मुख्य परीक्षा
ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF)
- 12 Nov 2025
- 78 min read
चर्चा में क्यों?
ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) पहल को ब्राज़ील के बेलेम में COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिये 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना और निवेश करना है।
- भारत, पेरिस समझौते के तहत बहुपक्षीय जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, ब्राज़ील के नेतृत्व वाले TFFF में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो गया है।
ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) पहल क्या है?
- TFFF के बारे में: TFFF एक स्थायी, स्व-वित्तपोषित निवेश कोष है जिसका उद्देश्य उष्णकटिबंधीय वनों का संरक्षण करना है। यह 74 विकासशील उष्णकटिबंधीय वन देशों को पुराने वनों को अक्षुण्ण रखने के लिये पुरस्कृत करेगा।
- भुगतान पारदर्शी वन निगरानी के लिये वार्षिक उपग्रह रिमोट सेंसिंग डेटा पर आधारित होगा।
- उद्देश्य और तर्क: इस पहल का लक्ष्य आर्थिक प्रोत्साहनों की दिशा बदलना है ताकि साफ की गई भूमि की अपेक्षा खड़े वनों को अधिक मूल्यवान बनाया जा सके और भूमि रूपांतरण से अधिक लाभ प्राप्त होने के कारण होने वाली वनों की कटाई को रोका जा सके।
- यह कार्बन भंडारण, तापमान विनियमन और जैवविविधता समर्थन सहित उष्णकटिबंधीय वनों की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को भी मान्यता प्रदान करता है।
- वित्तपोषण: इसका उद्देश्य 125 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाना है, जिसमें से 25 अरब अमेरिकी डॉलर संपन्न सरकारों और परोपकारी संस्थानों से, जबकि 100 अरब अमेरिकी डॉलर निजी निवेशकों से एकत्र किये जाएंगे।
- यह फंड सार्वजनिक और कॉर्पोरेट बाज़ार बांडों के मिश्रित पोर्टफोलियो में निवेश करेगा और वन संरक्षण के लिये प्रोत्साहन के रूप में उष्णकटिबंधीय वन देशों को वार्षिक रिटर्न दिया जाएगा।
- वित्तपोषण प्रतिबद्धताएँ: योगदान देने वाले देशों में ब्राज़ील (1 बिलियन अमरीकी डॉलर), कोलंबिया (250 मिलियन अमेरिकी डॉलर), इंडोनेशिया (1 बिलियन अमेरिकी डॉलर), नॉर्वे (10 वर्षों में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर), नीदरलैंड (5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और पुर्तगाल (1 मिलियन यूरो) शामिल हैं।
- TFFF का महत्त्व: इसे एक अभूतपूर्व पहल के रूप में वर्णित किया गया है जो वन संरक्षण में वैश्विक दक्षिण को नेतृत्व प्रदान करता है, वनों की रक्षा के लिये स्थायी प्रोत्साहन प्रदान करता है तथा उष्णकटिबंधीय वनों को उच्च मूल्य वाली पारिस्थितिक पूंजी के रूप में पुनर्स्थापित करता है।
उष्णकटिबंधीय वन
- उष्णकटिबंधीय वन वे सघन वन हैं जो 20–25°C तापमान वाले गर्म जलवायु क्षेत्रों में, भूमध्यरेखा के आसपास 23.5° उत्तर (कर्क रेखा) और 23.5° दक्षिण (मकर रेखा) अक्षांशों के मध्य पाए जाते हैं। इन वनों की विशेषताओं में उच्च जैवविविधता, ऊँचे और विशाल वृक्ष तथा बहुस्तरीय छत्र संरचना शामिल हैं, जो मिलकर एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती हैं।
- प्रकार: उष्णकटिबंधीय वन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- उष्णकटिबंधीय वर्षावन: ये वन जैविक रूप से अत्यंत समृद्ध होते हैं और यहाँ वर्ष भर 2,000 मिमी से अधिक वर्षा के साथ निरंतर गर्म एवं आर्द्र जलवायु पाई जाती है। उदाहरण के लिये — अमेज़न बेसिन, कांगो बेसिन और दक्षिण-पूर्व एशिया के वर्षावन।
- उष्णकटिबंधीय मौसमी (शुष्क) वन: एक विशिष्ट शुष्क मौसम का अनुभव करते हैं, जिसके कारण पेड़ों की पत्तियाँ गिर जाती हैं, ये मुखतः भारत, मध्य अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं।
- कवरेज और जैवविविधता: उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी की कुल भूमि का लगभग 6% हिस्सा घेरते हैं, लेकिन इनमें विश्व की लगभग 80% प्रलेखित प्रजातियाँ निवास करती हैं। इस कारण ये वन उच्च जैवविविधता वाले पारिस्थितिक तंत्र के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- उष्णकटिबंधीय वन राष्ट्र: विश्व के सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय वन ब्राज़ील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंगोला, पेरू, सूडान और भारत में पाए जाते हैं।
- खतरे और वनों की कटाई: उष्णकटिबंधीय वनों को तेज़ी से नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, वैश्विक वन आवरण का दो-तिहाई नुकसान उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हो रहा है।
- वर्ष 2004 और 2017 के बीच 43 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि नष्ट हो गई है, जिसका क्षेत्रफल लगभग मोरक्को के आकार के बराबर है।
ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) से क्या चिंताएँ जुड़ी हैं?
- बाज़ार अस्थिरता का जोखिम: TFFF की बांड निवेश पर निर्भरता, विशेषकर विकासशील देशों में, इसे बाज़ार की उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील बनाती है। वर्ष 2008–09 की वित्तीय मंदी या कोविड-19 जैसी आर्थिक दुर्घटनाएँ निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित कर सकती हैं तथा वन संरक्षण करने वाले देशों को किये जाने वाले भुगतान में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
- विकसित देशों के दायित्वों को कमज़ोर करना: आलोचकों का कहना है कि TFFF विकसित देशों की जलवायु और प्रकृति वित्त से जुड़ी कानूनी ज़िम्मेदारियों को कमज़ोर कर सकता है, क्योंकि यह UNFCCC के ढाँचे और उन दायित्वों के अधीन नहीं है जो संपन्न देशों को जवाबदेह ठहराते हैं।
- UNFCCC वित्तीय तंत्र को कमज़ोर करना: विशेषज्ञों का मानना है कि TFFF, सुनिश्चित सार्वजनिक वित्त के बजाय स्वैच्छिक और बाज़ार-आधारित वित्तपोषण पर ज़ोर देकर, UNFCCC और पेरिस समझौते के वित्तीय ढाँचे को कमज़ोर कर सकता है, जिससे विकासशील देशों के लिये पूर्वानुमेय वित्त प्राप्त करने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं।
- ग्रीनवाशिंग का जोखिम: इस बात की चिंता है कि TFFF धनी देशों और निगमों को स्वैच्छिक दान के माध्यम से श्रेय लेने की अनुमति दे सकता है, जबकि वे कानूनी रूप से अनिवार्य उत्सर्जन कटौती से बच सकते हैं। साथ ही, यह भी अस्पष्ट है कि किये गए भुगतान वास्तव में अतिरिक्त संरक्षण को प्रोत्साहित करेंगे या केवल उन वनों को लाभ देंगे जो पहले से ही सुरक्षित थे।
- असमान वितरण का डर: अस्पष्ट भुगतान मानदंड और कमज़ोर शासन संरचना से यह आशंका बढ़ती है कि शक्तिशाली देश निर्णय-प्रक्रिया पर हावी हो सकते हैं, जबकि धन उन स्थानीय और स्वदेशी समुदायों तक नहीं पहुँच पाएगा जो वनों की सबसे प्रभावी रूप से रक्षा करते हैं। परिणामस्वरूप, गरीबी और भूमि अधिकार से जुड़े मुद्दे अनसुलझे रह सकते हैं।
हम उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण में सुधार किस प्रकार कर सकते हैं?
- बाज़ार सुधार: सरकारों को पशुपालन, सोया और ताड़ के तेल के लिये वनों की कटाई को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी को स्थायी कृषि वानिकी की ओर पुनर्निर्देशित करना चाहिये तथा यूरोपीय संघ के वनों की कटाई विनियमन जैसे कड़े कानूनों के माध्यम से वनों की कटाई-मुक्त आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
- कानूनी ढाँचे लागू करना: वन संरक्षकों को सशक्त बनाने के लिये मूल निवासियों के भूमि अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता देना और उनकी रक्षा करना। उपग्रह निगरानी का उपयोग करके अवैध कटाई और खनन के विरुद्ध कानून प्रवर्तन को मज़बूत करना।
- पारदर्शिता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: सैटेलाइट मॉनिटरिंग (जैसे Global Forest Watch), ड्रोन मैपिंग और रीयल-टाइम डेटा ट्रैकिंग के लिये वित्तपोषण और उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, ताकि वन क्षेत्र की जानकारी सुलभ हो, वनों की कटाई पर शीघ्र प्रतिक्रिया संभव हो और पारदर्शी एवं जवाबदेह वन प्रबंधन को समर्थन मिल सके।
- जलवायु लक्ष्यों के साथ संरक्षण को एकीकृत करना: पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) में वन संरक्षण को शामिल करना और ऐसे सतत् विकास को बढ़ावा देना जो वनों के रूपांतरण को रोकता है, हरित बुनियादी ढाँचे और जैव-अर्थव्यवस्था में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि: एक महत्त्वपूर्ण कदम यह है कि TFFF जैसे स्वैच्छिक कोषों को UNFCCC दायित्वों के साथ जोड़कर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे मौजूदा जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को कमज़ोर करने के बजाय उन्हें पूरक बनाएँ।
निष्कर्ष:
TFFF, उष्णकटिबंधीय वन संरक्षण को वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिये वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व में एक महत्त्वाकांक्षी बाज़ार-आधारित पहल है। इसकी सफलता वित्तीय अस्थिरता के प्रबंधन, न्यायसंगत शासन सुनिश्चित करने और UNFCCC के कानूनी रूप से बाध्यकारी जलवायु वित्त ढाँचे के पूरक होने पर निर्भर करती है।
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दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिये आवश्यक प्रमुख रणनीतियों का उल्लेख कीजिये। सामुदायिक भागीदारी और पारंपरिक ज्ञान इन प्रयासों को किस प्रकार बढ़ावा दे सकते हैं? |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) क्या है?
TFFF 125 बिलियन डॉलर का एक स्थायी, स्व-वित्तपोषित कोष है जो 74 विकासशील देशों को पुराने उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिये उपग्रह-निगरानी वाले वन क्षेत्र के आधार पर भुगतान प्रदान करता है।
प्रश्न: अब तक किन देशों ने TFFF को वित्त प्रदान करने का संकल्प लिया है?
ब्राज़ील ($1 बिलियन), इंडोनेशिया ($1 बिलियन), कोलंबिया ($250 मिलियन), नॉर्वे ($10 वर्षों में 3 बिलियन), नीदरलैंड ($5 मिलियन), पुर्तगाल (€1 मिलियन)।
प्रश्न: उष्णकटिबंधीय वन क्या हैं?
उष्णकटिबंधीय वन वे सघन वन हैं जो 20–25°C तापमान वाले गर्म जलवायु क्षेत्रों में, भूमध्यरेखा के आसपास 23.5° उत्तर (कर्क रेखा) और 23.5° दक्षिण (मकर रेखा) अक्षांशों के मध्य पाए जाते हैं। इन वनों की विशेषताओं में उच्च जैवविविधता, ऊँचे और विशाल वृक्ष तथा बहुस्तरीय छत्र संरचना शामिल हैं, जो मिलकर एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
कथन-I: उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों की मृदा पोषक तत्त्वों से भरपूर होती है।
कथन-II: उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के उच्च ताप और आर्द्रता के कारण मृदा में विद्यमान मृत जैव पदार्थों का द्रुत अपघटन होता है।
उपर्युक्त कथनों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं और कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है
(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं और कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है
(c) कथन-I सही है, लेकिन कथन-II गलत है
(d) कथन I गलत है, लेकिन कथन II सही है।
उत्तर: d
प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?
(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय
उत्तर: (d)
मेन्स:
प्रश्न."भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संवैधानिकीकरण है।" सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022)
