मुख्य परीक्षा
मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण (संशोधन) नियमावली, 2025
- 12 Nov 2025
- 62 min read
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 के तहत मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण (संशोधन) नियमावली, 2025 अधिसूचित किये हैं। इनका उद्देश्य कॉर्निया (नेत्र) प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को सरल बनाना और पूरे भारत में अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण सेवाओं तक समान और न्यायसंगत पहुँच को बढ़ावा देना है।
मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण (संशोधन) नियमावली, 2025 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- उपकरण आवश्यकताओं में छूट: कॉर्निया (नेत्र) प्रत्यारोपण केंद्रों के लिये क्लिनिकल स्पेकुलर माइक्रोस्कोप रखने की अनिवार्य शर्त को हटा दिया गया है।
- ये माइक्रोस्कोप, जो कॉर्निया की कोशिकाओं की स्थिति का आकलन करने के लिये उपयोग किये जाते हैं, छोटे नेत्र केंद्रों के लिये अत्यधिक महॅंगे और प्राप्त करने में कठिन होते थे।
- इस संशोधन से छोटे नेत्र केंद्रों के बुनियादी ढाँचे और संचालन से जुड़ी बाधाएँ कम होंगी, जिससे पूरे देश में कॉर्निया प्रत्यारोपण सेवाओं तक पहुँच में सुधार होगा।
महत्त्व
- समान स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा: यह संशोधन देश के विभिन्न क्षेत्रों में अंग, ऊतक और नेत्र दान सेवाओं तक पहुँच का विस्तार करता है, जो राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP) के उद्देश्यों के अनुरूप है।
- नेत्र दान प्रयासों को प्रोत्साहन: यह अधिक संस्थानों को नेत्र दान और कॉर्निया प्रत्यारोपण में भाग लेने के लिये प्रेरित करता है, जिससे दाता ऊतकों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
- कॉर्निया-अंधता का समाधान: यह कदम भारत में दृष्टि हानि के प्रमुख कारणों में से एक कॉर्निया-अंधता से निपटने में सहायक होगा, क्योंकि यह समय पर उपचार तक पहुँच को बेहतर बनाता है।
- कॉर्निया-अंधता (Corneal Blindness) वह स्थिति है जिसमें कॉर्निया (नेत्र का पारदर्शी हिस्सा, जो परितारिका और पुतली को ढकता है तथा प्रकाश को अंदर प्रवेश करने देता है) में क्षति या रोग होने के कारण दृष्टि प्रभावित या समाप्त हो जाती है। इसके प्रमुख कारण हैं संक्रमण, चोट, कुपोषण या आनुवंशिक विकार।
- इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी के अनुसार, भारतीयों में मोतियाबिंद के बाद कॉर्निया-अंधता अंधेपन का दूसरा प्रमुख कारण है, जिससे 1.2 मिलियन लोग प्रभावित हैं तथा प्रतिवर्ष 25,000-30,000 नए मामले सामने आते हैं।
मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 क्या है?
- पृष्ठभूमि: वर्ष 1994 से पहले भारत में अंग प्रत्यारोपण से संबंधित कोई एकीकृत कानून नहीं था। उस समय केवल कुछ राज्य स्तरीय अधिनियम लागू थे, जैसे — बॉम्बे कॉर्नियल ग्राफ्टिंग अधिनियम, 1957 और महाराष्ट्र किडनी ट्रांसप्लांटेशन अधिनियम, 1982।
- बढ़ते अवैध अंग व्यापार, विशेषकर किडनी के व्यापार के कारण, जनता और विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय स्तर पर विनियमन की मांग की। वर्ष 1994 का अधिनियम डॉ. एल. एम. सिंघवी (1991) की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशों पर नैतिक और पारदर्शी प्रत्यारोपण सुनिश्चित करने हेतु तैयार किया गया था।
- THOTA, 1994: यह अधिनियम मानव अंगों और ऊतकों को चिकित्सीय उद्देश्यों के लिये निकालने, संरक्षित करने और प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को विनियमित करने तथा मानव अंगों के व्यावसायिक लेन-देन को रोकने के लिये बनाया गया था।
- यह अधिनियम मस्तिष्क-निष्क्रिय व्यक्तियों/ब्रेन-डेड दाता से नैतिक रूप से अंग प्राप्त करने और ऊतक प्रत्यारोपण को एक स्पष्ट कानूनी ढाँचे के अंतर्गत संचालित करने की सुविधा प्रदान करता है।
- यह मानव अंगों और ऊतकों की पुनर्प्राप्ति, भंडारण और प्रत्यारोपण में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
- अधिनियम के प्रमुख प्रावधान: यह अधिनियम दाता (Donor), ग्राही (Recipient) और निकट संबंधी (Near Relative) जैसे शब्दों को परिभाषित करता है ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके।
- यह निर्धारित करता है कि अंगों को केवल उपचारात्मक उद्देश्यों के लिये और सहमति प्राप्त करने के बाद ही निकाला जा सकता है।
- साथ ही, प्रत्यारोपण गतिविधियों को विनियमित करने हेतु प्राधिकरण समितियों के गठन का प्रावधान भी किया गया है।
- संशोधन और नियम: वर्ष 2011 के संशोधन ने मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 के माध्यम से इस अधिनियम के दायरे का विस्तार किया, जिसमें अधिक अंगों और ऊतकों को शामिल किया गया।
- इसके अलावा, मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियमावली, 2014 अधिनियम के प्रावधानों को क्रियान्वित करने के लिये अधिसूचित किये गए।
- क्रियान्वयन और राज्यों द्वारा अंगीकरण: चूँकि स्वास्थ्य एक राज्य विषय है, इसलिये इस अधिनियम को लागू करने के लिये राज्यों को इसे अंगीकृत करना आवश्यक है।
- वर्ष 1994 का अधिनियम सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर लागू होता है, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छोड़कर, जिनके पास अपने अलग कानून हैं।
राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP)
- परिचय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पूरे भारत में अंग और ऊतक दान एवं प्रत्यारोपण तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP) को लागू कर रहा है।
- संस्थागत ढाँचा: नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) इस कार्यक्रम की शीर्ष संस्था है, जिसे क्षेत्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (ROTTO) और राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTOs) का सहयोग प्राप्त है।
- मुख्य घटक: प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTOs) की स्थापना की जा रही है, साथ ही राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य जैव-सामग्री केंद्र भी स्थापित किये जा रहे हैं।
- यह कार्यक्रम अंग प्रत्यारोपण सुविधाओं को उन्नत करने, चिकित्सा पेशेवरों को प्रशिक्षण देने और मेडिकल कॉलेजों एवं ट्रॉमा केंद्रों में प्रत्यारोपण समन्वयकों की नियुक्ति हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- इसके अतिरिक्त, यह गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के रोगियों के लिये प्रत्यारोपण के बाद इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएँ सुनिश्चित करता है।
- उपलब्धियाँ: भारत में अंग प्रत्यारोपण की संख्या वर्ष 2013 में 4,990 से बढ़कर वर्ष 2024 में 18,911 हो गई। भारत कुल अंग प्रत्यारोपण में विश्व में तीसरे स्थान पर है (अमेरिका और चीन के बाद) तथा जीवित दाता प्रत्यारोपण के मामले में पहले स्थान पर है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 क्या है?
THOTA, 1994 एक केंद्रीय कानून है जो चिकित्सीय उद्देश्यों के लिये मानव अंगों और ऊतकों के निकालने, भंडारण एवं प्रत्यारोपण को विनियमित करता है तथा अंगों के व्यावसायिक लेन-देन पर प्रतिबंध लगाता है।
2. मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण (संशोधन) नियमावली, 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
वर्ष 2025 के नियमों ने कॉर्नियल (नेत्र) केंद्रों के लिये क्लिनिकल स्पेकुलर माइक्रोस्कोप की अनिवार्य आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी बाधाएँ कम होंगी और छोटे व ग्रामीण केंद्रों में कॉर्निया प्रत्यारोपण सेवाओं तक पहुँच में सुधार होगा।
3. राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP) क्या है?
NOTP, भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य पूरे देश में अंग और ऊतक दान को बढ़ावा देना है। इसे NOTTO (राष्ट्रीय), ROTTOs (क्षेत्रीय) और SOTTOs (राज्य) स्तर पर लागू किया जाता है। इस कार्यक्रम में ऊतक बैंक, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और जन-जागरूकता अभियानों को भी शामिल किया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
- भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।
- व्यक्ति के जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
- मानव प्रेरित बहुशक्त/प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न. प्राचीनकालीन भारत में हुई वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सहीं है? (2012)
- प्रथम शती ईसवी में विभिन्न प्रकार के विशिष्ट शल्य औजारों का उपयोग आम था।
- तीसरी शती ईसवी के आरंभ में मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रत्यारोपण शुरू हो चुका था।
- पाँचवी शती ईसवी में कोण के ज्या का सिद्धांत ज्ञात था।
- सातवीं शती ईसवी में चक्रीय चतुर्भुज का सिद्धांत ज्ञात था।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (c)
