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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीनवाॅशिंग

  • 20 Dec 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), कार्बन क्रेडिट

मेन्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग और इसकी चुनौतियाँ, कार्बन बाज़ार पर ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

यूनाइटेड किंगडम के विज्ञापन मानक प्राधिकरण (ASA) द्वारा एयर फ्राँस, लुफ्थांसा तथा एतिहाद के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • अमुक एयरलाइनों पर 'ग्रीनवाॅशिंग' करने का आरोप है क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी उड़ानों की संधारणीयता का झूठा दावा करके अपने हवाई यात्रा के पर्यावरणीय प्रभाव का कम आंकलन कर उपभोक्ताओं को भ्रमित किया है।

ग्रीनवॉशिंग क्या है?

  • परिचय:
    • ग्रीनवॉशिंग शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1986 में एक अमेरिकी पर्यावरणविद् तथा शोधकर्त्ता  जे वेस्टरवेल्ड द्वारा किया गया था।
    • ग्रीनवॉशिंग एक भ्रामक प्रयास है जिसमें कंपनियाँ अथवा सरकारें जलवायु परिवर्तन को कम करने पर अपने कार्यों तथा उनके प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने हेतु अमूमन भ्रामक जानकारी प्रदान करती हैं अथवा अप्रमाणित दावे करती हैं।
      • यह पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की बढ़ती मांग से लाभ अर्जित करने का एक प्रयास है।
    • यह अत्यधिक व्यापक है तथा संस्थाएँ अमूमन विभिन्न गतिविधियों को बिना सत्यापन योग्य साक्ष्य के जलवायु-अनुकूल के रूप में लेबल करती हैं जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वास्तविक प्रयासों को कमज़ोर करती हैं।
  • ग्रीनवॉशिंग के उदाहरण:
    • वोक्सवैगन घटना में ग्रीनवॉशिंग हुई, जब यह पता चला कि जर्मन वाहन निर्माता ने अपनी कथित पर्यावरण के अनुकूल डीज़ल कारों के उत्सर्ज़न परीक्षणों में धोखाधड़ी की थी।
      • कोका-कोला तथा तेल दिग्गज़ बी.पी. और शेल जैसी कई अन्य वैश्विक कंपनियों पर भी ग्रीनवॉशिंग का आरोप लगाया गया है।
  •  चिंताएँ:
    • यह पर्यावरणीय पहलों के बारे में भ्रामक या अतिरंजित जानकारी प्रस्तुत करके जलवायु लक्ष्यों की प्रामाणिकता को कम करने का जोखिम उत्पन्न करता है।
    • ग्रीनवॉशिंग में संलग्न संस्थाओं को गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार के लिये पुरस्कृत करते हुए अनुचित मान्यता या लाभ प्राप्त हो सकता है।
      • ग्रीनवॉशिंग एक असमान प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति बनाकर बाज़ारों को विकृत कर सकता है, जहाँ भ्रामक प्रथाओं में संलग्न संस्थाएँ वास्तविक पर्यावरण मानकों का पालन करने वालों पर अनुचित लाभ प्राप्त करती हैं।
    • पर्यावरणीय दावों के लिये व्यापक नियमों और मानकों की अनुपस्थिति ग्रीनवॉशिंग को पर्याप्त जाँच के बिना जारी रखने की अनुमति देती है।
    • ग्रीनवॉशिंग की प्रथा कार्बन क्रेडिट प्रणालियों की अखंडता के लिये चुनौतियाँ पेश करती है, विशेष रूप से अनौपचारिक बाज़ारों में, जहाँ अनौपचारिक संस्थाओं द्वारा क्रेडिट स्रोतों और प्रमाणन का विस्तार पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
      • एक कार्बन क्रेडिट वायुमंडल से निष्कासित किये गए 1 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड या समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के तुल्य होता है।
      • क्योटो प्रोटोकॉल ने कार्बन क्रेडिट की अवधारणा पेश की। इसमें, जो देश या कंपनियाँ उत्सर्जन कटौती के अधिदेशों से आगे बढ़ जाती हैं, उन्हें कार्बन क्रेडिट से पुरस्कृत किया जाता है।
  • ग्रीनवॉशिंग से संबंधित वैश्विक पहल:
    • UNFCCC में पार्टियों के 27वें सम्मेलन (COP27) में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ग्रीनवॉशिंग के प्रति शून्य सहिष्णुता की घोषणा की है और निजी निगमों से अपनी प्रथाओं में सुधार करने का आग्रह किया है।
    • यूरोपीय संघ ने अक्तूबर 2023 में ग्रीनवॉशिंग से निपटने के लिये विश्व के पहले ग्रीन बॉण्ड मानकों को मंज़ूरी दी।
      • "यूरोपीय ग्रीन बॉन्ड" लेबल पारदर्शिता को अनिवार्य करता है, 85% धनराशि को यूरोपीय संघ की स्थायी गतिविधियों के लिये निर्देशित करता है। इस कानून का उद्देश्य यूरोपीय संघ के जलवायु तटस्थता परिवर्तन का समर्थन करना है।
  • भारत में ग्रीनवॉशिंग से संबंधित कानून:
    • भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ग्रीनवॉशिंग को एक अनुचित व्यापार अभ्यास के रूप में नामित किया गया है। अधिनियम ऐसे भ्रामक दावों पर रोक लगाता है और इन भ्रामक प्रथाओं से प्रतिकूल रूप से प्रभावित उपभोक्ताओं के लिये दंड एवं उपायों की रूपरेखा तैयार करता है।
    • फरवरी 2023 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिये हरित ऋण प्रतिभूतियों के जारीकर्त्ताओं हेतु दिशा-निर्देश जारी किये।
      • दिशा-निर्देशों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा करना, प्रतिभूति बाज़ार के विकास को बढ़ावा देना और इसे विनियमित करना है।
    • भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) विज्ञापन प्रथाओं की निगरानी में एक नियामक भूमिका निभाती है और ग्रीनवॉशिंग के आरोपों पर कुछ अधिकार क्षेत्र रखती है।
      • ASCI, भारत में एक स्वैच्छिक स्व-नियामक संगठन, यह सुनिश्चित करता है कि विज्ञापन कानूनी, ईमानदार और निष्पक्ष हों, उपभोक्ता हितों की रक्षा करें तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दें।

आगे की राह

  • कंपनियों को उनके पर्यावरणीय कार्यों और निष्क्रियताओं के लिये जवाबदेह ठहराया जाए। उपभोक्ताओं को मांग करनी चाहिये कि कंपनियों को अपनी पर्यावरण नीतियों और प्रथाओं के साथ-साथ अपनी प्रगति एवं चुनौतियों का भी खुलासा करना चाहिये
  • उन हरित व्यवसायों और परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जाए, जिनके पास सामाजिक ज़िम्मेदारी और पर्यावरणीय प्रदर्शन का बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड हो
  • पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पर्यावरणीय दावों के लिये व्यापक नियम और मानक लागू किये जाए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में कौन-सा एक ‘‘ग्रीनवाशिंग’’ शब्द का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) मिथ्या रूप से यह प्रभाव व्यक्त करना कि कंपनी के उत्पाद पारिस्थितिक-अनुकूली (ईको-फ्रेंडली) और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त हैं
(b) किसी देश के वार्षिक वित्तीय विवरणों में पारिस्थितिक/पर्यावरणीय लागतों को शामिल नहीं करना
(c) आधारिक संरचना विकसित करते समय अनर्थकारी पारिस्थितिक दुष्परिणामों की उपेक्षा करना
(d) किसी सरकारी परियोजना/कार्यक्रम में पर्यावरणीय लागतों के लिए अनिवार्य उपबंध करना

उत्तर: (a)


प्रश्न. "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2011)

(a) कार्बन क्रेडिट प्रणाली क्योतो प्रोटोकोल के संयोजन में सम्पुष्ट की गई थी।
(b) कार्बन क्रेडिट उन देशों या समूहों को प्रदत्त की जाती है जो ग्रीन-हाउस गैसों का उत्सर्ज़न घटाकर उसे उत्सर्ज़न अभ्यंश के नीचे ला चुके होते हैं
(c) कार्बन क्रेडिट का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हो रही वृद्धि पर अंकुश लगाना है
(d) कार्बन क्रेडिट का क्रय-विक्रय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा समय-समय पर नियत मूल्यों के आधार पर किया जाता है।

उत्तर: (d)

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