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भारतीय अर्थव्यवस्था

एल्गो ट्रेडिंग पर प्रस्ताव

  • 18 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कैपिटल मार्केट, सेबी, एल्गोरिथम ट्रेडिंग, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस।

मैन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में पूँजी बाज़ार और इसका महत्त्व, पूँजी बाज़ार से संबंधित कानून और इसके नियमन, एल्गो ट्रेडिंग से संबंधित चिंताएँ और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एल्गोरिथम या एल्गो ट्रेडिंग, या स्वचालित निष्पादन और तर्क से उत्पन्न ट्रेडों को विनियमित करने पर एक चर्चा पत्र जारी किया है।

एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading)

  • डिज़िटल दुनिया में लगभग सब कुछ एल्गोरिदम पर आधारित है। एल्गोरिदम उपयोगककर्त्ता डेटा, व्यवहार और उपयोग पैटर्न का लाभ उठाते हैं तथा कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये पूर्व-निर्दिष्ट निर्देश प्राप्त करते हैं।
  • एल्गो ट्रेडिंग उन्नत गणितीय मॉडल के उपयोग से सुपरफास्ट गति से उत्पन्न ऑर्डर को संदर्भित करता है जिसमें व्यापार का स्वचालित निष्पादन शामिल होता है।
    • यहाँ तक कि स्प्लिट-सेकंड फास्ट एक्सेस को भी ट्रेडर को भारी लाभ दिलाने हेतु सक्षम माना जाता है।
  • एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम स्वचालित रूप से लाइव स्टॉक की कीमतों की निगरानी करता है और दिये गए मानदंडों को पूरा करने पर एक ऑर्डर शुरू करता है। 
  • यह व्यापारियों के लिये लाइव स्टॉक की कीमतों की निगरानी और मैन्युअल ऑर्डर प्लेसमेंट शुरू करने को सरल बनता है।
  • यह एक ब्रोकर को एक विशिष्ट समय पर या एक निश्चित कीमत पर शेयर खरीदने या बेचने के लिये कहने जैसा है, सिवाय इसके कि एल्गोरिथम ट्रेडिंग की गति तेज़ है कंप्यूटर कम त्रुटि की गुंजाइश के साथ एक निश्चित समय में मानव की तुलना में बहुत अधिक डेटा का विश्लेषण करता है।
    • इसके अलावा, महत्त्वपूर्ण मूल्य परिवर्तन से बचा जा सकता है क्योंकि ऑर्डर सेकंडो के अंदर  निष्पादित होते हैं।
    • इस प्रकार, निवेशक अधिक ट्रेडों को तेज़ी से निष्पादित कर सकते हैं क्योंकि मॉनिटर करने, चयन करने, खरीदने, बेचने, ऑर्डर प्लेसमेंट शुरू करने आदि में मैन्युअल की अपेक्षा एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम में कम समय लगता है।

प्रमुख बिंदु:

  • सेबी का प्रस्ताव:
    • रेगुलेटिंग फ्रेमवर्क: एल्गो ट्रेडिंग के लिये एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की ज़रूरत है।
    • एल्गो-ऑर्डर: API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) से निकलने वाले सभी ऑर्डर को एल्गो ऑर्डर के रूप में माना और स्टॉक ब्रोकर द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिये तथा  एल्गो ट्रेडिंग करने के लिये API को स्टॉक द्वारा प्रदान की गई अद्वितीय एल्गो आईडी के साथ टैग किया जाना चाहिये। स्टॉक एक्सचेंज एल्गो को मंज़ूरी दे रहा है।
      • एक्सचेंज स्वीकृति: प्रत्येक एल्गो रणनीति, चाहे वह ब्रोकर या क्लाइंट द्वारा उपयोग की जाती हो आदि को एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिये और जैसा कि वर्तमान स्वरुप के अनुसार प्रत्येक एल्गो रणनीति को प्रमाणित सूचना प्रणाली लेखा परीक्षक (सीआईएसए)/सूचना प्रणाली लेखा परीक्षा (डीआईएसए) लेखा परीक्षकों में डिप्लोमा द्वारा प्रमाणित किया जाना है।
    • एल्गो-आईडी: स्टॉक एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करने के लिये एक प्रणाली विकसित करनी होगी कि केवल उन्हीं एल्गो को तैनात किया जा रहा है जो एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित हैं और एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई एल्गो आईडी अद्वितीय हैं।
    • स्टॉक एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करने के लिये एक प्रणाली विकसित करनी होगी जो केवल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित हो बल्कि साथ ही स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई विशिष्ट एल्गो आईडी को ही तैनात किया जा रहा है।
    • क्लाइंट ऑर्डर को नियंत्रित करने के लिये ब्रोकर: किसी भी संस्था द्वारा विकसित सभी एल्गो को ब्रोकरों के सर्वर पर चलाना होता है, जिसमें ब्रोकर के पास क्लाइंट ऑर्डर  पुष्टिकरण और मार्ज़िन जानकारी का नियंत्रण होता है।
    • प्रमाणीकरण: ऐसी प्रत्येक प्रणाली में दो ऐसे प्रमाणीकरण कारक बनाए जाने चाहिये जो किसी भी एपीआई/एल्गो व्यापार हेतु निवेशको तक पहुँच को आसान बनाता हो।
  • सेबी की चिंताएँ:
    • बाज़ार के लिये जोखिम: अनियंत्रित और अस्वीकृत एल्गो, बाज़ार के लिये जोखिम पैदा करते हैं और व्यवस्थित बाज़ार में हेरफेर के साथ-साथ खुदरा निवेशकों को उच्च रिटर्न की गारंटी देकर उन्हें लुभाने के लिये इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
    • पहचान का मुद्दा: वर्तमान में एक्सचेंज केवल दलालों द्वारा प्रस्तुत किये गए एल्गो को मंज़ूरी देते हैं। हालाँकि APIs का उपयोग करने वाले खुदरा निवेशकों द्वारा तैनात किये गए एल्गो के लिये न तो एक्सचेंज और न ही दलाल यह पहचान सकते हैं कि APIs लिंक से निकलने वाला व्यापार एक एल्गो या गैर-एल्गो व्यापार है।
    • निवारण तंत्र का अभाव: असफल एल्गो रणनीति के मामले में संभावित नुकसान खुदरा निवेशकों के लिये बहुत बड़ा हो सकता है, क्योंकि इस संबंध में कोई भी निवेशक शिकायत निवारण तंत्र मौजूद नहीं है।
  • महत्त्व
    • खुदरा निवेशकों का संरक्षण: यह सुनिश्चित करेगा कि खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा हो और यह एल्गो ट्रेडिंग करने हेतु निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देगा।
    • मूल्य हेरफेर पर अंकुश: नियमों के एक सेट के साथ, किसी भी प्रकार का मूल्य हेरफेर संभव नहीं होगा और निवेशकों को इस प्रक्रिया में कोई भारी नुकसान नहीं होगा।
    • दलालों का सशक्तीकरण: इसके अतिरिक्त, यह दलालों के लिये अपने तकनीकी कौशल को बढ़ाने और अपने ग्राहकों का विस्तार करने में भी मदद करेगा।
  • बाज़ार संबंधी चिंताएँ
    • प्रक्रिया को थकाऊ बनाता है: एल्गो ट्रेडिंग शेयर बाज़ारों को गहरा करेगी और खुदरा निवेशकों की सहायता करेगी, जो स्टॉक ट्रेडिंग में पूर्णकालिक तौर पर संलग्न नहीं हैं। हालाँकि स्टॉक एक्सचेंजों से अपेक्षित अनुमति प्राप्त करना एक कठिन प्रक्रिया है, इसलिये ब्रोकरों को APIs सिस्टम का उपयोग बंद करना पड़ सकता है।
    • बाज़ार का नकारात्मक प्रभाव विकास: एक मौका है कि अगर API की अनुमति नहीं है तो निवेशक किसी अन्य प्रणाली में स्थानांतरित हो सकते हैं, प्रतिबंध लगाने से बाज़ार के विकास पर असर पड़ेगा।

एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस का कार्य

  • भारत में कई दलालों ने अपने ग्राहकों को API एक्सेस प्रदान करना शुरू कर दिया है, जो एक डेटा प्रदाता (स्टॉक ब्रोकर) और एक अंतिम-उपयोगकर्त्ता (क्लाइंट) के बीच एक ऑनलाइन कनेक्शन स्थापित करता है।
  • API एक्सेस निवेशकों को एक तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन का उपयोग करने में सक्षम बनाता है जो उनकी सुविधा की ज़रूरतों के अनुरूप है या ऐसे निवेशक जिनके पास अपनी स्वयं की फ्रंट-एंड सुविधाओं का निर्माण करने की तकनीकी क्षमताएँ हैं।
  • ये तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन किसी निवेशक को बाज़ार डेटा का विश्लेषण करने या किसी ट्रेडिंग या निवेश रणनीति का बैक-टेस्ट करने में मदद करते हैं। इन APIs का उपयोग निवेशक अपने व्यापार को स्वचालित करने के लिये कर रहे हैं।
  • वर्तमान में ब्रोकर API से निकलने वाले ऑर्डर की पहचान कर सकते हैं, लेकिन वे API से निकलने वाले एल्गो और नॉन-एल्गो ऑर्डर के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं।

आगे की राह

  • कोई भी विनियम किसी विशिष्ट बाज़ार के लिये किसी भी खतरे को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण होता है। लेकिन ऐसा करने में, इसे अक्सर नवाचारों को दबाना पड़ता है और कदाचार या दुरुपयोग से बचने के लिये जाँच-पड़ताल करनी पड़ती है।
  • यह आवश्यक है कि नियामक एल्गोरिदम के संचालन में अच्छी तरह से वाकिफ हों और जहाँ आवश्यक हो नए कानून में संलग्न होने में सक्षम होने के लिये लचीलापन हो।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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