल्विन/K (-248 डिग्री सेल्सियस) पर उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र को सौरमंडल के सबसे ठंडे स्थानों में से एक माना जाता है।

चंद्र क्रेटरों का नामकरण

Lunar nomenclature

  • 17वीं शताब्दी में चंद्र क्रेटरों के नामकरण की पहली कोशिश के तहत के.बी. शिंगारेवा और जी.ए. बुर्बा द्वारा अपनी पुस्तक द लूनर नोमेंक्लेचर: द रिवर्स साइड ऑफ़ द मून (The Lunar Nomenclature: The Reverse Side of the Moon) वर्ष 1961-1973 के दौरान लिखी गई।
  • नामकरण में प्रमुख हस्तियों जैसे- वैज्ञानिकों, दार्शनिकों और यहाँ तक कि रॉयल्टी के सदस्यों के नाम का इस्तेमाल किया गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा वर्ष 1973 में एक संकल्प के दौरान गड्ढा और गढ्ढे जैसी संरचनाओं को खगोलविदों या प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के मरणोपरांत उनके नाम दिये गए हैं।
  • अन्य चंद्र विशेषताओं में पहाड़ों को पृथ्वी के पहाड़ों के भौगोलिक नामों के अनुरूप नाम दिया गया है, जबकि गहरी अंधेरी सतहों को मनुष्यों की मानसिक स्थिति के अनुरूप नाम दिया गया है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2