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रामसर COP-15 के दौरान 'आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग' पर भारत का प्रस्ताव

  • 02 Aug 2025
  • 48 min read

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों? 

भारत के प्रस्ताव ‘‘आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु सतत् जीवनशैली को बढ़ावा देना’’ को रामसर आर्द्रभूमि अभिसमय के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP15) में स्वीकार किया गया, जो विक्टोरिया फॉल्स, ज़िम्बाब्वे में आयोजित हुआ था।

आर्द्रभूमि के विवेकपूर्ण उपयोग पर भारत का प्रस्ताव क्या है?

  • परिचय: भारत का यह प्रस्ताव वर्ष 2024 में अपनाए गए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के प्रस्ताव 6/8 ‘‘सतत् जीवनशैली को बढ़ावा देने’’ पर आधारित है, और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु ‘‘समाज-समग्र दृष्टिकोण’’ को प्रोत्साहित करता है।
  • मुख्य प्रावधान:
    • वैश्विक ढाँचों के साथ संरेखण: भारत का प्रस्ताव प्रस्ताव XIV.8 के अनुरूप है। यह सतत् उपभोग और उत्पादन पर 10-वर्षीय रूपरेखा (10YFP) का भी समर्थन करता है।
      • प्रस्ताव XIV.8, जिसे रामसर आर्द्रभूमि सम्मेलन के COP14 में अपनाया गया था, आर्द्रभूमियों के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग हेतु “नवीन CEPA दृष्टिकोण” को रेखांकित करता है, जिसका केंद्रबिंदु संप्रेषण, शिक्षा, भागीदारी और जन-जागरूकता है।
      • 10YFP एक वैश्विक ढाँचा है जिसे वर्ष 2012 में रियो+20 सम्मेलन में अपनाया गया था, जिसका उद्देश्य सतत् उपभोग और उत्पादन (SCP) के पैटर्न की ओर बदलाव को तेज़ करना है।
    • स्थिरता का एकीकरण: आर्द्रभूमि योजनाओं, कार्यक्रमों और निवेशों में स्थायी जीवनशैली-आधारित हस्तक्षेपों के स्वैच्छिक एकीकरण का आग्रह करता है।
    • मिशन लाइफ लिंकेज: यह भारत के मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) पर आधारित है, जो ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में शुरू किया गया एक ग्रह-समर्थक व्यवहार आंदोलन है।
    • व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित: सचेत उपभोग, अपशिष्ट में कमी और पर्यावरणीय क्षरण को कम करने वाले कार्यों को प्रोत्साहित करता है।

आर्द्रभूमियों का विवेकपूर्ण उपयोग

  • रामसर कन्वेंशन (1971) आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग को "सतत् विकास के संदर्भ में, पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोणों के कार्यान्वयन के माध्यम से प्राप्त उनके पारिस्थितिक चरित्र के रखरखाव" के रूप में परिभाषित करता है।
  • भारत का विवेकपूर्ण उपयोग दृष्टिकोण: भारत ने "आर्द्रभूमि का विवेकपूर्ण उपयोग- एक कार्यान्वयन ढाँचा (2024)" जारी किया, जिसका उद्देश्य विवेकपूर्ण उपयोग की अवधारणा को स्पष्ट करना और देश भर में आर्द्रभूमियों में इसे प्राप्त करने के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करना है।
    • मिशन सहभागिता और आर्द्रभूमि बचाओ अभियान जैसी पहलों के तहत, पिछले तीन वर्षों में 20 लाख से अधिक नागरिकों ने स्वेच्छा से भाग लिया है, जिसके परिणामस्वरूप 1.7 लाख से अधिक आर्द्रभूमियों का मानचित्रण और लगभग 1.2 लाख की सीमा का सीमांकन किया गया है।
    • इसके अतिरिक्त, जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय योजना (NPA) जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों की बहाली और सतत प्रबंधन का मार्गदर्शन करती रहती है।
    • अमृत धरोहर योजना, पारिस्थितिक पर्यटन, समुदाय-आधारित आजीविका, जैव विविधता संरक्षण और कार्बन भंडारण के माध्यम से आर्द्रभूमियों का समर्थन करती है।

रामसर COP-15 के मुख्य परिणाम क्या हैं?

  • विक्टोरिया फॉल्स घोषणा: यह राजनीतिक प्रतिबद्धता, संसाधन जुटाने में वृद्धि और आर्द्रभूमि प्रबंधन में निवेश की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  • 13 प्रस्तावों को अंगीकार करना: पक्षकारों ने प्रवासी पक्षियों के लिये फ्लाईवे संरक्षण को सशक्त बनाने, वैश्विक जलपक्षी अनुमान साझेदारी की स्थापना करने तथा नदी डॉल्फिन जैसी प्रजातियों की रक्षा करने पर भी सहमति व्यक्त की।

    • उल्लेखनीय है कि आर्द्रभूमियों के पुनर्स्थापन पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें क्षयग्रस्त मीठे जल पारिस्थितिकीय तंत्रों के पुनर्स्थापन के लिये राष्ट्रीय नीतियाँ विकसित करने का आह्वान किया गया।

    • एक अन्य प्रस्ताव पारित कर अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के चयन हेतु मानदंडों को परिष्कृत करने की बात कही गई, जिसमें IUCN रेड लिस्ट के आँकड़ों और IUCN विशेषज्ञ समूहों से प्राप्त सुझावों को आधार बनाने की सिफारिश की गई।

    • प्रस्तावों में स्थायी आर्द्रभूमि प्रबंधन में आदिवासी ज्ञान और स्थानीय समुदायों की भूमिका को भी मान्यता दी गई।

  • पाँचवीं रामसर रणनीतिक योजना: सभी पक्षों ने चार लक्ष्यों और 18 लक्ष्यों वाली पाँचवीं रणनीतिक योजना को अपनाया। STRP (वैज्ञानिक एवं तकनीकी समीक्षा पैनल) प्रगति की निगरानी करेगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. आर्द्रभूमि के 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की अवधारणा रामसर कन्वेंशन का केंद्रबिंदु है। आर्द्रभूमि के बुद्धिमानी से उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये भारत के दृष्टिकोण का परीक्षण कीजिये।

और पढ़ें: ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक (GWO) 2025

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न. "यदि वर्षावन और उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी के फेफड़े हैं, तो निश्चित ही आर्द्रभूमियाँ इसके गुर्दों की तरह काम करती हैं।" निम्नलिखित में से आर्द्रभूमियों का कौन-सा एक कार्य उपर्युक्त कथन को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022)

(a) आर्द्रभूमियों के जल चक्र में सतही अपवाह, अवमृदा अंतःस्त्रवण और वाष्पन शामिल होते हैं।

(b) शैवालों से वह पोषक आधार बनता है, जिस पर मत्स्य, परुषकवची (क्रश्टेशिआई), मृदुकवची (मोलस्क), पक्षी, सरीसृप और स्तनधारी फलते-फूलते हैं।

(c) आर्द्रभूमियाँ अवसाद संतुलन और मृदा स्थिरीकरण बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

(d) जलीय पादप भारी धातुओं और पोषकों के आधिक्य को अवशोषित कर लेते हैं।

उत्तर: (d)

प्रश्न. यदि अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की किसी आर्द्रभूमि को 'मॉन्ट्रियो रिकॉर्ड' के अधीन लाया जाए, तो इससे क्या अभिप्राय है? (2014) 

(a) मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आर्द्रभूमि में पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हो गया है, हो रहा है या होना सम्भावित है

(b) जिस देश में आर्द्रभूमि अवस्थित है, उसे आर्द्रभूमि के कोर से पाँच किलोमीटर के दायरे में मानव क्रियाकलाप को निषिद्ध करने के लिये विधि अधिनियमित करना चाहिये 

(c) आर्द्रभूमि का बचा रहना इसके आस-पास रहने वाले कतिपय समुदायों की सांस्कृतिक प्रथाओं तथा परम्पराओं पर निर्भर है और इसलिये उसके अन्दर की सांस्कृतिक विविधता को नष्ट नहीं किया जाना चाहिये 

(d) इसे 'विश्व विरासत स्थल' की स्थिति प्रदान की गई है

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर संकल्पना को स्पष्ट कीजिये। भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरणों का उद्धरण दीजिये। (2018)

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