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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आधुनिक टीकों की स्थायित्व की खोज

  • 10 Apr 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

टीके, वायरस, बैक्टीरिया, खसरा, रूबेला, पीत ज्वर , हेपेटाइटिस B, हेपेटाइटिस A, मेमोरी B कोशिकाएँ, T सेल, टेटनस, डिप्थीरिया का टीका , लंबे समय तक चलने वाली प्लाज़्मा कोशिकाएँ (LLPC), अस्थि मज्जा, इन्फ्लूएंज़ा, SARS-CoV-2

मेन्स के लिये:

टीकों (Vaccines) की प्रभावकारिता और भारत में मानव संसाधनों पर इसका प्रभाव। 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में कई टीकों (vaccines) की समीक्षा में यह पाया गया है कि केवल पाँच टीके 20 वर्षों से अधिक समय तक चलने वाली सुरक्षा प्रदान करते हैं और केवल तीन टीके आजीवन सुरक्षा प्रदान करते हैं।

  • टीके की प्रभावकारिता में परिवर्तनशीलता इसकी प्रभावशीलता और दीर्घायु से संबंधित चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।

टीका और प्रतिरक्षा तंत्र क्या हैं?

  • परिचय: 
    • टीके, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में रोग उत्पन्न किये बिना वायरस, या बैक्टीरिया जैसे विशिष्ट रोगजनकों को पहचानने और उनसे लड़ने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये निर्मित किये गये हैं।
    • उनमें आमतौर पर रोगज़नक के कमज़ोर या निष्क्रिय रूप, रोगज़नक के कुछ हिस्से या रोगज़नक द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थ होते हैं।
  • प्रतिरक्षाविज्ञानी तंत्र:
    • मेमोरी B कोशिकाएँ: टीकाकरण के बाद लिम्फ नोड्स में गठित होकर, वे एंटीजन को  मेमोराइज़ करते हैं और बाद में उसी एंटीजन के संपर्क में आने पर तेज़ी से एंटीबॉडी उत्पादन शुरू कर देते हैं।
    • T सेल सपोर्ट: मेमोरी B कोशिकाओं को T सेल समर्थन टीकों की आवश्यकता होती है जो T सेल को उत्तेजित करते हैं और मेमोरी B कोशिकाओं के उत्पादन को प्रेरित कर सकते हैं।
    • टीके से प्रेरित B सेल प्रतिक्रिया में परिवर्तनशीलता: सभी टीके शरीर को मेमोरी B कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिये प्रेरित नहीं करते हैं। कुछ टीकों को प्रतिरक्षा अवधि बढ़ाने के लिये बार-बार बूस्टर की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण: खसरा (Measles) और रूबेला (rubella) के टीके रक्त प्लाज़्मा में मेमोरी B कोशिकाओं के निरंतर स्तर को बनाए रखते हैं, जो दशकों तक एंटीबॉडी स्तर के साथ सहसंबद्ध होते हैं। हालाँकि, चिकनपॉक्स, टेटनस और डिप्थीरिया  के टीकों के साथ ऐसा नहीं देखा जाता है।
    • लंबे समय तक चलने वाली प्लाज़्मा कोशिकाएँ (LLPC): अस्थि मज्जा में स्थानांतरित हो जाती हैं और दशकों तक बनी रह सकती हैं, जो टीको से प्रेरित प्रतिरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
      • LLPC आजीवन सुरक्षा हेतु आवश्यक हैं, जिसे इम्यूनोलॉजी में "होली ग्रेल" कहा जाता है। टीकों का उद्देश्य निरंतर प्रतिरक्षा के लिये LLPC उत्पन्न करना है।
      • कुछ टीके, जैसे  mRNA कोविड-19 शॉट्स, अस्थि मज्जा में  LLPC को सक्रिय करने में विफल होते हैं, जो संभावित रूप से दीर्घकालिक सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
    • टीके की प्रभावकारिता में परिवर्तनशीलता: विभिन्न टीकों की मेमोरी बी कोशिकाओं एवं LLPC का उत्पादन करने की क्षमता में भिन्नता होती है, जिससे स्थायित्व तथा प्रभावशीलता में विसंगतियाँ होती हैं।
  • टीके एवं इसकी प्रभावकारिता:

टीका

टीके  का प्रकार

प्रभावकारिता अनुमान

सुरक्षा की अवधि

खसरा

  लाइव एटेनुएटेड 

      83%

जीवनपर्यंत

रूबेला

  लाइव एटेनुएटेड 

   80.70%

जीवनपर्यंत

यलो फीवर/पीट ज्वर

  लाइव एटेनुएटेड 

    ~99%

जीवनपर्यंत

हेपेटाइटिस B

    इनएक्टिवेटेड

     89-96%

30 वर्ष तक

हेपेटाइटिस A

    इनएक्टिवेटेड

      98%

 लगभग 25 वर्ष

टीका प्रेरित प्रतिरक्षा:

  • वैक्सीन प्रतिरक्षा, जिसे अर्जित प्रतिरक्षा या टीकाकरण के रूप में भी जाना जाता है, टीकाकरण द्वारा प्रदान की जाने वाले संक्रामक रोगों से सुरक्षा को संदर्भित करता है।
  • जब किसी व्यक्ति को टीका लगाया जाता है, तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली रोग उत्पन्न किये बिना वायरस अथवा बैक्टीरिया जैसे विशिष्ट रोगजनकों को पहचानने एवं प्रतिक्रिया करने के लिये प्रेरित होती है।

कौन-से कारक टीकों की गुणोत्पादकता को प्रभावित करते हैं?

  • टीके की गुणोत्पादकता, कारकों की तीन प्राथमिक श्रेणियों से प्रभावित होती है अर्थात् टीका संबंधी, रोगजनक संबंधी (pathogen related) और मेज़बान संबंधी (host related)
    • टीका संबंधी: 
      • लाइव वायरल टीकाकरण: इसमें खसरा, रूबेला, पीत ज्वर, चिकनपॉक्स और पोलियो (ओरल) के टीके शामिल हैं जो सबयूनिट टीकों  (subunit vaccines) की तुलना में लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
      • टीके के डोज़ के बीच अंतराल: एक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिये प्राइमिंग और बूस्टर डोज़ के बीच कम-से-कम छह माह का लंबा अंतराल महत्त्वपूर्ण है।
    • रोगजनक संबंधी: 
      • म्यूकोसल संक्रमण वाले रोगजनक: SARS-CoV-2 और इन्फ्लूएंज़ा जैसे म्यूकोसल संक्रमण उत्पन्न करने वाले वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया देने से पहले अपने त्वरित संचरण के कारण बार-बार पुन: संक्रमण का कारण बनते हैं।
      • वायरस की आनुवंशिक स्थिरता: उच्च उत्परिवर्तन दर वाले खसरा और SARS-CoV-2 जैसे RNA वायरस को वैक्सीन अद्यतन की आवश्यकता हो सकती है।
        • खसरे का टीका स्थिर बना हुआ है, जबकि SARS-CoV-2 टीकों को उत्परिवर्तन के कारण अद्यतित किया गया है। 
    • मेज़बान संबंधी (host related) कारक: 
      • आयु, लैंगिक और मोटापा: ये कारक टीके की गुणोत्पादकता और प्रतिरक्षा की अवधि को प्रभावित करते हैं। अत्यधिक उम्र और मोटापा कम समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकता है।

टीकाकरण के लिये सरकार द्वारा की गई पहल:  

दृष्टि मुख्य प्रश्न:

प्रश्न.वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा के अंतर्निहित प्रतिरक्षा तंत्र और वैक्सीन प्रभावकारिता को प्रभावित करने वाले कारकों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016)

(a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण
(b) देश भर में स्मार्ट शहरों का निर्माण
(c) बाहरी अंतरिक्ष में पृथ्वी सदृश ग्रहों के संदर्भ में भारत की खोज़
(d) नई शिक्षा नीति

उत्तर: A

व्याख्या:

  • मिशन इंद्रधनुष 25 दिसंबर, 2014 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक टीकाकरण योजना है।
  • इंद्रधनुष के सात रंगों को दर्शाते हुए, इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक उन सभी बच्चों को कवर करना है, जो या तो अशिक्षित हैं या जिन्हें डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपेटाइटिस B सहित सात टीकों से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ आंशिक रूप से टीका लगाया गया है।
  • यह मिशन तकनीकी रूप से WHO, यूनिसेफ, रोटरी इंटरनेशनल और अन्य दाता भागीदारों द्वारा समर्थित है।
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