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ग्रेट निकोबार परियोजना के EIA में भूकंप के जोखिम का आकलन

  • 09 Jul 2025
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट, उष्णकटिबंधीय वर्षावन, लेदरबैक समुद्री कछुए, गैलाथिया बे वन्यजीव अभयारण्य, शोम्पेन जनजाति, अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT)।             

मेन्स के लिये:

ग्रेट निकोबार द्वीप (जीएनआई) परियोजना और इसका महत्त्व, GNIP से जुड़ी चिंताएँ, इन चिंताओं को दूर करने के लिये आवश्यक कदम।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

प्रस्तावित ₹72,000 करोड़ की ग्रेट निकोबार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (GNIP) को लेकर चिंताएँ सामने आई हैं, विशेष रूप से IIT-कानपुर की एक रिपोर्ट में इस क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता (Seismic Vulnerability) और सुनामी जोखिमों को रेखांकित किया गया है। यह क्षेत्र उच्च भूकंपीय क्षेत्र (High Seismic Zone) में स्थित है जो वर्ष 2004 की विनाशकारी सुनामी से प्रभावित हो चुका है।

IIT-कानपुर की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं, जिन्होंने द्वीप परियोजना की कमज़ोरियों को उजागर किया है?

  • भविष्य में मेगा भूकंप की संभावनाएँ: रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 9 या उससे अधिक तीव्रता वाले मेगा भूकंप की पुनरावृत्ति अवधि (Return Period) लगभग 420–750 वर्ष है। वहीं, 7.5 से अधिक तीव्रता वाले बड़े भूकंपों के लिये यह अवधि 80–120 वर्ष बताई गई है, जो इस क्षेत्र की उच्च भूकंपीय संवेदनशीलता को दर्शाता है।
  • अतीत की सुनामियों के भू-वैज्ञानिक साक्ष्य: दक्षिण अंडमान के बडाबालू तट (Badabalu Beach) से प्राप्त सैडिमेंट एनालिसिस से पता चलता है कि पिछले 8,000 वर्षों में कम-से-कम 7 बड़ी सुनामी घटनाएँ घटित हो चुकी हैं। यह क्षेत्र की लंबी भूकंपीय और सुनामी गतिविधियों की ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता है।
  • स्थान-विशिष्ट अध्ययन की आवश्यकता: रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि निकोबार द्वीप समूह, विशेषकर कार निकोबार (Car Nicobar) और कैंपबेल बे (Campbell Bay) जैसे क्षेत्रों में स्थल-विशिष्ट भूकंपी तथा सुनामी अध्ययन अनिवार्य रूप से किये जाने चाहिये, जहाँ ऐसे आकलनों का अभाव है।

EIA

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना क्या है?

  • ग्रेट निकोबार इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना (GNIP) की शुरुआत वर्ष 2021 में हुई थी। यह एक महत्त्वाकांक्षी आधारभूत संरचनात्मक परियोजना है, जिसे ग्रेट निकोबार द्वीप पर लागू किया जाना है। यह द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
  • यह परियोजना नीति आयोग के मार्गदर्शन में संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत गैलाथिया की खाड़ी (Galathea Bay) में अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT), ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (नव-निर्मित हवाई अड्डा), ग्रीनफील्ड टाउनशिप (नव-निर्मित नगर), पर्यटन परियोजना तथा एक गैस-आधारित विद्युत संयंत्र आदि बुनियादी ढाँचा शामिल हैं।
    • इस परियोजना का कार्यान्वयन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा किया जा रहा है। यह स्थल मलक्का जलडमरूमध्य के समीप रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थिति में स्थित है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला एक प्रमुख समुद्री मार्ग है।

महत्त्व: 

  • रणनीतिक महत्त्व:
    • निकोबार द्वीप की स्थिति मलक्का, सुंडा एवं लोम्बोक जलडमरूमध्य के समीप होने के कारण भारत को वैश्विक व्यापार एवं ऊर्जा आपूर्ति से जुड़े प्रमुख समुद्री मार्गों की निगरानी करने में सक्षम बनाता है।  यह भारत की "एक्ट ईस्ट नीति" (2014) एवं QUAD समूह की इंडो-पैसिफिक रणनीति के अनुरूप है।
      • प्रस्तावित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा, रक्षा तैनाती को मज़बूती प्रदान करेगा, जिससे भारत की क्षमता, विशेषकर चीन की नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी और क्षेत्रीय सुरक्षा (Regional Security) को सुदृढ़ करने में वृद्धि होगी।
    • आर्थिक महत्त्व: प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT) का उद्देश्य भारत की सिंगापुर और कोलंबो जैसे विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता को कम करना है।

Great_Nicobar_Island

ग्रेट निकोबार द्वीप

  • ग्रेट निकोबार द्वीप समूह: ग्रेट निकोबार द्वीप निकोबार समूह का दक्षिणतम तथा सबसे बड़ा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह द्वीप घने उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से आच्छादित है।
    • इंदिरा पॉइंट (Indira Point), जो भारत का दक्षिणतम भू-बिंदु है, इसी द्वीप पर स्थित है।
  • भौगोलिक विभाजन: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कुल 836 द्वीपों, द्वीपिकाओं तथा  चट्टानों से मिलकर बना है। इसे दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है:
    • अंडमान द्वीपसमूह (उत्तरी भाग)
    • निकोबार द्वीपसमूह (दक्षिणी भाग)

इन दोनों के बीच 10 डिग्री चैनल नामक समुद्री जलडमरूमध्य स्थित है, जिसकी चौड़ाई लगभग 150 किलोमीटर है।

  • पारिस्थितिक महत्त्व: ग्रेट निकोबार द्वीप पारिस्थितिकीय रूप से अत्यंत समृद्ध है जिसमें अनेक संरक्षित क्षेत्र जैसे कैंपबेल बे राष्ट्रीय उद्यान (Campbell Bay National Park), गैलाथिया राष्ट्रीय उद्यान (Galathea National Park), ग्रेट निकोबार बायोस्फियर रिज़र्व (जिसे UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है) स्थित हैं।
  • जनजातियाँ: यह द्वीप कुछ प्रमुख आदिवासी समुदायों (Indigenous Tribes) का निवास स्थान है, जिनमें शोम्पेन, ओंगे (Onge), अंडमानी (Andamanese), निकोबारी (Nicobarese) शामिल हैं।

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना से जुड़ी चिंताएँ क्या हैं?

  • पर्यावरणीय चिंताएँ:
    • व्यापक वनों की कटाई: इस परियोजना के तहत 130 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले प्राथमिक उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को काटा जाएगा, जिससे जैवविविधता की भारी क्षति होगी। वास्तविक वृक्षों की कटाई संभवतः 10 मिलियन से अधिक हो सकती है, जो प्रारंभिक अनुमानित आँकड़े 8.65-9.64 लाख से कहीं अधिक है।
    • वन्यजीवों का व्यवधान: यह परियोजना गैलाथिया बे वन्यजीव अभयारण्य में रहने वाले लेदरबैक समुद्री कछुओं के आवास को खतरे में डालती है। इस अभयारण्य को वर्ष 1997 में इन कछुओं के संरक्षण के लिये अधिसूचित किया गया था, लेकिन वर्ष 2021 में बंदरगाह निर्माण के लिये इसे अधिसूचना से बाहर कर दिया गया, जोकि भारत के मरीन टर्टल एक्शन प्लान (2021) के उद्देश्यों के विरुद्ध है।
      • समुद्र तट को तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ 1A) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, जहाँ जहाज़ की मरम्मत और अन्य औद्योगिक गतिविधियाँ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
    • प्रतिपूरक वनीकरण संबंधी समस्याएँ: निकोबार के अद्वितीय वनों को हटाने के बदले में हरियाणा और मध्य प्रदेश में प्रतिपूरक वनीकरण किया जा रहा है, जो नष्ट हुई जैवविविधता की पुनरावृत्ति करने में असफल है।
  • भू-वैज्ञानिक चिंताएँ: द्वीप के तृतीयक बलुआ पत्थर, चूना पत्थर और शेल की परतें ज्वालामुखीय चट्टानों के ऊपर स्थित हैं, जो भूकंप के दौरान कंपन को बढ़ा देती हैं तथा  द्रवीकरण (Liquefaction) की संभावना को भी अधिक कर देती हैं।
  • कानूनी चिंताएँ: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त शेखर सिंह आयोग (2002) ने जनजातीय संरक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों में वृक्षों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की थी, साथ ही यह नियम भी सुझाया था कि वृक्ष काटने से पहले वनीकरण किया जाए लेकिन वर्तमान में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है
    • परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उचित ठहराया गया है, विवादास्पद है क्योंकि इसमें पर्याप्त परामर्श और पारदर्शिता का अभाव रहा है। साथ ही, यह परियोजना शोम्पेन जनजाति की वन-आधारित आजीविका को खतरे में डालकर उनके अस्तित्व को भी गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।

नोट: तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना 2019 के अंतर्गत CRZ 1A उन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील तटीय क्षेत्रों को शामिल करता है, जैसे- कोरल रीफ, जो जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये कौन-से उपाय अपनाए जा सकते हैं?

  • पारिस्थितिक अखंडता की सुरक्षा: महत्त्वपूर्ण आवासों की पहचान हेतु एक व्यापक जैवविविधता मूल्यांकन किया जाए और बुनियादी अवसरंचना के विकास के लिये वैकल्पिक स्थलों की संभावनाओं का अध्ययन किया जाए, ताकि पर्यावरणीय कानूनों का पूर्ण पालन सुनिश्चित हो सके।
    • इसके अतिरिक्त, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में क्षतिग्रस्त वनों के पुनरुद्धार को प्राथमिकता दी जाए ताकि पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखा जा सके।
  • स्वदेशी अधिकारों और समावेशन को सुनिश्चित करना: शोम्पेन और निकोबारी जैसे स्वदेशी समुदायों के विस्थापन को न्यूनतम किया जाएँ, उन्हें उचित मुआवज़ा, आजीविका सहायता तथा कौशल विकास प्रदान किया जाएँ। साथ ही, समावेशी और सहभागी निर्णय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु एक सामुदायिक परिषद (Community Council) की स्थापना की जानी चाहिये।
  • संस्थानिक पारदर्शिता को सुदृढ़ करना: परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान सुरक्षा उपायों के पालन, पारदर्शिता बनाए रखने और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु पर्यावरणविदों, स्थानीय प्रतिनिधियों तथा सरकारी अधिकारियों को शामिल करते हुए एक स्वतंत्र निगरानी निकाय की स्थापना करना।
  • सतत् और सहनशील संसाधन उपयोग: जल, खाद्य और ऊर्जा संसाधनों के सतत् प्रबंधन को बढ़ावा देना, साथ ही जलवायु-अनुकूल बुनियादी अवसरंचना को सुदृढ़ करना और इस क्षेत्र की आपदा तैयारी क्षमता को बढ़ाना, ताकि भविष्योन्मुखी संवेदनशीलताओं को कम किया जा सके।

निष्कर्ष

ग्रेट निकोबार परियोजना, यद्यपि रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, फिर भी इसे गंभीर पारिस्थितिक और भूकंपीय जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इसलिये एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें कठोर वैज्ञानिक मूल्यांकन, जैवविविधता की सुरक्षा, जनजातीय अधिकारों का सम्मान और आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अवसरंचना को शामिल किया जाएँ। सतत् विकास की प्रक्रिया में दीर्घकालिक पर्यावरणीय सुरक्षा को आर्थिक और रणनीतिक लक्ष्यों के समान प्राथमिकता दी जानी चाहिये, ताकि इस संवेदनशील द्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति से बचाया जा सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. ग्रेट निकोबार इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के रणनीतिक और पर्यावरणीय निहितार्थों का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

 प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. बैरेन द्वीप ज्वालामुखी एक सक्रिय ज्वालामुखी है जो भारतीय राज्य-क्षेत्र में स्थित है।
  2.  बैरेन द्वीप, ग्रेट निकोबार के लगभग 140 किमी. पूर्व में स्थिति है।
  3.  पिछली बार बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में वर्ष 1991 में उद्गार हुआ था और तब से यह निष्क्रिय बना हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1   
(b) 2 और 3
(c) केवल 3   
(d) 1 और 3

उत्तर: (a) 


प्रश्न. द्वीपों के निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म 'दस डिग्री चैनल' द्वारा एक-दूसरे से अलग किया जाता है? (2014)

(a) अंडमान और निकोबार
(b) निकोबार और सुमात्रा
(c) मालदीव और लक्षद्वीप
(d) सुमात्रा और जावा

उत्तर: (a)


मेन्स 

प्रश्न. परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015)

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