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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-लैटिन अमेरिका व्यापारिक संबंध

  • 12 Nov 2025
  • 87 min read
प्रिलिम्स के लिये: लैटिन अमेरिका, अधिमान्य व्यापार समझौता, दोहरा कराधान अपवंचन समझौता

मेन्स के लिये: भारत के लिये लैटिन अमेरिका का महत्त्व, भारत का दक्षिण-दक्षिण सहयोग

स्रोत: PIB

चर्चा में क्यों? 

भारत ने पेरू के साथ व्यापार वार्ता के 9वें दौर और चिली के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) की तीसरी दौर की वार्ता को पूरा करके लैटिन अमेरिका के साथ अपने व्यापार संबंधों को मज़बूत किया है।

भारत और पेरू के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?

  • आर्थिक एवं व्यापारिक संबंध: पेरू लैटिन अमेरिका-कैरिबियन (LAC) क्षेत्र में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2003 में 66 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में लगभग 3.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
    • भारत पेरू के सोने और तांबे का एक प्रमुख आयातक है। मौजूदा व्यापार समझौते से सहयोग मज़बूत होने और प्रमुख क्षेत्रों में नए अवसर प्राप्त होने की उम्मीद है।
    • भारत-पेरू व्यापार समझौते की वार्ता के 9वें दौर में वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार, उत्पत्ति के नियम, व्यापार में तकनीकी बाधाएँ और महत्त्वपूर्ण खनिज आदि जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।
  • विकास साझेदारी: भारत ने आपात स्थितियों (COVID-19, गुइलेन-बैरे प्रकोप 2023) के दौरान चिकित्सा सहायता प्रदान की है।
    • भारत, भारत-पेरू आईटी उत्कृष्टता केंद्र (2015 से) जैसी पहलों के माध्यम से तकनीकी सहयोग प्रदान करता है।
    • भारत ने आपदा राहत और सांस्कृतिक/शैक्षिक पहलों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की है।

पेरू

  • यह देश दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी भाग में स्थित है। इसके उत्तर में इक्वाडोर और कोलंबिया, पूर्व में ब्राज़ील, दक्षिण-पूर्व में बोलिविया, दक्षिण में चिली और पश्चिम में प्रशांत महासागर की सीमा लगती है।
  • पेरू के पौधों और पशु जीवन को तीन मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों — कोस्ता (Costa), सिएरा (Sierra) और अमेज़ोनिया, के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • विश्व का सबसे बड़ा वर्षावन अमेज़न पेरू के लगभग आधे हिस्से को आच्छादित करता है।
  • एंडीज़ पर्वतमाला, जो विश्व की दूसरी सबसे ऊँची पर्वतमाला है, पेरू के मध्य से होकर गुजरती है।
  • इसकी सबसे ऊँची चोटी माउंट हुआस्करन है तथा टिटिकाका झील (बोलीविया के साथ साझा) विश्व की सबसे ऊँची नौगम्य झील है।

भारत और चिली के संबंध कैसे हैं?

  • आर्थिक: भारत और चिली के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020 में 1.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024 में 3.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 
    • भारत के प्रमुख निर्यातों में मोटर वाहन, फार्मास्यूटिकल्स, लोहा और इस्पात उत्पाद, वस्त्र, विद्युत मशीनरी और चमड़े के सामान शामिल हैं, जबकि चिली से प्रमुख आयात ताँबा, लुगदी, फल और खनिज हैं।
  • व्यापार: भारत और चिली के अधिमान्य व्यापार समझौते (पीटीए) ने बाज़ार पहुँच का विस्तार किया है तथा व्यापार विविधीकरण को बढ़ावा दिया है, जबकि दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) ने निवेश विश्वास को मज़बूत किया है तथा व्यापार करने में आसानी में सुधार किया है।
    • यह साझेदारी भारत की व्यापक "एक्ट लैटिन अमेरिका" नीति का हिस्सा है, जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग को गहरा करेगी।

चिली

  • दक्षिण अमेरिका में स्थित चिली एक लंबा, संकीर्ण देश है जिसकी सीमा उत्तर में पेरू और बोलीविया, पूर्व में अर्जेंटीना, पश्चिम में प्रशांत महासागर और दक्षिण में ड्रेक दर्रे से लगती है।
  • भौगोलिक दृष्टि से एंडीज़ पर्वतमाला चिली (विश्व की सबसे लंबी महाद्वीपीय शृंखला), अटाकामा रेगिस्तान (सबसे शुष्क गैर-ध्रुवीय रेगिस्तान) और अर्जेंटीना-चिली सीमा पर स्थित ओजोस डेल सलाडो (विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी) से होकर गुजरती है।
  • प्रशांत अग्नि वलय पर स्थित, चिली में अक्सर भूकंप और सुनामी आती रहती हैं।
  • आर्थिक दृष्टि से, यह विश्व का सबसे बड़ा ताँबा उत्पादक देश है तथा अर्जेंटीना और बोलीविया के साथ "लिथियम ट्रायंगल" का हिस्सा है।

भारत-लैटिन अमेरिका संबंधों का क्या महत्त्व है?

  • आर्थिक और व्यापारिक विविधीकरण: भारत और लैटिन अमेरिका के बीच व्यापार वर्ष 2023–24 में 35.7 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें से 14 अरब डॉलर से अधिक का हिस्सा भारत के निर्यात का था।
    • लैटिन अमेरिका, भारत के व्यापार और निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद करता है, जिससे अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन जैसे पारंपरिक साझेदारों पर निर्भरता कम होती है।
  • ऊर्जा और महत्त्वपूर्ण खनिज सुरक्षा: लैटिन अमेरिका भारत के ऊर्जा विविधीकरण का केंद्र है, जो ब्राज़ील, मैक्सिको और वेनेजुएला से भारत के कच्चे तेल का 15-20% आपूर्ति करता है।
    • लिथियम ट्रायंगल (चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया) में वैश्विक लिथियम भंडार का 75% से अधिक हिस्सा है, जो भारत के EV और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • अर्जेंटीना में भारत का काबिल-कैमयेन समझौता देश की पहली विदेशी लिथियम अन्वेषण परियोजना है, जो प्रमुख खनिजों तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
  • खाद्य एवं कृषि सुरक्षा: यह क्षेत्र खाद्य तेलों, दालों और अनाजों सहित खाद्य वस्तुओं का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्त्ता बन गया है।
    • अर्जेंटीना और ब्राजील भारत को सोयाबीन तेल के प्रमुख निर्यातक हैं, जो मूल्य स्थिरता और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद करते हैं।
    • लैटिन अमेरिका से भारत का खाद्य तेल आयात वर्ष 2022 में बढ़कर 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो इस क्षेत्र के कृषि-निर्यात पर इसकी बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है।
    • भू-राजनीतिक और रणनीतिक संरेखण: जी-20, ब्रिक्स और IBSA जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग भारत के वैश्विक नेतृत्व को बढ़ाता है।
    • दोनों क्षेत्र बहुध्रुवीय विश्व और सक्रिय गुटनिरपेक्षता का समर्थन करते हैं तथा अक्सर जलवायु परिवर्तन और वैश्विक शासन सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों पर समन्वयात्मक रुख अपनाते हैं।
  • इस भागीदारी से भारत को LAC क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने में मदद मिलेगी, जो वर्तमान में व्यापार और बुनियादी ढाँचे के निवेश पर हावी है।
  • जलवायु सहयोग और सतत् विकास: दोनों क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा, जैवविविधता संरक्षण और हरित परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता साझा करते हैं।
    • भारत ने सौर एवं जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के लिये कैरिकॉम को 140 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की।
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में लैटिन अमेरिका की भागीदारी जलवायु कूटनीति में नेतृत्व को मज़बूत करती है।

भारत–लैटिन अमेरिका संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • संपर्क संबंधी बाधाएँ: भारत और लैटिन अमेरिका के बीच अत्यधिक भौगोलिक दूरी के कारण परिवहन लागत अधिक और शिपिंग समय लंबा रहता है।
    • प्रभावी लॉजिस्टिक नेटवर्क और हवाई मालवाहक गलियारों की अनुपस्थिति व्यापार विस्तार तथा लोगों के बीच संपर्क को सीमित करती है।
  • सीमित भागीदारी: भारत का व्यापार कुछ ही देशों (ब्राज़ील, मैक्सिको, अर्जेंटीना, चिली) तक केंद्रित है, जबकि पनामा और ग्वाटेमाला जैसे छोटे देशों के साथ जुड़ाव बहुत कम है।
  • चीन से प्रतिस्पर्द्धा: चीन लैटिन अमेरिकी व्यापार और निवेश पर हावी है, जिसका व्यापार 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जबकि भारत का व्यापार 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • चीन ने सेंट्रल बाई-ओशनिक रेलवे कॉरिडोर जैसी विशाल अवसंरचना और खनन परियोजनाओं में निवेश कर अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जिसका भारत अब तक तुलनीय विकल्प नहीं दे पाया है।
    • चीन की वित्तीय क्षमता और कूटनीतिक पहुँच इस क्षेत्र में भारत के विस्तार प्रयासों के लिये  एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है।
  • लैटिन अमेरिका में कमज़ोर क्षेत्रीय एकीकरण: MERCOSUR जैसी क्षेत्रीय संगठन आंतरिक मतभेदों और धीमी निर्णय-प्रक्रिया से जूझ रहे हैं।
    • कुछ सदस्य देश (जैसे ब्राज़ील और उरुग्वे) स्वतंत्र व्यापार समझौतों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय एकजुटता कमज़ोर हो रही है।
    • इससे भारत के लिये पूरे लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के साथ एकीकृत आर्थिक मंच के माध्यम से जुड़ना कठिन हो जाता है।
  • सीमित बहुपक्षीय और संस्थागत भागीदारी: भारत की लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई राज्यों के समुदाय (CELAC) तथा पैसिफिक एलायंस जैसे क्षेत्रीय संगठनों में भागीदारी अब तक अनियमित और अवसरवादी रही है।
    • बहुपक्षीय संवादों में निरंतर भागीदारी की कमी के कारण भारत क्षेत्रीय नीतिगत ढाँचे को प्रभावित करने में सक्षम नहीं हो पाता।

भारत–लैटिन अमेरिका संबंधों को सुदृढ़ करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ करना: व्यापार और माल-परिवहन को सुगम बनाने के लिये लॉजिस्टिक्स हब तथा बंदरगाह साझेदारी विकसित की जानी चाहिये।
    • आपूर्ति शृंखला की दक्षता बढ़ाने के लिये भारत–लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई (LAC) के बीच एक समर्पित समुद्री या हवाई मालवाहक गलियारा स्थापित करने की दिशा में पहल की जा सकती है।
  • राजनीतिक और कूटनीतिक जुड़ाव को सशक्त बनाना: विदेश मंत्रालय के अंतर्गत एक ‘भारत–LAC संवाद तंत्र’ (India–LAC Dialogue Mechanism) स्थापित किया जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय समन्वय और संवाद को प्रोत्साहन मिले।
    • भारत को CELAC, CARICOM और पैसिफिक एलायंस जैसे क्षेत्रीय संगठनों में अपनी भागीदारी तथा सक्रियता बढ़ानी चाहिये।
  • आर्थिक और व्यापार एकीकरण को गहरा करना: MERCOSUR तथा अन्य क्षेत्रीय समूहों के साथ मौजूदा PTA को विस्तारित कर व्यापक मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) में परिवर्तित किया जा सकता है।
    • व्यापार को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने के लिये शुल्क संरचनाओं तथा विनियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना आवश्यक है।
  • प्रौद्योगिकीय सहयोग को बढ़ावा देना: स्टार्ट-अप्स तथा MSME के लिये भारत–लैटिन अमेरिका और कैरिबियन (LAC) नवाचार केंद्र स्थापित किये जाएँ, जो सतत् प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हों।
    • कृषि, जलवायु लचीलापन और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • दक्षिण–दक्षिण सहयोग ढाँचे के तहत ज्ञान-विनिमय और कम लागत वाली प्रौद्योगिकी साझेदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • भारतीय प्रवासी समुदाय और निजी क्षेत्र को जोड़ना: लैटिन अमेरिका, विशेषकर गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो तथा सूरीनाम में भारतीय प्रवासियों को सांस्कृतिक एवं आर्थिक सेतु के रूप में कार्य करने के लिये सशक्त बनाना।

निष्कर्ष

लैटिन अमेरिका भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय साझेदार है, जो ऊर्जा, खाद्य एवं खनिज सुरक्षा में योगदान देता है तथा एक बहुध्रुवीय व सतत् वैश्विक व्यवस्था के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है। भारत–लैटिन अमेरिका संबंधों को मज़बूत करना दीर्घकालिक वैश्विक सहयोग और दक्षिण–दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. लैटिन अमेरिका में भारत के व्यापार और निवेश प्रदर्शन का आकलन कीजिये तथा द्विपक्षीय प्रवाह व प्रौद्योगिकी सहयोग बढ़ाने के लिये क्षेत्र-विशिष्ट उपाय सुझाएँ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न: कौन से लैटिन अमेरिकी देश ‘लिथियम ट्रायंगल’ बनाते हैं?
चिली, अर्जेंटीना और बोलिविया मिलकर‘लिथियम ट्रायंगल’ बनाते हैं, जिनके पास विश्व के कुल लिथियम भंडार का 75% से अधिक हिस्सा है।

प्रश्न: भारत के लैटिन अमेरिका से कच्चे तेल के अधिकांश आयात किन देशों से होते हैं?
ब्राज़ील, मैक्सिको और वेनेज़ुएला भारत के लैटिन अमेरिका से होने वाले कच्चे तेल आयात का लगभग 15–20% आपूर्ति करते हैं।

प्रश्न: MERCOSUR क्या है?
मर्कोसुर एक लैटिन अमेरिकी व्यापारिक संगठन (ट्रेड ब्लॉक) है, जिसका मुख्यालय मोंटेवीडियो, उरुग्वे में स्थित है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं?

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

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