दृष्टि के NCERT कोर्स के साथ करें UPSC की तैयारी और जानें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-भूटान साझेदारी को मज़बूत करना

  • 13 Nov 2025
  • 61 min read

प्रिलिम्स के लिये: पंचवर्षीय योजना, गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट, STEM, MSMEs।

मेन्स के लिये: प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा के मुख्य परिणाम, भारत-भूटान संबंध, चुनौतियाँ और भविष्य की साझेदारी की दिशाएँ।

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने भूटान के चौथे नरेश (ड्रुक ग्यालपो) जिग्मे सिंग्ये वांगचुक, जो वर्तमान नरेश के पिता हैं, के 70वें जन्मदिन समारोह में भाग लेने के लिये भूटान की राजकीय यात्रा की।

भारत की भूटान की राजकीय यात्रा की मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • आर्थिक एवं विकासात्मक सहायता: भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना और आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम के लिये अपने समर्थन की पुष्टि की, तथा गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट और असम के हतिसार में एक आव्रजन जाँच चौकी स्थापित करने के निर्णय की घोषणा की।
    • भारत और भूटान ने नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर 3 नए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये।
  • जलविद्युत कूटनीति: भारत और भूटान ने 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया तथा 1200 मेगावाट की पुनात्सांगछू-I जलविद्युत परियोजना पर पुनः कार्य शुरू किया, जिससे उनकी जलविद्युत साझेदारी मज़बूत हुई।
    • भारत ने भूटान में नई ऊर्जा परियोजनाओं के लिये 40 अरब रुपये की ऋण सहायता भी प्रदान की।
  • संपर्क और अवसंरचना: दोनों पक्षों ने सीमा-पार संपर्क और अवसंरचना को मजबूत करने के अपने संकल्प की पुष्टि की। इसमें दर्रांगा चेक पोस्ट (Darranga Check Post) और जोगीगोफा मल्टीमॉडल टर्मिनल (Jogigopha Multimodal Terminal) जैसी पहलों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।
    • उन्होंने गेलेफू-कोकराझार और समत्से-बानरहाट को जोड़ने वाली सीमा पार रेल संपर्क पर प्रगति की सराहना की।
  • व्यापार और कृषि सहयोग: भारत ने भूटान को आवश्यक वस्तुओं और उर्वरकों की आपूर्ति को संस्थागत रूप दिया तथा पहली खेप से निर्बाध कृषि आदानों की आपूर्ति सुनिश्चित हुई।

भारत और भूटान के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?

  • वाणिज्य और आर्थिक संबंध: भारत और भूटान, भारत-भूटान व्यापार समझौता (1972, संशोधित 2016) के तहत मुक्त व्यापार प्रणाली बनाए रखते हैं।
    • वर्ष 2014 से, भूटान के साथ भारत का व्यापार वर्ष 2014-15 में 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से तीन गुना अधिक बढ़कर वर्ष 2024-25 में 1,777.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है और यह निवेश का प्रमुख स्रोत है (कुल का 50%)।
  • विकास साझेदारी: भारत 1960 के दशक से भूटान का प्रमुख विकास भागीदार रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कृषि, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), स्वास्थ्य, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा, शहरी विकास और शिक्षा के लिये भारत ने 4,500 करोड़ रुपए (बाह्य अनुदानों का 73%) प्रदान किये।
    • 4 जलविद्युत परियोजनाएँ (2,136 मेगावाट) संचालन में हैं तथा पुनात्सांगछू-I और II (2,220 मेगावाट) निर्माणाधीन हैं। भारत ने वर्ष 2022 में भूटान से 2,448 करोड़ रुपए की विद्युत् का आयात किया।
  • सांस्कृतिक संबंध: भारत प्रतिवर्ष 1,000 से अधिक छात्रवृत्तियाँ भूटानी छात्रों को प्रदान करता है, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) प्रशिक्षण देता है तथा भारत-भूटान फाउंडेशन (2003) के माध्यम से सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं वैज्ञानिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
    • भूटानी तीर्थयात्री बोधगया, राजगीर, नालंदा और सिक्किम जैसे स्थानों का भ्रमण करते हैं, जबकि भारत भूटानी सांस्कृतिक परियोजनाओं जैसे लखांग (मंदिर) निर्माण का समर्थन करता है।
  • सहयोग के उभरते क्षेत्र: द्विपक्षीय संबंध डिजिटल, वित्तीय एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक फैले हुए हैं, जिसमें भूटान रूपे, BHIM तथा डिजिटल ड्रुक्युल (Digital Drukyul) का उपयोग करता है, भारत-भूटान SAT (2022) की शुरुआत की गई, ग्राउंड अर्थ स्टेशन (2023) खोला गया और STEM शिक्षक की कमी को पूरा करने में सहायता प्राप्त की गई।

भारत-भूटान संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • चीन कारक और भू-राजनीतिक संतुलन: भूटान की चीन के साथ सीमा वार्ता, विशेष रूप से डोकलाम को लेकर, भारतीय सुरक्षा को प्रभावित करती है, जैसा कि वर्ष 2017 के स्टैंडऑफ में देखा गया। रणनीतिक स्वतंत्रता की तलाश में, भूटान अपने संबंधों को संतुलित करने और साझेदारियों को विविध बनाने का प्रयास करता है, जो भारत के साथ उसके विशेष संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
  • आर्थिक निर्भरता: भूटान की अर्थव्यवस्था भारत पर अत्यधिक निर्भर है, जो उसका प्रमुख व्यापारिक साझेदार, दाता और जलविद्युत बाज़ार है, जिससे शक्ति असमानता तथा प्रभुत्व की धारणाएँ उत्पन्न होती हैं।
    • भूटान की पर्यटन नीति, जिसमें उच्च सतत् विकास शुल्क शामिल है, भारतीय पर्यटकों को सीमित करती है, जिससे लोगों के बीच संबंध और सीमा पार की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ता है।
  • पर्यावरणीय चिंताएँ: भूटान की नदियों पर बने अनेक बाँधों के कारण निचले भारतीय राज्यों में जल प्रवाह, गाद और मौसम के चरम प्रभावों को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं, उदाहरण के लिये, भूटान के ताला बाँध के अतिप्रवाह से पश्चिम बंगाल के दुआर्स क्षेत्र में बाढ़ आ गई।
  • सीमा और सुरक्षा मुद्दे: भले ही सीमा मुख्यतः शांतिपूर्ण हो, भारत और भूटान को कभी-कभी अवैध व्यापार, तस्करी तथा उग्रवादी गतिविधियों जैसी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे आर्थिक आदान-प्रदान के साथ सीमा प्रबंधन कठिन हो जाता है।

भारत-भूटान साझेदारी को किस प्रकार सुदृढ़ किया जा सकता है?

  • आर्थिक विविधीकरण: भूटान की भारत पर निर्भरता कम करने के लिये संयुक्त उद्यमों, MSMEs और प्रौद्योगिकी-संचालित उद्योगों को बढ़ावा देना तथा नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना संचार , फार्मास्यूटिकल्स और इको-पर्यटन जैसे क्षेत्रों का अन्वेषण करना।
    • विविध और अनुकूल ऊर्जा पोर्टफोलियो के लिये जल विद्युत से लेकर सौर और पवन ऊर्जा तक सहयोग का विस्तार करना।
  • सामरिक संबंधों को मज़बूत करना: भारत को सभी पक्षों के सुरक्षा हितों की रक्षा करते हुए, भूटान-चीन सीमा वार्ता के शीघ्र समाधान के लिये शांत लेकिन दृढ़ राजनयिक समर्थन बनाए रखना चाहिये।
  • तकनीकी सहयोग का विस्तार: अंतरिक्ष, उपग्रह और डिजिटल परियोजनाओं जैसे टेलीमेडिसिन, शिक्षा नेटवर्क और इंटरनेट गेटवे में भारत की भूमिका को मज़बूत करना तथा तकनीकी विशेषज्ञता के भूटान के मुख्य स्रोत के रूप में STEM और ICT क्षमता निर्माण प्रदान करना।
  • सांस्कृतिक और सॉफ्ट पावर: नेपाल के साथ मिलकर डिजिटल अभिलेखागार के माध्यम से बौद्ध विरासत के संरक्षण हेतु हिमालयन सांस्कृतिक गलियारा स्थापित करना तथा भूटानी पेशेवरों के लिये भारतीय संस्थानों में प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त करने हेतु युवा नेतृत्व फैलोशिप शुरू करना।
  • संयुक्त जल संसाधन प्रबंधन: जल विद्युत से एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन की ओर बदलाव, जल गुणवत्ता, बाढ़ नियंत्रण और जलवायु अनुकूलन पर सीमापार सहयोग के लिये एक मॉडल के रूप में जोर देना।

निष्कर्ष:

भारत-भूटान संबंध निर्भरता के पारंपरिक मॉडल से व्यापार, ऊर्जा, डिजिटल तकनीक, शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को शामिल करते हुए एक गतिशील, बहुआयामी साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। भविष्य की सफलता रणनीतिक अनुकूलन, आर्थिक विविधीकरण, लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने और भौगोलिक निकटता का लाभ उठाकर दोनों देशों के लिये एक स्थायी रणनीतिक और क्षेत्रीय लाभ बनाने पर निर्भर करती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: "जलविद्युत के अतिरिक्त, भारत–भूटान संबंधों का भविष्य डिजिटल, अंतरिक्ष और हरित प्रौद्योगिकियों में साझेदारी पर आधारित है।" इस कथन की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिये और आगे की दिशा पर चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. भारत और भूटान ने औपचारिक राजनयिक संबंध कब स्थापित किये?
भारत और भूटान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध वर्ष 1949 की मैत्री संधि के आधार पर वर्ष 1968 में स्थापित हुए थे, जिसका नवीनीकरण वर्ष 2007 में किया गया था।

2. प्रधानमंत्री मोदी की वर्ष 2025 की भूटान यात्रा के दौरान किन जलविद्युत परियोजनाओं का उद्घाटन या पुनः आरंभ किया गया?
पुनात्सांगछू-II (1020 मेगावाट) का उद्घाटन किया गया और पुनात्सांगछू-I (1200 मेगावाट) पर कार्य फिर से शुरू हुआ।

3. भूटान के कुल व्यापार में भारत का द्विपक्षीय व्यापार कितना है?
भारत भूटान के कुल व्यापार का लगभग 73% हिस्सा है और यह सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्रोत है, जो विदेशी निवेश में 50% का योगदान देता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

मेन्स:

प्रश्न. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016)

close
Share Page
images-2
images-2