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देश-देशांतर/द बिग पिक्चर: भारत-आसियान संबंधों के 25 वर्ष

  • 30 Jan 2018
  • 20 min read

संदर्भ व पृष्ठभूमि 
25-26 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित आसियान-भारत मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन (ASEAN-India Commemorative Summit) और राजपथ पर भारतीय गणतंत्र की 69वीं वर्षगाँठ पर आयोजित परेड में आसियान के सभी 10 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी।

कहाँ तक पहुँची 25 साल की दोस्ती?

  • सम्मेलन की थीम: साझा मूल्य, सामान्य नियति (Shared Values, Common Destiny) 
  • सम्मलेन का महत्त्व: एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (भारत) और आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण ब्लॉक (आसियान देशों) के बीच साझा सहयोग को बढ़ावा

दोनों पक्षों के बीच सहयोग के प्रमुख बिंदु 

प्लान ऑफ एक्शन
आसियान-भारत के बीच में शांति, सहयोग व साझा समृद्धि को बढाने के लिये दीर्घकालिक आसियान-भारत की भागीदारी के लिये रोडमैप पर हस्ताक्षर किये गए थे। इसका तीसरा संस्करण (2016-20) अगस्त 2015 में हुई आसियान-भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपनाया गया था। इस समयावधि में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

  • भारत के प्रमुख साझेदार और बाज़ार, जैसे-आसियान एवं पूर्वी एशिया से लेकर उत्तरी अमेरिका तक पूर्व की ओर अवस्थित हैं। 
  • भूमि एवं समुद्री मार्गों से जुड़े दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान के साथ ‘लुक ईस्ट’ नीति एवं पिछले तीन वर्षों से ‘एक्ट ईस्ट’नीति के तहत द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होते जा रहे हैं।
  • आसियान और भारत रणनीतिक साझेदार हैं और 30 व्यवस्थाओं के ज़रिये व्यापक आधार वाली आपसी साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। 
  • आसियान के प्रत्येक सदस्य देश के साथ भारत की राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। 

आर्थिक सहयोग

  • आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और भारत आसियान का सातवां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। 
  • आसियान के साथ भारत का व्यापार 2016-17 में बढ़कर 70 अरब डॉलर का हो गया है, जबकि 2015-16 में यह 65 अरब डॉलर था। 
  • सिंगापुर की अगुवाई में आसियान भारत का प्रमुख निवेश स्रोत है। आसियान देशों व भारत के बीच वर्ष 2000 से निवेश प्रवाह 12.5 प्रतिशत बढ़ चुका है।
  • अप्रैल 2000 से अगस्त 2017 के बीच आसियान से भारत में निवेश प्रवाह 514.73 बिलियन डॉलर था। 
  • भारत द्वारा विदेश में किये जाने वाले निवेश का 20 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा आसियान के देशों में जाता है।
  • इस क्षेत्र में भारत द्वारा किये गए मुक्त व्यापार समझौते अपनी तरह के सबसे पुराने समझौते हैं और किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में सबसे महत्त्वकांक्षी हैं।

सहयोग बढ़ाने के 3 प्रमुख क्षेत्र 
आसियान और भारत की क्षेत्र में शांति और सुरक्षा में समान हितों को साझा करते हुए खुला, संतुलित एवं समावेशी क्षेत्रीय संरचना है। भारत हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक बड़े समुद्री क्षेत्रों के साथ रणनीतिक रूप से अवस्थित है। ये समुद्री क्षेत्र आसियान के कई सदस्य देशों के लिये महत्त्वपूर्ण व्यापार के रास्ते भी है।

  1. आसियान और भारत को व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिये प्रयासों को बढ़ाना होगा क्योंकि इन दोनों के दोहन की अपार संभावनाएँ हैं। एआईएफटीए से आगे निकलकर एक उच्च गुणवत्तापूर्ण क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के निर्माण के लिये काम करना होगा। इससे एक समेकित एशियाई बाजार का निर्माण होगा, जिसमें दुनिया की लगभग आधी आबादी और दुनिया की जीडीपी का एक-तिहाई हिस्सा निहित होगा। नियमों एवं विनियमनों को युक्तिसंगत बनाने से दोनों पक्षों में निवेशों को प्रोत्साहन मिलेगा, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में ‘मेड इन इंडिया’ का निर्यात सुगम होगा। 
  2. भारत और आसियान को बेहतर भूमि, वायु एवं सामुद्रिक कनेक्टिविटी से काफी लाभ मिल सकता है। त्रिस्तरीय भारत-म्यामांर-थाइलैंड राजमार्ग के विस्तार के काम को गति देने की आवश्यकता है। आसियान-भारत वायु परिवहन समझौते को शीघ्र अंजाम देने से भौतिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र में लोगों का आवागमन बढ़ने के साथ ही दोनों पक्षों के परिवहनों हेतु नए और उभरते बाज़ारों, विशेषकर व्यवसाय, निवेश और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 
  3. डिजिटल कनेक्टिविटी सहयोग का एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है और यह भविष्य में दोनों पक्षों के लोगों के बीच आपसी संपर्क को आकार दे सकता है। जैसे कि भारत की 'आधार योजना' भारत-आसियान फिनटैक प्लेटफॉर्म को समन्वित करने या ई-पेमेंट प्रणालियों को कनेक्ट करने के लिये कई नए अवसरों का सृजन कर सकती है। 

सहयोग के अन्य क्षेत्र

  • आसियान-भारत संबंध 2012 में दोनों पक्षों के संबंधों की 20वीं वर्षगाँठ पर रणनीतिक साझेदारी में बदल गए। 
  • दोनों पक्षों के बीच एक वार्षिक लीडर्स समिट एवं सात मंत्रिस्तरीय वार्ताओं सहित लगभग 30 मंच हैं।
  • भारत सक्रियतापूर्वक आसियान क्षेत्रीय फोरम, आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक एवं पूर्व एशिया समिट सहित आसियान के नेतृत्व वाले मंचों में भाग लेता है।
  • भारत का वार्षिक ट्रैक 1.5 कार्यक्रम दिल्ली संवाद आसियान-भारत के बीच राजनीतिक-सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिये है। 
  • आसियान-भारत सामरिक साझेदारी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों का आयोजन करने के लिये आसियान-भारत केंद्र की स्थापना की गई है।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और मैरीटाइम सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिये तथा आतंकवाद निरोधक उपायों के लिये भी भारत-आसियान के बीच सहयोग किया जाता है।
  • आसियान-भारत के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष, आसियान-भारत सहयोग निधि, आसियान-भारत ग्रीन कोष, आसियान-भारत एसएंडटी विकास फंड के साथ-साथ राजनीतिक सुरक्षा सहयोग, सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में भी सहयोग किया जाता है। 
  • आसियान-भारत मिलकर कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, मानव संसाधन विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन आदि क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं।(टीम दृष्टि इनपुट)

कनेक्टिविटी

  • आसियान-भारत कनेक्टिविटी दोनों पक्षों के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है। आसियान संपर्क समन्वय समिति का तीसरा संवाद साझेदार भारत 2013 में बना था। 
  • आसियान-भारत के बीच समुद्री और हवाई क्षेत्रों में संपर्क का तेज़ी से विस्तार हुआ है।
  • दोनों पक्ष प्राथमिकता के आधार पर महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया में राजमार्गों का विस्तार कर रहे हैं। 
  • भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को आपस में जोड़ने वाली सड़कों के साथ यात्रियों व माल परिवहन को जोड़ने के लिये काम चल रहा है। 
  • इसके परिणामस्वरूप दक्षिण-पूर्व एशिया में पर्यटन के सबसे तेज़ी से बढ़ते स्रोतों में अब भारत भी शामिल हो गया है।

आसियान के 10 देश और भारत 
थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रूनेई आसियान के 10 सदस्य देश हैं।

सिंगापुर भारत और आसियान के बीच एक पुल की तरह है। आज यह पूर्व के साथ हमारे प्रवेश का मुख्य मार्ग है, यह हमारा प्रमुख आर्थिक साझेदार है और महत्त्वपूर्ण सामरिक सहयोगी भी है जिसकी झलक कई क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों में हमारी सदस्यता से परिलक्षित होती है। सिंगापुर और भारत सामरिक सहयोगी भी हैं। हमारी आर्थिक साझेदारी में दोनों देशों की प्राथमिकताओं का प्रत्येक क्षेत्र शामिल है। सिंगापुर भारत का प्रमुख गंतव्य और निवेश स्रोत है। आज हज़ारों भारतीय कंपनियाँ सिंगापुर में पंजीकृत हैं।

थाईलैंड आसियान देशों में से एक अहम् व्यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाले महत्त्वपूर्ण देशों में से एक है। भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले दशक में बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है। दोनों देशों के संबंध कई क्षेत्रों में विस्तृत रूप से विकसित हुए हैं और दक्षिण और दक्षिण-पूर्व को जोड़ने वाले महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदार हैं। हम आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और बिमस्टेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी के देशों के संगठन) में घनिष्ठ सहयोगी तो हैं ही, मीकांग-गंगा सहयोग, एशिया सहयोग वार्ता और हिन्द महासागर के तटवर्ती देशों के संगठन में भी साझेदार हैं।

वियतनाम के साथ भारत के संबंध बढ़ते हुए आर्थिक और वाणिज्यिक संपर्कों को रेखांकित करते हैं। भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार दस वर्षों में करीब 10 गुना बढ़ गया है। रक्षा सहयोग भारत और वियतनाम के बीच सामरिक साझेदारी के महत्त्वपूर्ण आधार स्तंभ के रूप में उभरकर सामने आया है। विज्ञान और तकनीक दोनों देशों के बीच सहयोग का एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।

म्यांमार के साथ भारत की 1600 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी साझा ज़मीनी और समुद्री सीमा है। पिछले दशक में हमारा व्यापार दोगुने से भी अधिक बढ़ गया है। हमारे निवेश संबंध भी काफी सुदृढ़ हुए हैं। म्यांमार के साथ भारत के संबंधों में विकास संबंधी सहयोग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। फिलहाल भारत की ओर से सहायता राशि 1.73 अरब डालर से अधिक है। भारत का पारदर्शी विकास सहयोग म्यांमार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार है जिसका आसियान से जुड़ने के मास्टर प्लान यानी वृहद योजना के साथ पूरा तालमेल है।   

फिलीपींस और भारत दोनों सेवा के क्षेत्र में मज़बूत हैं और सबसे ऊँची विकास दर वाले दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल हैं। व्यापार और कारोबार की क्षमताओं की वजह से दोनों देशो में  अनेक संभावनाएं हैं। समावेशी विकास और भ्रष्टाचार से संघर्ष के बारे में दोनों देश एक राय हैं। भारत यूनीवर्सल आईडी कार्ड, वित्तीय समावेशन, बैंकिंग को सबकी पहुँच के दायरे में लाने, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और नकदी विहीन लेन-देन को बढ़ावा देने के बारे में अपने अनुभवों को फिलीपींस के साथ साझा कर रहा है। सभी को वाजिब दामों पर दवाएँ उपलब्ध कराने की फिलीपींस सरकार की प्राथमिकता में भी भारत ने सहयोग का प्रस्ताव दिया है। आतंकवाद की चुनौती से निबटने के लिये भी दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं। 

मलेशिया और भारत सामरिक साझेदार हैं और कई बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय मंचों में भी सहयोगी हैं। आसियान में मलेशिया भारत के तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाला आसियान देशों में से महत्त्वपूर्ण निवेशक है। पिछले दस वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है। 2011 से भारत और मलेशिया के बीच विस्तृत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौता जारी है। यह समझौता इस अर्थ में अनोखा है कि इसने वास्तु व्यापार के क्षेत्र में आसियान से कही अधिक वचनबद्धाओं वाला प्रस्ताव किया और सेवाओं के विनिमय में डब्ल्यूटीओ से भी अधिक के प्रस्ताव किये। दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान को रोकने के संशोधित समझौते पर मई 2012 में दस्तखत किये गए और सीमा शुल्क के क्षेत्र में सहयोग के लिये 2013 में समझौता हुआ जिसने हमारे व्यापार और निवेश सहयोग को और भी सुविधाजनक बना दिया है।

ब्रूनेई और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले दशक में दोगुने से ज़्यादा हुआ है। भारत और ब्रूनेई संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल, एआरएफ आदि संगठनों के साझा सदस्य हैं। विकासशील देशों के रूप में मज़बूत पारम्परिक और सांस्कृतिक संबंधों के साथ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विषयों पर ब्रूनेई और भारत के विचारों में काफी हद तक समानता है।

लाओस और भारत के बीच संबंध व्यापक रूप से कई क्षेत्रों में विकसित हुए हैं। भारत लाओस  के विद्युत वितरण एवं कृषि क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। दोनों देश अनेक बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं। यद्यपि दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार संभावनाओं से कम है, लेकिन लाओस से भारत में निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये भारत ने उसे ड्यूटी फ्री टैरिफ प्रेफरेंस स्कीम की सुविधा दी हुई है। 

इंडोनेशिया और भारत के बीच हिंद महासागर में केवल 90 समुद्री मील की दूरी है और रणनीतिक सहयोगियों के रूप में दोनों देशों का सहयोग राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा एवं सुरक्षा, सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंधों जैसे सभी क्षेत्रों में फैला हुआ है। आसियान में इंडोनेशिया हमारा लगातार सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना हुआ है। भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले 10 वर्षों में 2.5 गुना बढ़ा है। 

कंबोडिया आसियान और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत का एक महत्त्वपूर्ण सहयोगी और साझीदार है। 1981 में खमेर रूज की सत्ता समाप्त होने के बाद भारत पहला ऐसा देश था जिसने वहाँ की नई सरकार को मान्यता दी थी। पेरिस शांति समझौता एवं 1991 में इसको पूर्ण किये जाने में भी भारत शामिल था। दोनों देशों ने अपने सहयोग का संस्थागत क्षमता विकास, मानव संसाधन विकास, विकासात्मक एवं सामाजिक परियोजनाएँ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सैन्य सहयोग, पर्यटन और लोगों के बीच संबंधों जैसे विविध क्षेत्रों में विस्तार किया है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

निष्कर्ष: भारत व आसियान के बीच बहुपक्षीय संबंधों का विकास देश में आर्थिक उदारीकरण के बाद से शुरू हुआ। इसी कड़ी के 25 साल पूरे होने के मौके पर आसियान-भारत मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने भविष्य की यात्रा के लिये अपने संकल्प को दोहराया। भारत और आसियान की अर्थव्यवस्था साथ मिलकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। भारत एवं आसियान देशों के संबंध किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्द्धा एवं दावेदारी से मुक्त हैं और दोनों के पास भविष्य के लिये एक साझा दृष्टिकोण है, जो समावेशन एवं एकीकरण, सभी राष्ट्रों की सार्वभौमिक समानता तथा व्यापार और पारस्परिक संबंधों के लिये स्वतंत्र एवं खुले मार्गों के समर्थन की प्रतिबद्धता पर आधारित है। भारत के विकास की यात्रा में देश का उत्तर-पूर्व क्षेत्र भी प्रगति के पथ पर है और आसियान देशों के साथ कनेक्टिविटी से इस प्रगति को और गति मिलेगी।

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