नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


सामाजिक न्याय

भारतीय STEM संकायों में लैंगिक अंतराल

  • 26 Apr 2024
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

STEM, STEMM (WiS) कार्यक्रम में महिलाएँ, विज्ञान ज्योति, विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

मेन्स के लिये:

भारतीय STEM में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व, STEM विज्ञान, शिक्षा के बारे में नीति निर्धारण

स्रोत:  टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) संकायों में एक महत्त्वपूर्ण लैंगिक अंतराल मौज़ूद है, BiasWatchIndia के एक अध्ययन से पता चला है कि 98 विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में केवल 13.5% फैकल्टी के रूप में महिलाएँ हैं।

  • अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में भारत में इनका प्रतिनिधित्व अधिक है।

भारतीय STEM संकायों में लैंगिक अंतराल क्यों है?

  • कुछ STEM क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सामाजिक पूर्वाग्रह: जीव विज्ञान जैसे क्षेत्र, जिसे "सॉफ्ट साइंस" के रूप में देखा जाता है, में इंजीनियरिंग और भौतिकी जैसे कठिन विज्ञान की तुलना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक है।
    • सामाजिक पूर्वाग्रह महिलाओं को कम स्त्रैण समझे जाने वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने से हतोत्साहित करते हैं, जिससे उच्च शिक्षा और अनुसंधान में उनकी पसंद प्रभावित होती है।
  • पोस्टडॉक (PostDoc) से फैकल्टी संक्रमण के दौरान समर्थन की कमी: पोस्टडॉक से फैकल्टी तक का महत्त्वपूर्ण संक्रमण अक्सर परिवार नियोजन के साथ संरेखित होता है, जिससे महिलाओं के लिये विकल्प तलाशना कठिन हो जाता है।
    • कैरियर की महत्त्वाकांक्षाओं पर परिवार को प्राथमिकता देने का सामाजिक दबाव और समर्थन संरचनाओं की कमी चुनौती को बढ़ा देती है।
  • विषाक्त कार्यस्थल वातावरण: कई महिलाएँ विषाक्त कार्य वातावरण के कारण STEM अकादमी से बाहर निकल जाती हैं।
    • इन कारकों में अनादर, संसाधनों तक अपर्याप्त पहुँच और पुरुष सहकर्मियों की तुलना में सीमित उन्नति के अवसर शामिल हैं।
  • लिंग प्रतिनिधित्व डेटा तक पहुँचने में कठिनाई: पूरे भारत में STEM में महिला संकाय पर नज़र रखने वाले केंद्रीय डेटाबेस की अनुपस्थिति।
    • डेटा की कमी लैंगिक अंतर को समझने और लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति की निगरानी में बाधा डालती है।

STEM में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल क्या हैं? 

  • STEMM (WiS) कार्यक्रम में महिलाएँ: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा शुरू किया गया, यह STEM में महिलाओं को छात्रवृत्ति, फेलोशिप एवं अनुसंधान अनुदान प्रदान करता है। यह परामर्श और नेटवर्किंग के अवसर भी प्रदान करता है।
  • विज्ञान ज्योति: इसे वर्ष 2019-20 में कक्षा 9-12 में मेधावी छात्राओं को STEM क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करने, इन क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को संबोधित करने के लिये पेश किया गया था। 
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित, यह STEM में युवा महिलाओं के लिये कार्यशालाएँ, सलाह एवं संसाधन प्रदान करता है।
    • कार्यक्रम स्कूल स्तर से PhD स्तर तक सहायता प्रदान करता है।
  • विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएँ- KIRAN (WISE-KIRAN): यह महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान करने तथा S&T-आधारित इंटर्नशिप व स्व-रोज़गार के अवसरों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं का समाधान करने के लिये प्रोत्साहित करती है। 
    • कई योग्य महिलाओं के लिये S एंड T गतिविधियों में भाग लेना लिंग-विशिष्ट स्थितियों के कारण कठिन हो सकता है, जैसे माता-पिता बनने तथा घरेलू कर्त्तव्यों के कारण पेशेवर व्यवधान आदि।
    • इन मुद्दों को संबोधित करने के लिये DST 27-57 आयु वर्ग की उन महिला वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करेगा, जिन्होंने कॅरियर में ब्रेक लिया है, लेकिन मुख्यधारा के काम में लौटना चाहती हैं।

International Day for Women and Girls in Science

भारतीय STEM संकायों में लैंगिक अंतर को कम करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • अनुकूलनीय कार्य व्यवस्था एवं क्रेच सुविधा: महिला संकाय सदस्यों, विशेष रूप से छोटे बच्चों वाली महिलाओं के लिये अनुकूलनीय कार्य व्यवस्था, पार्ट टाइम वर्क के विकल्प एवं क्रेच सुविधाएँ प्रदान करना। इससे कार्य-जीवन संतुलन चुनौतियों का समाधान करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
    • इस महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को सरल बनाने के लिये, बच्चों की देखभाल के विकल्प एवं अनुकूलनीय कार्य व्यवस्था जैसी लक्षित सहायता प्रदान करने के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएँ-किरण (WISE-KIRAN) जैसे कार्यक्रमों का विस्तार किया जा सकता है।
  • "बैक टू एकेडेमिया" फेलोशिप: फेलोशिप कार्यक्रम आयोजित करना जो उन महिलाओं का समर्थन करता है जिन्होंने परिवार बढ़ाने के लिये शिक्षा जगत से अवकाश लिया है, उन्हें अनुसंधान एवं शिक्षण क्षेत्र में पुनः प्रवेश करने के लिये संसाधन एवं सलाह प्रदान की जाती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विनिमय कार्यक्रम: महिला संकाय सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग और विनिमय कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना, उनके दृष्टिकोण एवं अनुसंधान नेटवर्क को व्यापक बनाना।
  • दृश्यता और मान्यता (Visibility and Recognition): पुरस्कार, लोक मान्यता और मीडिया कवरेज के माध्यम से महिला संकाय सदस्यों की उपलब्धियों को उजागर करना। इससे मनोबल बढ़ता है, दूसरों को प्रेरणा मिलती है और रोल मॉडल को बढ़ावा मिलता है।
  • महिला सुरक्षा और डेटा-आधारित विकास: कार्यस्थल पर उत्पीड़न को संबोधित करने के लिये मज़बूत नीतियों की आवश्यकता है साथ ही महिला प्रतिभा को बनाए रखने के लिये समान अवसर सुनिश्चित करना भी महत्त्वपूर्ण है।
    • महिला संकाय पर डेटा संग्रह को एक समेकित डेटाबेस में शामिल करके बेहतर लक्षित हस्तक्षेप संभव बनाया जा सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय STEM में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण कीजिये साथ ही STEM में महिलाओं को बढ़ावा देने से संबंधित मौजूदा पहल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न1. "महिला सशक्तीकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है"। चर्चा कीजिये। (वर्ष 2019)

प्रश्न 2. भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये? (2015)

प्रश्न 3. “महिला संगठनों को लिंग भेद से मुक्त करने के लिये पुरुषों की सदस्यता को बढ़ावा मिलना चाहिये।” टिप्पणी कीजिये।(2013)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2