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सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना

  • 07 Dec 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सहकारी क्षेत्र, खाद्य सुरक्षा, प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS), कृषि अवसंरचना कोष (AIF), न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), भारतीय खाद्य निगम, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान, बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS)

मेन्स के लिये:

कृषि क्षेत्र में विकास के लिये सरकारी योजनाएँ, खाद्य सुरक्षा

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सहकारिता मंत्रालय ने सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना पर प्रकाश डाला।

  • इस पहल का उद्देश्य देश में खाद्यान्न भंडारण क्षमता में निरंतर कमी का समाधान करना है।

सहकारिता के क्षेत्र में अन्‍न भंडारण योजना क्या है?

  • व्यापक बुनियादी ढाँचे का निर्माण:
  • कार्यान्वयन साझीदार और प्रगति:
    • राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation- NCDC) राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD), भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) आदि के सहयोग से विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में प्रायोगिक परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है।
      • 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 13 PACS में निर्माण कार्य शुरू हो गया है, प्रायोगिक परियोजनाओं में शामिल करने के लिये 1,711 PACS की पहचान की गई है।
  • कार्यान्वयन के निरीक्षण के लिये समितियाँ:
    • सहकारिता मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (Inter-Ministerial Committee- IMC) का गठन किया है, जिसके पास योजनाओं के एकीकरण के लिये दिशा-निर्देश जारी करने तथा कार्यप्रणाली को अंगीकृत करने का अधिकार है।
    • इसके अतिरिक्त संबद्ध मंत्रालयों एवं विभागों के सदस्यों के साथ एक राष्ट्रीय स्तरीय समन्वय समिति (National Level Coordination Committee- NLCC) को इस योजना के कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी का कार्यभार सौंपा गया है।
      • इसके अलावा प्रभावी समन्वय तथा कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये राज्य और ज़िला स्तर पर राज्य एवं ज़िला सहकारी विकास समितियों (State and District Cooperative Development Committees- SCDC and DCDC) का गठन किया गया है।
  • किसानों पर प्रभाव:
    • गोदामों की स्थापना का कार्य PACS द्वारा किया जाएगा, जिससे फसल की उपज का भंडारण करने तथा बाद के फसल चक्रों के लिये लघुकालिक वित्तीयन तक पहुँच की किसानों की क्षमता विकसित होगी।
      • किसानों के लिये सही समय पर उपज के विक्रय अथवा पूरी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर PACS को बेचने का विकल्प उपलब्ध हो सकेगा, जिससे तात्कालिक बिक्री को नियंत्रित किया जा सकेगा।
      • PACS स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता की सहायता से फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने में मदद मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसान अपनी उपज की गुणवत्ता के साथ अपनी अधिकतम आय प्राप्त कर सकते हैं।
      • खरीद केंद्रों और उचित मूल्य की दुकानों (FPS) के रूप में कार्य करने वाले PACS खाद्यान्न की परिवहन लागत में बचत करने में योगदान देते हैं।
    • यह योजना स्थानीय पंचायत या ग्राम स्तर पर विभिन्न कृषि आदानों और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, जिससे दूर स्थित खरीद केंद्रों पर निर्भरता कम हो जाती है।
    • किसानों को आय के अतिरिक्त स्रोतों का पता लगाने के लिये पारंपरिक कृषि गतिविधियों से परे अपने व्यवसायों में विविधता लाने हेतु सशक्त बनाया गया है।
    • यह योजना भंडारण क्षमता को बढ़ाकर और बर्बादी को कम करके अधिक सुदृढ़ एवं विश्वसनीय खाद्य आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में योगदान देती है।

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (PACS):

  • PACS राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCB) की अध्यक्षता में अल्पकालिक सहकारी ऋण अवसंरचना की ज़मीनी स्तर की शाखाएँ हैं।
  • PACS सीधे ग्रामीण (कृषि) उधारकर्त्ताओं की समस्याओं का समाधान करते हैं, उन्हें ऋण देते हैं, दिये गए ऋणों का पुनर्भुगतान एकत्र करते हैं और वितरण एवं विपणन कार्य भी करते हैं।

खाद्यान्न की कमी को दूर करने के लिये कृषि मंत्रालय द्वारा क्या पहलें की गई हैं?

  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF):
    • AIF प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से फसल कटाई के बाद प्रबंधन बुनियादी ढाँचे एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण की परिकल्पना करता है।
    • इसमें 7 वर्षों के लिये प्रति परियोजना स्थान पर 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर 3% की ब्याज छूट और यदि परियोजना में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवर है, तो क्रेडिट गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति शामिल है।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA):
    • PM-AASHA/पीएम-आशा का लक्ष्य अधिसूचित तिलहन, दालों और कोपरा (बारहमासी फसल) की उपज के लिये किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करना है।
    • इसमें मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPS) और निजी खरीद तथा स्टॉकिस्ट योजना (PPSS) शामिल है
      • मूल्य समर्थन योजना (PSS):
        • इसे संबंधित राज्य सरकार के अनुरोध पर लागू किया गया।
          • दालों, तिलहनों और कोपरा की खरीद को मंडी कर से छूट दी गई है।
        • जब कीमतें MSP से नीचे गिर जाती हैं तो केंद्रीय नोडल एजेंसियाँ MSP पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से सीधे खरीद करती हैं।
      • मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPS):
        • इसमें MSP और बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच अंतर का सीधा भुगतान शामिल है।
        • अधिसूचित बाज़ार यार्डों में पूर्व-पंजीकृत किसान जो उचित औसत गुणवत्ता (FAQ) मानकों को पूरा करते हुए तिलहन बेचते हैं, उन्हें पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया का लाभ मिलता है।
      • निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना (PPSS):
        • राज्यों के पास तिलहन खरीद के लिये PPSS लागू करने का विकल्प है।
        • चयनित ज़िलों या APMC में पूर्व-पंजीकृत किसानों से प्रायोगिक आधार पर खरीद की जाती है।
  • बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS):
    • MIS में उन कृषि तथा बागवानी वस्तुओं की खरीद शामिल है जो जल्दी खराब हो जाती हैं एवं जिनके लिये MSP की घोषणा नहीं की जाती है, ताकि इन वस्तुओं के उत्पादकों को अधिशेष/अधिक फसल की स्थिति में बहुत कम मूल्य पर आकस्मिक बिक्री करने से बचाया जा सके, जब कीमतें आर्थिक स्तर/उत्पादन लागत से नीचे गिर जाती हैं।
  • भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL):
    • बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत BBSSL को एक ही ब्रांड नाम के तहत उन्नत बीजों की खेती, उत्पादन तथा वितरण के लिये एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में स्थापित किया गया है।
    • यह समिति किसानों के लिये उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाकर फसलों की उत्पादकता बढ़ाएगी, इससे किसानों की आय बढ़ेगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. कृषि क्षेत्र को अल्पकालिक ऋण परिदान करने के संदर्भ में ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCBs) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तुलना में अधिक ऋण प्रदान करते हैं।
  2. DCCB का एक सबसे प्रमुख कार्य प्राथमिक कृषि साख समितियों को निधि उपलब्ध कराना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (B)


प्रश्न. भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. उनका पर्यवेक्षण और विनियमन राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय बोर्डों द्वारा किया जाता है।
  2. वे इक्विटी शेयर और वरीयता शेयर जारी कर सकते हैं।
  3. उन्हें 1966 में एक संशोधन के माध्यम से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का कोई भी ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" - अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाधाओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है?” (2014)

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