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भारत-विश्व

RCEP तथा भारत-चीन व्यापार मुद्दा

  • 20 Jul 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP) संधि के तहत चीन ने अपने बाज़ार को और अधिक उदार बनाने की बात कही है, लेकिन चीन के इस तरह के निर्णय से भारत के समक्ष और अधिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई है।

प्रमुख बिंदु

  • चीन एवं भारत के बीच विभिन्न वार्ताओं के दौरान व्यापार के लिये बहुत सी वस्तुओं पर टैरिफ समाप्त किये गए हैं। हाल ही में चीन ने और अधिक वस्तुओं पर टैरिफ समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है।
  • चीन और भारत दोनों ही RCEP के सदस्य देश हैं, लेकिन भारत को RCEP के तहत टैरिफ समाप्त करने से लाभ की संभावना कम है क्योंकि पहले से ही चीन का भारत से व्यापार आधिक्य (Trade Surplus) है।
  • RCEP के बहुत से भागीदार देश, जिसमें 10 सदस्य देशों वाला आसियान (ASEAN), जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड भी शामिल हैं, चीन के इस प्रस्ताव पर भारत को अतिशीघ्र निर्णय लेने के लिये दबाव बना रहे हैं।
  • RCEP सदस्य देशों द्वारा इस वर्ष के अंत तक RCEP समझौता किया जा सकता है, जिसके लिये 3 सदस्यीय टीम बनाई गई है।
  • यह समझौता लागू होने के बाद RCEP दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन सकता है क्योंकि इसके अंतर्गत सदस्य देशों के रूप में इसकी हिस्सेदारी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 25 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार में 30 प्रतिशत, वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 26 प्रतिशत तथा कुल वैश्विक जनसंख्या का 45 प्रतिशत है।

भारत- चीन व्यापार भागीगारी

  • पिछले वित्त वर्ष में चीन ने भारत को 70 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत द्वारा चीन को किया जाने वाला निर्यात 16 बिलियन डॉलर का था।
  • भारत इस बात से आशंकित है कि टैरिफ उदारीकरण के बाद दोनों देशों के निर्यात में तो वृद्धि होगी, लेकिन चीन की वृद्धि भारत की तुलना में अनुपातिक रूप से बहुत अधिक होगी जिससे भारत का व्यापार घाटा बहुत बढ़ जाएगा।

भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • वर्तमान में भारतीय उद्योग चीनी बाज़ार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के बजाय अपने घरेलू बाज़ार से चीनी सामानों को कम करने पर अधिक केंद्रित हैं।
  • भारतीय उद्योग, विशेषकर इस्पात, कपड़ा, ऑटोमोबाइल और इंजीनियरिंग क्षेत्रों ने सरकार से पहले से ही चीन से व्यापार संबंधों को कम करने का अनुरोध किया है।
  • उद्योग प्रतिनिधियों ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ हाल ही में हुई बैठक में चीन से आयातित 42 प्रतिशत वस्तुओं पर करों को समाप्त करने के प्रस्ताव पर बने रहने का सुझाव दिया है।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी

(Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP)

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी एक प्रस्तावित मेगा मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement-FTA) है, जो आसियान के दस सदस्य देशों तथा छह अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) के बीच किया जाना है।

  • ज्ञातव्य है कि इन देशों का पहले से ही आसियान से मुक्त व्यापार समझौता है।
  • वस्तुतः RCEP वार्ता की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2012 में कंबोडिया में आयोजित 21वें आसियान शिखर सम्मेलन में हुई थी।
  • RCEP को ट्रांस पेसिफिक पार्टनरशिप (Trans Pacific Partnership- TPP) के एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • RCEP के सदस्य देशों की कुल जीडीपी लगभग 21.3 ट्रिलियन डॉलर और जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 45 प्रतिशत है।
  • सदस्य देश: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम। इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड सहभागी (Partner) देश हैं।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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