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भारत विश्व स्तर पर चौथा ‘सबसे समतामूलक देश'

  • 08 Jul 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व बैंक, गिनी इंडेक्स, जन धन खाते, आयुष्मान कार्ड, भारतनेट, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

मेन्स लिये:

आय असमानता और गिनी सूचकांक, गरीबी कम करने में सामाजिक कल्याण योजनाओं की भूमिका, समावेशी विकास

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

भारत न केवल विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है बल्कि आज यह सर्वाधिक समतामूलक समाजों में से एक भी है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत का गिनी सूचकांक 25.5 है, जो इसे स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस के बाद दुनिया का चौथा सबसे समतामूलक देश बनाता है।

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गिनी सूचकांक क्या है?

  • गिनी सूचकांक या गिनी गुणांक का विकास वर्ष 1912 में इतालवी सांख्यिकीविद् कोराडो गिनी द्वारा किया गया था। यह किसी देश में घरों या व्यक्तियों के बीच आय, संपत्ति या उपभोग के वितरण को मापता है। 
    • ग्राफिक रूप से गिनी इंडेक्स को लॉरेंज कर्व से समझाया जा सकता है। लॉरेंज कर्व प्राप्तकर्र्त्ताओं की संचयी संख्या से प्राप्त कुल आय का संचयी प्रतिशत दर्शाता है, जो सबसे गरीब व्यक्ति या परिवार से शुरू होता है। 
    • गिनी गुणांक लॉरेंज वक्र और पूर्ण समानता की रेखा (45 डिग्री की रेखा) के बीच के क्षेत्र को मापता है, जिसका मान 0 (पूर्ण समानता) से 1 (अधिकतम असमानता) तक होता है या प्रतिशत के रूप में व्यक्त किये जाने पर 0 से 100 तक होता है (जहाँ 0 पूर्ण समानता को दर्शाता है और 100 अधिकतम असमानता को दर्शाता है)। कम गिनी मूल्य एक अधिक समतामूलक समाज को दर्शाता है।

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  • भारत और गिनी सूचकांक: भारत का गिनी सूचकांक वर्ष 2011 में 28.8 था, जो वर्ष 2022 में लगातार घटकर 25.5 हो गया, जो सामाजिक समानता में निरंतर प्रगति को दर्शाता है। 
  • भारत का 25.5 स्कोर इसे "मध्यम रूप से कम असमानता" श्रेणी में रखता है (गिनी स्कोर 25 और 30 के बीच)। 
  • उल्लेखनीय रूप से भारत उच्च असमानता स्कोर वाले देशों से आगे है, जिनमें चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) शामिल हैं।
  • भारत के लिये महत्त्व: भारत अब सभी G7 और G20 देशों की तुलना में अधिक समान स्थान पर है।
  • यह कम स्कोर भारत के अत्यधिक असमान समाज की पारंपरिक धारणा को चुनौती देता है, विशेष रूप से जब इसे शहरी-ग्रामीण और अंतर-राज्यीय असमानताओं के माध्यम से देखा जाता है।
  • यह व्यापक आय वृद्धि को दर्शाता है (विशेष रूप से निम्न आय वर्ग में)।

भारत की इक्विटी सफलता के पीछे के प्रमुख कारक कौन-से हैं?

  • गरीबी में कमी: विश्व बैंक की स्प्रिंग, 2025 गरीबी और समानता रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 से अब तक 171 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया है।
  • विश्व बैंक ने वैश्विक मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए अपनी वैश्विक चरम गरीबी सीमा को 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन से संशोधित कर 3 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन (2021 की कीमतों के आधार पर) कर दिया है। यह नया मानक बुनियादी जीवन की अधिक यथार्थवादी लागत को दर्शाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 171 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रतिदिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों की हिस्सेदारी, जो जून 2025 तक अत्यधिक गरीबी की वैश्विक सीमा थी, 2011-12 के 27.1% से तेज़ी से गिरकर 2022-23 में केवल 2.3 प्रतिशत रह गई। 
  • निरपेक्ष रूप से अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर 75.24 मिलियन हो गई।
  • समानता के लिये कल्याणकारी योजनाऍं:
    • प्रधानमंत्री जन धन योजना: वित्तीय समावेशन भारत के सामाजिक समानता प्रयासों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण रहा है। 
      • 25 जून, 2025 तक 55.69 करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास जन धन खाते थे, जो उन्हें सरकारी लाभों और औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सीधी पहुँच दिलाते हैं।
    • आधार और डिजिटल पहचान: आधार ने पूरे देश के निवासियों की एक अद्वितीय डिजिटल पहचान बनाई है। 3 जुलाई, 2025 तक 142 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी किये जा चुके हैं। यह व्‍यवस्‍था विश्वसनीय प्रमाणीकरण के माध्यम से सही समय पर सही व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने को सुनिश्चित करके कल्याण के वितरण की रीढ़ बनती है।
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): DBT प्रणाली ने कल्याणकारी भुगतानों को सुव्यवस्थित किया है, जिससे लीकेज और देरी कम हुई है। मार्च 2023 तक संचयी बचत ₹3.48 लाख करोड़ तक पहुँच चुकी है, जो इसकी दक्षता और पैमाने को दर्शाता है।
    • आयुष्मान भारत: आयुष्मान भारत योजना प्रति वर्ष प्रति परिवार ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है। 3 जुलाई, 2025 तक 41.34 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किये जा चुके हैं।
      • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने इस प्रयास को और अधिक सशक्त बनाया है, जिसके तहत अब तक 79 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं, जो व्यक्तियों को डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
    • स्टैंड-अप इंडिया: जुलाई 2025 तक 2.75 लाख से अधिक आवेदनों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनके लिये कुल 62,807 करोड़ रुपए वितरित किये गए है। यह पहल वंचित समुदायों के व्यक्तियों को सशक्त बनाती है, ताकि वे अपनी शर्तों पर आर्थिक विकास में भागीदारी कर सकें।            
    • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): वर्ष 2024 तक यह योजना 80.67 करोड़ लाभार्थियों तक पहुँच चुकी है, जिसमें निशुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है, ताकि संकट के समय कोई भी व्यक्ति पीछे न रहे
    • प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: परंपरागत शिल्पकार और कारीगर भारत की आर्थिक एवं सांस्कृतिक विरासत के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उन्हें बिना गारंटी ऋण, टूलकिट, डिजिटल प्रशिक्षण और विपणन सहायता प्रदान कर समर्थन देती है।
      • जुलाई 2025 तक इस योजना के तहत 29.95 लाख व्यक्तियों ने पंजीकरण कराया है, जिससे आजीविका की सुरक्षा में सहायता मिली है और ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है।

भारत की समानता से जुड़ी उपलब्धियों को प्रभावित करने वाली चुनौतियाँ और संरचनात्मक चिंताएँ क्या हैं?

  • निम्न असमानता सूचकांक के बावजूद उच्च गरीबी: 3.65 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा (जो निम्न-मध्य आय वाले देशों के लिये उपयुक्त है) के आधार पर वर्ष 2022 में भारत की गरीबी दर 28.1% थी।
    • अब भी 300 मिलियन से अधिक व्यक्ति गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं, जो समानता संबंधी दावों की स्थिरता पर सवाल खड़े करते हैं
  • वेतन और आय में असमानता: वेतन असमानता अभी भी गंभीर बनी हुई है — शीर्ष 10% व्यक्ति, निचले 10% की तुलना में 13 गुना अधिक कमाते हैं (2023–24)।
    • वर्ष 2023 में आय के लिये गिनी गुणांक 0.410 है, जो वर्ष 1955 में 0.371 था, जिससे दीर्घकालिक आय असमानता में वृद्धि स्पष्ट होती है।
    • सबसे संपन्न 1% व्यक्तियों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक है, जबकि निचले 50% के पास केवल 3% संपत्ति है।
    • ये आँकड़े गंभीर आय और संपत्ति असमानता को उजागर करते हैं, जिसे 25.5 के गिनी सूचकांक जैसे उपभोग-आधारित उपाय पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकते हैं।
  • पुरानी गरीबी रेखा: भारत अब भी रंगराजन समिति द्वारा वर्ष 2014 में तय की गई गरीबी रेखा (शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय 1407 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 972 रुपए) पर निर्भर है, जो वर्तमान जीवन-यापन की वास्तविक लागत को सही तरीके से नहीं दर्शाती
    • यदि कोई अद्यतन मानक नहीं अपनाया गया तो कल्याणकारी योजनाएँ वास्तविक रूप से गरीब व्यक्तियों तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुँच पाऍंगी।
  • अवसरों तक असमान पहुँच: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल पहुँच और रोज़गार के क्षेत्र में असमानताएँ अब भी बनी हुई हैं, विशेषकर ग्रामीण जनसंख्या, महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) तथा अप्रवर्तित (अनौपचारिक) श्रमिकों के लिये।
    • उपभोग में सुधार के बावजूद, परिणामों में समानता अब भी सीमित है।

आगे की राह 

  • राष्ट्रीय गरीबी रेखा में संशोधन करना: वर्तमान गरीबी रेखा अब प्रासंगिक नहीं रह गई है। इसे वर्ष 2024–25 की जीवन-यापन लागत, मुद्रास्फीति और शहरीकरण की प्रवृत्तियों को ध्यान में रखते हुए पुनः निर्धारित किया जाना चाहिये।
  • श्रम बाज़ार सुरक्षा को मजबूत करना: न्यायसंगत वेतन, सामाजिक सुरक्षा और श्रम अधिकारों के प्रवर्तन को सुनिश्चित किया जाए, विशेष रूप से अविनियमित (अनौपचारिक) क्षेत्र में, जो देश की 80% से अधिक कार्यबल को रोज़गार देता है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य में सार्वजनिक निवेश बढ़ाना: सर्व शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री श्री योजना (PM SHRI), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पोषण योजनाओं में बजटीय आवंटन बढ़ाया जाए, ताकि पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही गरीबी तथा असमानता को प्रभावी रूप से दूर किया जा सके।
  • डिजिटल डिवाइड को कम करना: डिजिटल विभाजन को समाप्त करना: भारतनेट का विस्तार करें, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें और किफायती स्मार्टफोन/इंटरनेट तक पहुँच सुनिश्चित करें ताकि डिजिटल समानता प्राप्त हो सके, विशेष रूप से ग्रामीण युवाओं व महिलाओं के लिये।
  • लैंगिक असमानता: महिलाओं के अवैतनिक श्रम को महत्त्व देने के लिये आर्थिक और नीतिगत उपाय प्रदान करें। अवसरों में लैंगिक अंतर को कम करने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, भूमि और ऋण तक महिलाओं की पहुँच में सुधार करना चाहिये।

निष्कर्ष

भारत का गिनी स्कोर 25.5 है जो संतुलित आर्थिक सुधार और सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से असमानता को कम करने में वास्तविक प्रगति को दर्शाता है। जन धन, DBT और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने पहुँच में सुधार किया है जबकि स्टैंड-अप इंडिया और पीएम विश्वकर्मा योजना ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है। भारत का मॉडल दिखाता है कि समावेशी नीतियों के साथ विकास और समानता एक साथ आगे बढ़ सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक समानता वाले देशों में स्थान दिया गया है। इस उपलब्धि में योगदान देने वाले प्रमुख नीतिगत उपायों और कल्याणकारी योजनाओं की जाँच कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स: 

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020)

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