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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीनवॉशिंग

  • 10 Nov 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग, कार्बन क्रेडिट

मेन्स के लिये:

ग्रीनवॉशिंग और इसकी चुनौतियाँ, कार्बन मार्केट पर ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने निजी निगमों को ग्रीनवॉशिंग की प्रथा को बंद करने और एक साल के भीतर अपने तरीकों में सुधार करने की चेतावनी दी है।

  • महासचिव ने पूरी तरह से इससे संबंधित अभ्यास की निगरानी हेतु एक विशेषज्ञ समूह गठित करने का भी निर्देश दिया है।

ग्रीनवॉशिंग:

  • परिचय:
    • ग्रीनवॉशिंग शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1986 में एक अमेरिकी पर्यावरणविद् और शोधकर्त्ता जे वेस्टरवेल्ड द्वारा किया गया था।
    • ग्रीनवॉशिंग कंपनियों और सरकारों की गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला को पर्यावरण के अनुकूल के रूप में चित्रित करने का एक अभ्यास है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन से बचा या इसे कम किया जा सकता है।
      • इनमें से कई दावे असत्यापित, भ्रामक या संदिग्ध होते हैं।
      • हालाँकि यह संस्था की छवि को बेहतर करने में मदद करता है, लेकिन वे जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में किसी प्रकार का विशेष सहयोग नहीं करता है।
      • शेल और BP जैसे तेल दिग्गजों तथा कोका कोला सहित कई बहुराष्ट्रीय निगमों को ग्रीनवॉशिंग के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
    • पर्यावरणीय गतिविधियों की एक पूरी शृंखला में ग्रीनवॉशिंग सामान्य बात है।
      • अक्सर विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में वित्तीय प्रवाह के जलवायु सह-लाभों का सहारा लिया जाता है, जो कि कभी-कभी बहुत कम तर्कसंगत होते है, इन विकसित देशों के इस प्रकार के व्यवसाय निवेशों पर ग्रीनवॉशिंग का आरोप लगता रहता है।
  • ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव:
    • ग्रीनवॉशिंग जलवायु परिवर्तन से निपटने के संदर्भ में प्रगति और विकास के गलत आँकड़े पेश करता है जो विश्व को आपदा की ओर अग्रसर करते हैं। इसी के साथ यह गैर-ज़िम्मेदार व्यवहार के लिये विभिन्न संस्थाओं को पुरस्कृत भी करता है।
  • विनियमन में चुनौतियाँ:
    • उत्सर्जन में संभावित कटौती करने वाली प्रक्रियाओं और उत्पादों की संख्या इतनी अधिक है कि उन सभी की निगरानी एवं सत्यापन करना व्यावहारिक रूप से असंभव है।
    • मापने, रिपोर्ट करने, मानक स्थापित करने, दावों को सत्यापित करने और प्रमाणन प्रदान करने के लिये अभी भी प्रक्रियाओं, कार्यप्रणालियों एवं संस्थानों की स्थापना की जा रही है।
    • बड़ी संख्या में संगठन इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता का दावा कर रहे हैं और शुल्क के आधार पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इनमें से कई संगठनों में सत्यनिष्ठा और सशक्तता का अभाव है, लेकिन विभिन्न निगमों द्वारा अभी भी उनकी सेवाओं का लाभ उठाया जाता है ताकि इससे वे स्वयं को अच्छा प्रदर्शित कर सकें।
    • ग्रीनवॉशिंग कार्बन क्रेडिट को कैसे प्रभावित करता है?

कार्बन क्रेडिट :

  • कार्बन क्रेडिट (इसे कार्बन ऑफ़सेट के रूप में भी जाना जाता है) वातावरण में ग्रीनहाउस उत्सर्जन में कमी लाने के सापेक्ष दिया जाने वाला एक क्रेडिट है, जिसका उपयोग सरकारों, उद्योग या व्यक्तियों द्वारा उत्सर्जन के लिये क्षतिपूर्ति के रुप में किया जा सकता है।
  • इसके द्वारा आसानी से उत्सर्जन को कम नहीं कर पाने वाले उद्योग वित्तीय लागत वहन कर अपना संचालन कर सकते हैं।
  • कार्बन क्रेडिट "कैप-एंड-ट्रेड" मॉडल पर आधारित हैं जिसका उपयोग 1990 के दशक में सल्फर प्रदूषण को कम करने के लिये किया गया था।
  • एक कार्बन क्रेडिट, एक मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है या कुछ बाज़ारों में कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष गैसों (CO2-eq) के बराबर है।

कार्बन क्रेडिट पर ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव:

  • अनौपचारिक बाजार:
    • अब सभी प्रकार की गतिविधियों जैसे कि पेड़ लगाने, एक निश्चित प्रकार की फसल उगाने,कार्यालय भवनों में ऊर्जा कुशल उपकरण स्थापित करने के लिये क्रेडिट उपलब्ध हैं।
    • ऐसी गतिविधियों के लिये क्रेडिट अक्सर अनौपचारिक तृतीय-पक्ष की कंपनियों द्वारा प्रमाणित किया जाता है और दूसरों को बेचा जाता है।
    • इस तरह के लेन-देन को ईमानदारी की कमी के रूप में चिह्नित किया गया है
  • साख:
    • भारत या ब्राज़ील जैसे देशों ने क्योटो प्रोटोकॉल के तहत भारी कार्बन क्रेडिट जमा किया था और वे चाहते थे कि इन्हें पेरिस समझौते के तहत स्थापित किये जा रहे नए बाजार में स्थानांतरित किया जाए।
    • लेकिन कई विकसित देशों ने इसका विरोध किया, क्रेडिट की अखंडता पर सवाल उठाया और दावा किया कि वे उत्सर्जन में कमी का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
    • जंगलों से कार्बन ऑफसेट सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।

आगे की राह

  • शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य का अनुकरण करने वाले निगमों को जीवाश्म ईंधन में नए निवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
  • उन्हें शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के मार्ग पर अल्पकालिक उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्रस्तुत करने के लिये भी कहा जाना चाहिये।
  • निगमों को नेट-शून्य स्थिति के लिये अपने लक्ष्य की शुरुआत में ऑफसेट तंत्र का भी उपयोग करना चाहिये।
  • ग्रीनवॉशिंग की निगरानी के लिये नियामक संरचनाओं और मानकों के निर्माण की दिशा में प्राथमिकता से ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. "कार्बन क्रेडिट" के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है? (2011)

(a) कार्बन क्रेडिट प्रणाली क्योटो प्रोटोकॉल के संयोजन में सम्पुष्ट की गई थी।
(b) कार्बन क्रेडिट उन देशों या समूहों को प्रदान किया जाता है जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाकर उसे उत्सर्जन अभ्यंश के नीचे ला चुके होते हैं।
(c) कार्बन क्रेडिट का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हो रही वृद्धि पर अंकुश लगाना है।
(d) कार्बन क्रेडिट का क्रय-विक्रय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा समय-समय पर नियत मूल्यों के आधार पर किया जाता है।

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • उत्सर्जन व्यापार, जैसा कि क्योटो प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 17 में निर्धारित किया गया है, उन देशों को अनुमति देता है जिनके पास कार्बन उत्सर्जन इकाइयाँ (यानी, कुल उत्सर्जन और उत्सर्जन के बीच का अंतर) हैं, लेकिन इस अतिरिक्त क्षमता को उन देशों को बेचने के लिये "उपयोग" नहीं किया जाता है जो अपने लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन करतें हैं।
  • यदि कोई देश अपने लक्ष्य से कम हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन करता है, तो वह उत्सर्जन न्यूनीकरण खरीद समझौते (ERPA) के माध्यम से अपने अधिशेष क्रेडिट को उन देशों को बेच सकता है जो अपने क्योटो स्तर के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करते हैं।
  • प्रमाणित उत्सर्जन कटौती (CER) एक प्रकार की उत्सर्जन इकाइयाँ (या कार्बन क्रेडिट) हैं जो स्वच्छ विकास तंत्र परियोजनाओं द्वारा प्राप्त उत्सर्जन में कमी के लिये स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) के कार्यकारी बोर्ड द्वारा जारी की जाती हैं।
  • यह क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों के तहत एक नामित परिचालन इकाई (DOE) सत्यापित है।
  • पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के सतत् अभ्यास और अनुप्रयोग कार्बन-क्रेडिट को बढ़ाता हैं जिनका व्यापार किया जा सकता है। इस प्रकार इससे GHG उत्सर्जन में कमी आती है क्योंकि यह एक प्रतिस्पर्द्धी और लाभकारी बाज़ार सुनिश्चित करता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने कार्बन क्रेडिट व्यवस्था को "बाज़ार-उन्मुख तंत्र" के रूप में विकसित किया।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. क्या कार्बन क्रेडिट के मूल्य में भारी गिरावट के बावजूद जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के तहत स्थापित कार्बन क्रेडिट और स्वच्छ विकास तंत्र को बनाए रखा जाना चाहिये? आर्थिक विकास के लिये भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के संबंध में चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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